सोलन: देश की आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी हम किसानों को मानते हैं. जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे खेती करने के ढंग भी बदलते जा रहे हैं. हिमालय क्षेत्र के सतत विकास के लिए सोमवार से नौणी विश्विद्यालय में तीन दिवसीय महामंथन शुरू हुआ है. जिसमें ऐसे किसान बतौर वक्ता शामिल हुए जो कभी कर्ज में डूबे हुए थे और आज एक प्रगतिशील किसान हैं. हम बात कर रहे हैं पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित कंवल सिंह चौहान कि जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर वर्ष 1998 में सबसे पहले मशरूम और बेबी कॉर्न की खेती करने की ठानी और उनका यह फैसला कामयाब रहा. दोनों फसलों से अच्छा मुनाफा हुआ. इसके बाद वो क्षेत्र में किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए. नौणी में आयोजित सम्मेलन के दौरान ईटीवी भारत से बातचीत में पद्मश्री कंवल सिंह चौहान ने बताया कि उन्हें साल 2019 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था.
कौन हैं कंवल सिंह: हरियाणा में सोनीपत जिले के ग्राम अटेरना निवासी पद्मश्री कंवल सिंह चौहान एक प्रगतिशील किसान हैं. अपने आस-पास के क्षेत्र में इन्हें क्रांतिकारी किसान के रूप में जाना जाता है, तो वहीं सरकार ने इन्हें फादर ऑफ बेबी कॉर्न का नाम दिया है. ऐसा इसलिए कि इस क्षेत्र में स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न और मशरूम की खेती को शुरू करने और किसानों को इसकी खेती करने के लिए उन्होंने ही प्रोत्साहित किया.
कंवल सिंह चौहान बताते हैं कि वह 15 वर्ष की आयु से खेती कर रहे हैं. कंवल सिंह चौहान ने बताया कि एक दौर था जब वो कर्ज में डूबे किसान थे, लेकिन आज वह प्रगतिशील किसान बन कर उभरे हैं. कंवल सिंह ने परंपरागत खेती को छोड़कर वर्ष 1998 में सबसे पहले मशरूम और बेबी कॉर्न की खेती करने की ठानी, और उनका यह फैसला कामयाब रहा. दोनों फसलों से अच्छा मुनाफा हुआ. इसके बाद वो क्षेत्र में किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए. पद्मश्री कंवल सिंह चौहान को फादर ऑफ बेबी कॉर्न भी कहा जाता है. (Kanwal Singh Chauhan reached Nauni) (Padama Shri Kanwal Singh)
इग्लैंड और अमेरिका में निर्यात हो रहा बेबी कॉर्न: कंवल सिंह ने बताया कि जब गांव में बेबी कॉर्न व स्वीट कॉर्न का उत्पादन बढ़ा तो किसानों को बाजार की दिक्कत न हो, इसके लिए कंवल सिंह ने वर्ष 2009 में फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू कर दी. लगभग दो एकड़ में स्थित इस यूनिट में बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न, मशरूम बटन, मशरूम स्लाइस सहित लगभग आठ प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं, इस यूनिट की मदद से प्रतिदिन लगभग डेढ़ टन बेबी कॉर्न व अन्य उत्पाद इंग्लैंड व अमेरिका में निर्यात हो रहे हैं. (kanwal singh farming tips) (Baby Corn Cultivation)
इसी के साथ वो यहां टमाटर, स्ट्राबेरी की प्यूरी भी तैयार कर रहे हैं. कंवल सिंह का कहना है कि आज देश और प्रदेश में युवा नौकरी की तरफ भाग रहे हैं, लेकिन उन्हें अपना रुझान खेती की तरफ रखना चाहिए. बता दें कि कंवल सिंह चौहान डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में आयोजित तीन दिवसीय हिमालय क्षेत्र के सतत विकास पर आधारित सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए हैं.
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