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Solan Shamti Restoration Work: रेट्रोफिटिंग तकनीक के माध्यम से शामती को बचाने की कवायद होगी तेज, क्षतिग्रस्त मकानों की होगी मरम्मत

सोलन शहर के शामती में आपदा से क्षतिग्रस्त हुए मकानों की सेहत रेट्रोफिटिंग तकनीक से सुधारी जाएगी. एनआईटीटीटीआर के विशेषज्ञों की टीम ने शामती में क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वे किया है. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि इन मकानों को रेट्रोफिटिंग तकनीक से ठीक किया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर.. (Solan Shamti Restoration Work)

Retrofitting technology For damaged houses in Solan
सोलन में रेट्रोफिटिंग तकनीक से मकानों का किया जाएगा मरम्मत
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 4:39 PM IST

सोलन एडीसी अजय यादव का बयान

सोलन: हिमाचल प्रदेश में इस बार हुई बारिश ने लोगों का जन जीवन असत-व्यस्त कर दिया है, जगह-जगह पर जमीन धंसने और मकानों में दरार आने के मामले सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में सोलन शहर के शामती में भी पहाड़ी धंसने के कारण यहां पर करीब 21 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे और 28 मकान में यहां पर दरारें आई थी. वहीं, सोलन शहर के साथ लगते शामती में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुए मकानों को बचाने के लिए जिला प्रशासन विशेषज्ञों की मदद ले रही है.

दरअसल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग रिसर्च (एनआईटीटीटीआर) के विशेषज्ञों की टीम ने शामती में बूरी तरह क्षतिग्रस्त और आंशिक क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वे किया है. ऐसे मकानों को ठीक करने में दक्ष एनआईटीटीटीआर के प्रो.हिम्मत कुमार विनायक ने तीन दिन तक शामती में मकानों का मुआयना किया. बताया जा रहा है कि यहां पर 21 मकानों बूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं और 28 मकानों में दरारें आई हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक इन मकानों को रेट्रोफिटिंग तकनीक से ठीक किया जा सकता है.

विशेषज्ञों की राय से क्षतिग्रस्त मकानों की हो सकती है मरम्मत- एडीसी: शामती में भारी बारिश से हुई लैंड स्लाइडिंग से 49 मकानों को नुकसान पहुंचा है. इन मकानों का अब क्या हो सकता है, इसके लिए विशेषज्ञों की सलाह ली गई है. प्रो. हिम्मत कुमार विनायक ने टीम के साथ क्षतिग्रस्त मकानों का तीन दिन तक गहनता से मुआयना किया है. वहीं, हिम्मत कुमार विनायक का कहना है कि इस सर्वे की रिपोर्ट जल्द आने वाली है, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि क्षतिग्रस्त तकरीबन सभी मकानों को मरम्मत के बाद ठीक किया जा सकता है. पूरी तरह खतरा टलने के बाद ही यहां पर फिर से लोगों को रहने दिया जाएगा.

10 जुलाई की रात सोलन में हुई थी लैंडस्लाइड: बीते 10 जुलाई की रात को भारी बारिश से शामती में भारी लैंड स्लाइडिंग हुई थी. इसी के साथ यहां शामती की पहाड़ी भी खिसक गई. इस दौरान यहां पर चार मकान जमींदोज हो गए. जिसके कारण 49 मकान क्षतिग्रस्त हो गए. इसमें 21 तो ऐसे हैं जिनको ज्यादा नुकसान हुआ है. जबकि 28 में भी दरारें आई हैं. प्रशासन ने एहतियात के तौर पर इन सभी मकानों को खाली करवा दिया. जिसके बाद यह लोग बेघर हो गए और राहत शिविरों या रिश्तेदारों के पास रहने को मजबूर हो गए. तब से यहां कई विशेषज्ञों की टीमों ने दौरा कर पहाड़ी को बचाने के लिए सर्वे किए हैं. अब प्रशासन ने एनआईटीटीटीआर के विशेषज्ञों की मदद ली है.

क्या है तकनीक: जिस मकान में ईंट का पिलर होता है उसकी जैकेटिंग की जाती है,जैकेटिंग की प्रक्रिया में उसे चारों तरफ से लोहे की छड़ से बांध दिया जाता है और फिर उसके ऊपर 1/3 के मसाला या फिर माइक्रो कंकरीट से ढाल दिया जाता है या फिर प्लास्टर कर दिया जाता है. इसके अलावा पिलर की जैकेटिंग डी लैंप विधि से भी कर सकते हैं, इस तकनीक के माध्यम से पिलर में 300mm की दूरी पर एक लोहे का छड़ आर पार-किया जाता है और फिर उसे दोनों तरफ से नीचे या ऊपर की तरफ बेंड कर दिया जाता है.

जैकेटिंग की प्रक्रिया से पिलर मजबूत हो जाता है, इसके अलावा दरवाजे के ऊपर खिड़की के ऊपर जहां से दीवार ऊपर से ढहने की संभावना है, मकान के लिंटर लेवल पर लोहे की जाली से उसे बांध दिया जाता है फिर ऊपर से 1/3 के मसाले से प्लास्टर या फिर ढाल दिया जाता है, इससे दीवार मजबूत हो जाती है और ऊपर से ढहने की संभावना कम हो जाती है.

ये भी पढ़ें: Chandigarh Shimla NH: चंडीगढ़ शिमला एनएच पर 75 किलोमीटर के पैच पर चल रहा वन लेन ट्रैफिक, 250 पुलिस जवान संभाल रहे ट्रैफिक व्यवस्था

सोलन एडीसी अजय यादव का बयान

सोलन: हिमाचल प्रदेश में इस बार हुई बारिश ने लोगों का जन जीवन असत-व्यस्त कर दिया है, जगह-जगह पर जमीन धंसने और मकानों में दरार आने के मामले सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में सोलन शहर के शामती में भी पहाड़ी धंसने के कारण यहां पर करीब 21 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे और 28 मकान में यहां पर दरारें आई थी. वहीं, सोलन शहर के साथ लगते शामती में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुए मकानों को बचाने के लिए जिला प्रशासन विशेषज्ञों की मदद ले रही है.

दरअसल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग रिसर्च (एनआईटीटीटीआर) के विशेषज्ञों की टीम ने शामती में बूरी तरह क्षतिग्रस्त और आंशिक क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वे किया है. ऐसे मकानों को ठीक करने में दक्ष एनआईटीटीटीआर के प्रो.हिम्मत कुमार विनायक ने तीन दिन तक शामती में मकानों का मुआयना किया. बताया जा रहा है कि यहां पर 21 मकानों बूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं और 28 मकानों में दरारें आई हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक इन मकानों को रेट्रोफिटिंग तकनीक से ठीक किया जा सकता है.

विशेषज्ञों की राय से क्षतिग्रस्त मकानों की हो सकती है मरम्मत- एडीसी: शामती में भारी बारिश से हुई लैंड स्लाइडिंग से 49 मकानों को नुकसान पहुंचा है. इन मकानों का अब क्या हो सकता है, इसके लिए विशेषज्ञों की सलाह ली गई है. प्रो. हिम्मत कुमार विनायक ने टीम के साथ क्षतिग्रस्त मकानों का तीन दिन तक गहनता से मुआयना किया है. वहीं, हिम्मत कुमार विनायक का कहना है कि इस सर्वे की रिपोर्ट जल्द आने वाली है, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि क्षतिग्रस्त तकरीबन सभी मकानों को मरम्मत के बाद ठीक किया जा सकता है. पूरी तरह खतरा टलने के बाद ही यहां पर फिर से लोगों को रहने दिया जाएगा.

10 जुलाई की रात सोलन में हुई थी लैंडस्लाइड: बीते 10 जुलाई की रात को भारी बारिश से शामती में भारी लैंड स्लाइडिंग हुई थी. इसी के साथ यहां शामती की पहाड़ी भी खिसक गई. इस दौरान यहां पर चार मकान जमींदोज हो गए. जिसके कारण 49 मकान क्षतिग्रस्त हो गए. इसमें 21 तो ऐसे हैं जिनको ज्यादा नुकसान हुआ है. जबकि 28 में भी दरारें आई हैं. प्रशासन ने एहतियात के तौर पर इन सभी मकानों को खाली करवा दिया. जिसके बाद यह लोग बेघर हो गए और राहत शिविरों या रिश्तेदारों के पास रहने को मजबूर हो गए. तब से यहां कई विशेषज्ञों की टीमों ने दौरा कर पहाड़ी को बचाने के लिए सर्वे किए हैं. अब प्रशासन ने एनआईटीटीटीआर के विशेषज्ञों की मदद ली है.

क्या है तकनीक: जिस मकान में ईंट का पिलर होता है उसकी जैकेटिंग की जाती है,जैकेटिंग की प्रक्रिया में उसे चारों तरफ से लोहे की छड़ से बांध दिया जाता है और फिर उसके ऊपर 1/3 के मसाला या फिर माइक्रो कंकरीट से ढाल दिया जाता है या फिर प्लास्टर कर दिया जाता है. इसके अलावा पिलर की जैकेटिंग डी लैंप विधि से भी कर सकते हैं, इस तकनीक के माध्यम से पिलर में 300mm की दूरी पर एक लोहे का छड़ आर पार-किया जाता है और फिर उसे दोनों तरफ से नीचे या ऊपर की तरफ बेंड कर दिया जाता है.

जैकेटिंग की प्रक्रिया से पिलर मजबूत हो जाता है, इसके अलावा दरवाजे के ऊपर खिड़की के ऊपर जहां से दीवार ऊपर से ढहने की संभावना है, मकान के लिंटर लेवल पर लोहे की जाली से उसे बांध दिया जाता है फिर ऊपर से 1/3 के मसाले से प्लास्टर या फिर ढाल दिया जाता है, इससे दीवार मजबूत हो जाती है और ऊपर से ढहने की संभावना कम हो जाती है.

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