सोलन: जिला सोलन के कंडाघाट की रहने वाली ममता ने आत्मनिर्भर भारत की मिसाल पेश की है. बच्चों के लिए एक रोल मॉडल बनने और समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए ममता ने आत्मनिर्भर बनने का सपना देखा और उसे साकर भी किया. आत्मनिर्भर बनने के सफर में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना ने ममता का साथ दिया.
ममता ने जब हिम्मत और हौसले के साथ स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रयास किया तो मंजिल तक पहुंचने के लिए राह खुद-ब-खुद आसान होते चली गई.
ममता ने बताया कि उनका सपना था कि वह भी आत्मनिर्भर बने और समाज में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी एक अलग पहचान बनाए. ममता ने बताया कि नवंबर 2018 में स्वावलंबन योजना के तहत उन्होंने 25 लाख का लोन लिया था जो कि उन्हें अक्टूबर 2019 में स्वीकृत हुआ था.
मशरूम के 100 बैगों से की थी शुरुआत आज कमा रही लाखों
ममता ने आत्मनिर्भर बनने की शुरुआत मशरूम के 100 बैगों से की थी, वहीं आज वह 2500 बैग में मशरूम उगा रही हैं. ममता ने बताया कि अभी तक वह औसतन 2 महीने में 40 क्विंटल मशरूम मंडी में उतार चुकी हैं, इस दौरान वह मशरूम की खेती से डेढ़ से दो लाख तक कमा चुकी हैं.
हर क्षेत्र में आज महिलाएं आगे
ममता ने बताया कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों का मुकाबला कर रही हैं. उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अपने पास तीन और महिलाओं को रोजगार दिया है और वह आगे भी महिलाओं को जोड़ना चाहती हैं.
लॉकडाउन में आई दिक्कतें, लेकिन हिम्मत नहीं हारी
कोरोना वायरस और लॉकडाउन से देश का वर्ग प्रभावित हुआ है. इस दौरान ममता को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन ममता ने हार नहीं मानी उन्होंने आपदा को अवसर में बदलने का फैसला लिया.
लॉकडाउन के दौरान बाजार में मशरूम की डिमांड बिल्कुल समाप्त हो गई थी, ऐसे में मशरूम खराब होने लगी थी, ममता ने इसका भी हल ढूंढ लिया और 1 क्विंटल मशरूम का अचार तैयार कर लिया.
वहीं, उस समय उन्हें कहीं भी मशरूम की खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही थी ऐसे में उन्होंने स्वयं खाद तैयार की और ढींगरी और बटन मशरूम लगाई.