सोलन: भारत और पाकिस्तान में संबंध हमेशा से ही ऐतिहासिक और राजनीतिक मुद्दों की वजह से तनाव भरा रहा है. इन देशों में इस रिश्ते का मूल वजह भारत के विभाजन को देखा जाता है, कश्मीर विवाद इन दोनों देशों को आज तक कई बार उलझाए हैं, दोनों देशों में कई बार इस विवाद को लेकर सैनिक कार्रवाई भी हो चुकी है.
इन देशों में तनाव मौजूद है, जबकि दोनों ही देश एक दूजे के इतिहास, सभ्यता, भूगोल और अर्थव्यवस्था से जुड़े हैं. वहीं, भारत-पाक देशों के रिश्तों को लेकर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए भारतीय सेना से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और 1971 युद्ध में भाग लेने वाले सोलन के प्रदीप खन्ना ने अपने विचार साझा किए.
प्रदीप खन्ना ने कहा कि भारत-पाक के रिश्ते मजबूत हो इसके लिए कई बार दोनों देशों की सरकारों ने कोशिश की है. चाहे वह बात 1971 के युद्ध की हो या शिमला एग्रीमेंट की हो या उसके बाद 1980 में कश्मीर की वजह से तनाव बनने की, पाकिस्तान की सिविल गवर्नमेंट ने जब भी भारत पाक समझौते पर बात की है तब पाक आर्मी ने उसे होने से रोका है.
पाक आर्मी नहीं चाहती है भारत पाकिस्तान का समझौता- प्रदीप खन्ना
प्रदीप खन्ना ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच कई बार शांति बैठक हुई, कई समझौते हुए, लेकिन बीतते वक्त के साथ यह समझौते धरे के धरे रह गए. दोनों देशों के बीच कई बार सुलह की बैठक हुई, लेकिन हर बार आतंकियों के नापाक नजरों और पाकिस्तान की कश्मीरियत की नगवार मांग ने इन सभी बैठकों को धूमिल कर दिया.
उन्होंने कहा कि पाक आर्मी हमेशा से ही भारत-पाक समझौते के खिलाफ रही है, इसी कारण से आज तक भारत-पाक समझौता नहीं हो पाया है, पाक आर्मी समझती है कि अगर भारत-पाक समझौता हो जाता है तो पाक आर्मी की पूरी दुनिया में कोई वैल्यू नहीं रह जाएगी. उन्होंने कहा कि जब भी पाकिस्तान सराकर इस मुद्दे पर बात करना चाहती है तो हमेशा पाक आर्मी उसे पूरा नहीं होने देती है.
भारतीय सेना के लिए बहुत कुछ कर रही है केंद्र सरकार- प्रदीप खन्ना
प्रदीप खन्ना ने कहा कि केंद्र सरकार भारतीय सेना के लिए बहुत कुछ कर रही है. भारतीय सेना मनोवैज्ञानिक तरीके से सशक्त होती जा रही है. उसके लिए केंद्र सरकार सराहना योग्य है. पहले की सरकारों ने भी भारतीय सेना के लिए कार्य किया है, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार भारतीय सेना के बारे में सोच रही है.
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