सोलन: देवभूमि हिमाचल प्रदेश में जहां वन माफिया को रोकने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है तो वहीं, वन माफिया भी लगातार सक्रिय है. भले ही प्रदेश सरकार वन माफिया को रोकने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. ऐसा ही एक मामला जिला सोलन में भी देखने को मिला है जहां वन संपदा को नुकसान पहुंचाने की जानकारी देना एक समुदाय विशेष के व्यक्ति को भारी पड़ा है.
सोलन जिला के तहसील रामशहर के मनलोगकलां गांव में सरकारी भूमि पर वन संपदा को नुकसान पहुंचाने की शिकायत करने वाले व्यक्ति को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है, जिन व्यक्तियों के खिलाफ शिकायतकर्ता ने वन संपदा को नुकसान पहुंचाने की शिकायत दर्ज करवाई थी. उन्हीं व्यक्तियों ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया. हमले में शिकायतकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गया है और इस समय क्षेत्र अस्पताल सोलन में उपचाराधीन है.
- मुख्यमंत्री और वन मंत्री के दरबार भी पहुंचा था मामला, लेकिन हुआ कुछ नहीं
व्यक्ति ने मामले की शिकायत वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी की थी और वन मंत्री को 1 जुलाई को तो मुख्यमंत्री को इस मामले की शिकायत 3 जुलाई को की गई है. हैरानी की बात यह है कि इस मामले में अभी तक ना तो पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही मामले में वन मंत्री और मुख्यमंत्री ने अभी तक कोई संज्ञान लिया है.
- ये है पूरा मामला
मामले के तहत मनलोगकलां गांव के निवासी दिलीप सिंह ने इसी गांव के निवासी राकेश कुमार और उसके बड़े भाई रमेश कुमार सरकारी भूमि पर लगे पेड़ों को काट रहे थे, उसकी सूचना गुपचुप तरीके से विभाग को दी थी. उनकी शिकायत पर वन विभाग गार्ड रविंदर ने मौके पर आकर उन पेड़ों का कटान रुकवाया था और साथ ही यह भी हिदायत दी कि डिमार्केशन के बाद ही पेड़ों को काटा जा सकता है.
इस शिकायत के बाद कुछ दिन तक राकेश कुमार रमेश कुमार ने उन पेड़ों को नहीं काटा, लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही 17 जून को उन पेड़ों को दोबारा से काटने का काम इन दोनों भाइयों की ओर से शुरू करवा दिया गया.
इस बार फिर से शिकायत दिलीप सिंह ने गुपचुप तरीके से वन विभाग कर्मचारी को दी जिसपर गार्ड रविंद्र कुमार मौके पर पहुंचे और उन्होंने कटान रुकवा दिया. इस बारे में उन्होंने लिखित में दोनों भाइयों से कागज पर हस्ताक्षर लिये की वे पेड़ों को नहीं कटवाएंगे.
- दिलीप का कहना, धर्म के नाम पर किया गया प्रताड़ित, जान से मारने की दी गई धमकी
घायल हुए शिकायतकर्ता का कहना है कि शिकायत के बाद पेड़ों का कटान तो रुक गया, लेकिन 3 दिन बाद 22 जून को राकेश कुमार और रमेश कुमार के साथ एक अन्य व्यक्ति अशोक कुमार ने जानलेवा हमला कर दिया. दिलीप सिंह के साथ उनके बेटे सुनील कुमार पर हमलावरों ने जानलेवा हमला किया.
इस हमले में दिलीप सिंह की टांग टूट गई है तो वहीं, बेटे सुनील कुमार के सिर पर चोट आई है. उन्होंने कहा कि हमलावरों द्वारा उन्हें धर्म के नाम पर प्रताड़ित कर उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई है.
- वन विभाग के अधिकारियों ने नाम किया सार्वजनिक
शिकायतकर्ता को शिकायत करना इतना महंगा पड़ा कि वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से उनके नाम को सार्वजनिक किया गया. इसके चलते कि उन पर जानलेवा हमला किया गया है. वहीं, समय के बाद दिलीप सिंह के बेटे अनिल कुमार ने फोन पर पुलिस में FIR करवाई है.
यहां तक कि हादसे में जानलेवा हमले में घायल दिलीप सिंह और उनके बेटे अनिल कुमार भी रामशहर थाना पहुंचे थे जहां उनका सरकारी अस्पताल में मेडिकल करवाया गया और दोनों को सोलन रेफर कर दिया गया था.
- बेटे का आरोप राजनीतिक दबाव में अटेम्प्ट टू मर्डर मामले को बनाया गया क्रॉस मामला
दिलीप सिंह के बेटे अनिल कुमार का कहना है कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर इस केस को अटेम्प्ट टू मर्डर ना बनाकर इसे क्रॉस केस बनाया और आरोपियों के खिलाफ किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया, वहीं, उन पेड़ों को भी काट कर सरकारी भूमि से उठा दिया गया है.
अनिल कुमार का आरोप है कि उनके पिता दिलीप सिंह और बड़े भाई का नाम वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से ही आरोपियों को बताया गया जिसके बाद उन पर जानलेवा हमला किया गया.
- क्या कहते हैं डीएसपी
वहीं, जब इस बारे में डीएसपी नालागढ़ से सम्पर्क किया गया तो उनका कहना है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है और जांच चल रही है.
- क्या कहते हैं डीएफओ नालागढ़
वहीं, जब इस बारे में जब डीएफओ नालागढ़ यशुदीप सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे पास कंप्लेंट आई थी जिसके आधार पर रेंज ऑफिसर और गार्ड ने मौके पर पहुंचकर मौके का मुआयना किया था. जिसके बाद पेड़ काटने वालों को हिदायत दी गई थी कि डिमार्केशन के बाद ही वे पेड़ काट पाएंगे. उन्होंने कहा कि अभी रेवन्यू डिपार्टमेंट से डिमार्केशन की रिपोर्ट आनी है उसके बाद ही अगली कार्रवाई इस मामले में की जाएगी.
खास बात ये है कि शिकायतकर्ता ने इस मामले में वन मंत्री से और मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की उन्होंने पुलिस की ओर से मामले में आरोपियों को बचाने और उन पर किसी तरह की कोई एक्शन लेने के चलते शिकायत दी है, लेकिन इन शिकायतों के आधार पर अभी तक किसी भी तरह का कोई संज्ञान नहीं लिया गया है.
उनका आरोप है कि पुलिस जहां आरोपियों को बचाने का काम कर रही है. वहीं, सरकार की ओर से भी इस मामले में संज्ञान लेना यह साबित करता है कि प्रदेश में वन संपदा को नुकसान पहुंचाने वालों का साथ ही सरकार और पुलिस भी देती है, जबकि जो शिकायतकर्ता वन संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की शिकायत करता है उन्हें अपनी जान भी इस तरह के मामलों में गंवानी पड़े तो उसे सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है.
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