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इस बार भाइयों की कलाई पर सजेगी स्वदेशी राखी, सोलन में खूब बिक रहे रेशम और मौली के धागे

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Published : Jul 25, 2020, 8:24 PM IST

भाई-बहन का पर्व रक्षाबंधन इस साल 3 अगस्त को मनाया जाएगा. इसके चलते बाजारों में दुकानें भी सज चुकी है. रक्षाबंधन के लिए स्वदेशी राखियां इस बार दुकानदारों ने अपनी दुकानों पर सजाई हैं. भारत-चीन सीमा पर तनाव के बाद से ही स्थानीय बाजार में चीनी सामान के बहिष्कार का मुद्दा गरमाया हुआ है. इसलिए लोगों की स्वदेशी राखियों की मांग को पूरा करने के लिए बाजार में रेशमी और मौली के धागों की खूबसूरत राखियां लाई गई हैं.

Indian rakhis
स्वदेशी राखियां.

सोलन: देश व प्रदेश में इन दिनों कोरोना महामारी अपना कहर ढा रही है. महामारी के चलते इस बार अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है. इसी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का सपना वोकल फॉर लोकल का है, जो कहीं ना कहीं इन दिनों सोलन शहर की दुकानों पर सच होता नजर आ रहा है.

भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार 3 अगस्त को आने वाला है. इसके लिए शहर व गांव के बाजार की दुकानों पर नई नई वैरायटी की आकर्षक राखियां सज कर तैयार हो चुकी हैं. इस बार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को स्वदेशी राखियों से ही मजबूती प्रदान की जाएगी. बाजारों में सजी दुकानों पर चीन की राखियां इस बार नजर नहीं आ रही हैं.

वीडियो.

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव के बाद से ही स्थानीय बाजार में चीनी सामान के बहिष्कार का मुद्दा गरमाया हुआ है. इसका असर अब रक्षाबंधन की खरीदारी में भी दिख रहा है. लोगों को चीनी राखियां बाजार में नहीं मिल रही हैं. वहीं, लोगों की स्वदेशी राखियों की मांग को पूरा करने के लिए बाजार में रेशमी और मौली के धागों की खूबसूरत राखियां लाई गई हैं.

बच्चों की कलाई पर सजाने के लिए इस बार बाजार में डोरेमॉन, मोटू पतलू, सिंघचेन, स्पाइडर मैन ,बाइक लाइट, छोटा भीम, आदि कार्टून कैरेक्टर की राखियां उपलब्ध हैं. चीन से आने वाली राखियां नहीं बल्कि भारत में बनी राखियां इन दिनों बाजारों में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इसके अलावा बच्चों के लिए मोतियों वाली राखी और तस्वीर जड़ित राखियां भी बाजार में लाई गई हैं, जिसे लोग बहुत पसंद कर रहे हैं.

हाथों से बनाई जा रही मोलियों और रेशम की धागे की राखियां

इस बार हाथों से बनी राखियां भी बाजार में उतारी जा रही हैं. कुछ दुकानदार अपनी दुकानों में ही मोतियों से बनी रेशम और मौली के धागों से राखियां बना रहे हैं, जिसके दाम भी कम रखे गए हैं और लोगों को वह पसंद भी ज्यादा आ रही है.

आत्मनिर्भर बनने की ओर पहला कदम

दुकानदारों का कहना है कि इस बार पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वदेशी राखियों की भरमार बाजारों में उतारी गई है. उन्होंने कहा कि इस बार चाइना के किसी भी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.वहीं, अब से त्यौहार में चाइना के सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

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स्वदेशी राखियां.

स्वदेशी राखियों से सजेगी भाइयों की कलाइयां

दुकानदारों का कहना है कि इस बार स्वदेशी राखियों से रक्षाबंधन के त्यौहार पर बहन अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधेगी. उन्होंने कहा कि इस बार भारत में निर्मित कई डिजाइन की राखियां बाजारों में उतारी गई है. खास बात यह है कि इनमें रेशम और मौली के धागों का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने कहा कि बाजार में लोगों की आवाजाही कम होने के बावजूद भी राखियों की भरमार स्वदेशी होने के कारण लोग इसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

कुछ महिलाएं घरों में ही बना रही राखियां

कोरोना वायरस के चलते रक्षाबंधन के त्यौहार को भी नहीं बख्शा है. रक्षाबंधन को लेकर भाई और बहनों में काफी उत्साह है. वहीं, दुकानदारों में भी भय की स्थिति बनी हुई है. ज्यादातर बहने अपने भाई की कलाई में राखी बांधने के लिए अपने हाथ से ही रक्षा सूत्र बनाने में जुटी हुई है.

व्यापार पर भी पड़ रहा कोरोना का असर

कोरोना महामारी के चलते राखी का व्यापार भी बदल चुका है. पिछले साल की अपेक्षा इस साल राखी का व्यापार आधा ही रह चुका है. पिछले साल चाइना से भारत में राखियों का व्यापार होता था, लेकिन इस बार व्यापारियों ने चाइना की राखियों का बहिष्कार कर दिया है. इससे पैसों का फर्क भी आ रहा है.

रक्षाबंधन के त्यौहार में सबसे ज्यादा डिमांड बच्चों की राखी की होती है. इसलिए छोटा भीम, डोरेमोन जैसे राखियां बच्चों को बहुत पसंद आती हैं, लेकिन इस बार महिलाएं घर पर ही राखियां बना रही हैं. इसकी लागत भी कम है. इसके चलते पीएम नरेंद्र मोदी का वॉकल फॉर लॉकल का रक्षाबंधन के त्यौहार से ही पूरा होते दिखने लगा है.

ये भी पढ़ें: कोरोनाकाल में किसी भी भाई की कलाई नहीं रहेगी सूनी, डाक विभाग ने रक्षाबंधन पर की खास तैयारी

सोलन: देश व प्रदेश में इन दिनों कोरोना महामारी अपना कहर ढा रही है. महामारी के चलते इस बार अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है. इसी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का सपना वोकल फॉर लोकल का है, जो कहीं ना कहीं इन दिनों सोलन शहर की दुकानों पर सच होता नजर आ रहा है.

भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार 3 अगस्त को आने वाला है. इसके लिए शहर व गांव के बाजार की दुकानों पर नई नई वैरायटी की आकर्षक राखियां सज कर तैयार हो चुकी हैं. इस बार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को स्वदेशी राखियों से ही मजबूती प्रदान की जाएगी. बाजारों में सजी दुकानों पर चीन की राखियां इस बार नजर नहीं आ रही हैं.

वीडियो.

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव के बाद से ही स्थानीय बाजार में चीनी सामान के बहिष्कार का मुद्दा गरमाया हुआ है. इसका असर अब रक्षाबंधन की खरीदारी में भी दिख रहा है. लोगों को चीनी राखियां बाजार में नहीं मिल रही हैं. वहीं, लोगों की स्वदेशी राखियों की मांग को पूरा करने के लिए बाजार में रेशमी और मौली के धागों की खूबसूरत राखियां लाई गई हैं.

बच्चों की कलाई पर सजाने के लिए इस बार बाजार में डोरेमॉन, मोटू पतलू, सिंघचेन, स्पाइडर मैन ,बाइक लाइट, छोटा भीम, आदि कार्टून कैरेक्टर की राखियां उपलब्ध हैं. चीन से आने वाली राखियां नहीं बल्कि भारत में बनी राखियां इन दिनों बाजारों में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इसके अलावा बच्चों के लिए मोतियों वाली राखी और तस्वीर जड़ित राखियां भी बाजार में लाई गई हैं, जिसे लोग बहुत पसंद कर रहे हैं.

हाथों से बनाई जा रही मोलियों और रेशम की धागे की राखियां

इस बार हाथों से बनी राखियां भी बाजार में उतारी जा रही हैं. कुछ दुकानदार अपनी दुकानों में ही मोतियों से बनी रेशम और मौली के धागों से राखियां बना रहे हैं, जिसके दाम भी कम रखे गए हैं और लोगों को वह पसंद भी ज्यादा आ रही है.

आत्मनिर्भर बनने की ओर पहला कदम

दुकानदारों का कहना है कि इस बार पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वदेशी राखियों की भरमार बाजारों में उतारी गई है. उन्होंने कहा कि इस बार चाइना के किसी भी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.वहीं, अब से त्यौहार में चाइना के सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

Indian rakhis
स्वदेशी राखियां.

स्वदेशी राखियों से सजेगी भाइयों की कलाइयां

दुकानदारों का कहना है कि इस बार स्वदेशी राखियों से रक्षाबंधन के त्यौहार पर बहन अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधेगी. उन्होंने कहा कि इस बार भारत में निर्मित कई डिजाइन की राखियां बाजारों में उतारी गई है. खास बात यह है कि इनमें रेशम और मौली के धागों का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने कहा कि बाजार में लोगों की आवाजाही कम होने के बावजूद भी राखियों की भरमार स्वदेशी होने के कारण लोग इसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

कुछ महिलाएं घरों में ही बना रही राखियां

कोरोना वायरस के चलते रक्षाबंधन के त्यौहार को भी नहीं बख्शा है. रक्षाबंधन को लेकर भाई और बहनों में काफी उत्साह है. वहीं, दुकानदारों में भी भय की स्थिति बनी हुई है. ज्यादातर बहने अपने भाई की कलाई में राखी बांधने के लिए अपने हाथ से ही रक्षा सूत्र बनाने में जुटी हुई है.

व्यापार पर भी पड़ रहा कोरोना का असर

कोरोना महामारी के चलते राखी का व्यापार भी बदल चुका है. पिछले साल की अपेक्षा इस साल राखी का व्यापार आधा ही रह चुका है. पिछले साल चाइना से भारत में राखियों का व्यापार होता था, लेकिन इस बार व्यापारियों ने चाइना की राखियों का बहिष्कार कर दिया है. इससे पैसों का फर्क भी आ रहा है.

रक्षाबंधन के त्यौहार में सबसे ज्यादा डिमांड बच्चों की राखी की होती है. इसलिए छोटा भीम, डोरेमोन जैसे राखियां बच्चों को बहुत पसंद आती हैं, लेकिन इस बार महिलाएं घर पर ही राखियां बना रही हैं. इसकी लागत भी कम है. इसके चलते पीएम नरेंद्र मोदी का वॉकल फॉर लॉकल का रक्षाबंधन के त्यौहार से ही पूरा होते दिखने लगा है.

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