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बेकार लकड़ी में जान डाल देते हैं सोलन के राजेश, ग्रामीणों को सिखा रहे जीने की राह

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Published : May 29, 2022, 1:36 PM IST

Updated : May 29, 2022, 2:14 PM IST

आम तौर पर सड़क या रास्ते के किनारे पड़ी लकड़ी को बेकार समझकर या तो ईंधन के लिए इस्तेमाल किया जाता है या फिर वहां से उठाकर कही और फेंक दिया जाता है. लेकिन ओच्छघाट पंचायत के गधोग गांव के राजेश ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इसे आय का साधन बना दिया है. इसमें मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना (CM Gram Kaushal Yojana Himachal) उनकी मददगार बनी है. उन्होंने अपनी कारीगरी से ऐसे उत्पाद तैयार (Products from waste wood) किए हैं जिसकी लकड़ी की खराब हालत को देखते हुए कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था. पढ़ें पूरी खबर...

handcrafted wood
बेकार लकड़ी पर दस्तकारी

सोलन: आम तौर पर सड़क या रास्ते के किनारे पड़ी लकड़ी को बेकार समझकर या तो ईंधन के लिए इस्तेमाल किया जाता है या फिर वहां से उठाकर कही और फेंक दिया जाता है. लेकिन ओच्छघाट पंचायत के गधोग गांव के (Ochhaghat Panchayat of Solan) राजेश ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इसे आय का साधन बना दिया है. इसमें मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना उनकी मददगार बनी है. उन्होंने अपनी कारीगरी से ऐसे उत्पाद तैयार (Products from waste wood) किए हैं जिसकी लकड़ी की खराब हालत को देखते हुए कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.

राजेश पहले अपने शौक के लिए लकड़ियों पर दस्तकारी करते थे. लेकिन अब उन्होंने इसे ही रोजगार बना लिया है. खंड विकास अधिकारी सोलन रमेश शर्मा और एसईबीपीओ सुनिला शर्मा ने उन्हें मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना (CM Gram Kaushal Yojana Himachal) से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था. जिसके बाद उन्हें इसका लाभ भी मिला. इस योजना में बतौर प्रशिक्षक जुड़ने से उन्हें हर माह 7,500 रुपए तो मिल ही रहे हैं, साथ ही पांच ट्रेनी भी उनके साथ जुड़ गए हैं. इन प्रशिक्षुओं को भी 3-3 हजार रुपए प्रति माह मिल रहे है.

बेकार लकड़ी में जान डाल देते हैं सोलन के राजेश.

वेस्ट लकड़ियों का ही करते हैं इस्तेमाल: इस योजना के तहत राजेश उनकी टीम ने लकड़ी के ऐसे उत्पाद बनाए हैं जो रसोई से लेकर ड्राइंग रूम तक की शोभा बढ़ाएंगे. हालांकि ज्यादातर उत्पाद मंहगे हैं क्योंकि उनके बनाने पर समय के साथ-साथ लागत भी महंगी है. राजेश ने लकड़ियों के जरिए सांप, ड्रैगन, तेंदुआ, मगरमच्छ, मोर के साथ-साथ मंदिर जैसे बहुत से उत्पाद बनाए हुए हैं. हालांकि यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन राजेश इसके लिए वेस्ट लकड़ी का ही इस्तेमाल करते हैं.

सबसे बड़ी बात यह है कि लकड़ी की यह व्यवस्था वे गांव में ही करते हैं. गांव में कोई शादी या कार्यक्रम के शमद के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी में से ही वह कुछ पीस ले आते हैं. इसी तरह जंगल में कोई पेड़ या फिर लकड़ी का पीस पड़ा मिल जाए तो वह उसे उठाकर घर ले आते हैं और इन लकड़ियों पर अपनी कारीगरी करते हैं. राजेश का कहना है कि मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना के तहत वे 5 लोगों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. खंड विकास कार्यालय की ओर से 15 अप्रैल 2022 को उन्हें प्रदर्शनी में मौका दिया गया था, जहां पर उन्होंने कई उत्पाद बेचे.

परंपरागत कला को मिला बढ़ावा: विकास खंड अधिकारी रमेश शर्मा (BDO Solan Ramesh Sharma) ने बताया कि मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना से विलुप्त होती जा रही परंपरागत कला को बढ़ावा मिला है. इस योजना के तहत 6 माह से एक साल का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके लिए प्रशिक्षण देने वाले के साथ-साथ ट्रेनी को भी मानदेय दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अब इस योजना से जुड़े लोगों को अपने उत्पाद बेचने के लिए स्थान भी दिया जा रहा है.

सोलन: आम तौर पर सड़क या रास्ते के किनारे पड़ी लकड़ी को बेकार समझकर या तो ईंधन के लिए इस्तेमाल किया जाता है या फिर वहां से उठाकर कही और फेंक दिया जाता है. लेकिन ओच्छघाट पंचायत के गधोग गांव के (Ochhaghat Panchayat of Solan) राजेश ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इसे आय का साधन बना दिया है. इसमें मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना उनकी मददगार बनी है. उन्होंने अपनी कारीगरी से ऐसे उत्पाद तैयार (Products from waste wood) किए हैं जिसकी लकड़ी की खराब हालत को देखते हुए कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.

राजेश पहले अपने शौक के लिए लकड़ियों पर दस्तकारी करते थे. लेकिन अब उन्होंने इसे ही रोजगार बना लिया है. खंड विकास अधिकारी सोलन रमेश शर्मा और एसईबीपीओ सुनिला शर्मा ने उन्हें मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना (CM Gram Kaushal Yojana Himachal) से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था. जिसके बाद उन्हें इसका लाभ भी मिला. इस योजना में बतौर प्रशिक्षक जुड़ने से उन्हें हर माह 7,500 रुपए तो मिल ही रहे हैं, साथ ही पांच ट्रेनी भी उनके साथ जुड़ गए हैं. इन प्रशिक्षुओं को भी 3-3 हजार रुपए प्रति माह मिल रहे है.

बेकार लकड़ी में जान डाल देते हैं सोलन के राजेश.

वेस्ट लकड़ियों का ही करते हैं इस्तेमाल: इस योजना के तहत राजेश उनकी टीम ने लकड़ी के ऐसे उत्पाद बनाए हैं जो रसोई से लेकर ड्राइंग रूम तक की शोभा बढ़ाएंगे. हालांकि ज्यादातर उत्पाद मंहगे हैं क्योंकि उनके बनाने पर समय के साथ-साथ लागत भी महंगी है. राजेश ने लकड़ियों के जरिए सांप, ड्रैगन, तेंदुआ, मगरमच्छ, मोर के साथ-साथ मंदिर जैसे बहुत से उत्पाद बनाए हुए हैं. हालांकि यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन राजेश इसके लिए वेस्ट लकड़ी का ही इस्तेमाल करते हैं.

सबसे बड़ी बात यह है कि लकड़ी की यह व्यवस्था वे गांव में ही करते हैं. गांव में कोई शादी या कार्यक्रम के शमद के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी में से ही वह कुछ पीस ले आते हैं. इसी तरह जंगल में कोई पेड़ या फिर लकड़ी का पीस पड़ा मिल जाए तो वह उसे उठाकर घर ले आते हैं और इन लकड़ियों पर अपनी कारीगरी करते हैं. राजेश का कहना है कि मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना के तहत वे 5 लोगों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. खंड विकास कार्यालय की ओर से 15 अप्रैल 2022 को उन्हें प्रदर्शनी में मौका दिया गया था, जहां पर उन्होंने कई उत्पाद बेचे.

परंपरागत कला को मिला बढ़ावा: विकास खंड अधिकारी रमेश शर्मा (BDO Solan Ramesh Sharma) ने बताया कि मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना से विलुप्त होती जा रही परंपरागत कला को बढ़ावा मिला है. इस योजना के तहत 6 माह से एक साल का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके लिए प्रशिक्षण देने वाले के साथ-साथ ट्रेनी को भी मानदेय दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अब इस योजना से जुड़े लोगों को अपने उत्पाद बेचने के लिए स्थान भी दिया जा रहा है.

Last Updated : May 29, 2022, 2:14 PM IST
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