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आत्मनिर्भर: सोलन की प्रीति कश्यप ने आधुनिक रूप में लॉन्च किया पारंपरिक व्यंजन 'कचोल'

सोलन जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कचोल को बड़े चाव के साथ खाया जाता है. कचोल को प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का बीड़ा उठाया है सोलन की रहने वाली युवा उद्यमी प्रीति कश्यप ने और उनके इस सपने को साकार करने में सहायक बनी है 'मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना’.

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Published : Jul 12, 2020, 3:44 PM IST

Updated : Jul 12, 2020, 3:50 PM IST

सोलन: देवभूमि हिमाचल को जहां अपनी मनभावन संस्कृति के लिए जाना जाता है वहीं, प्रदेश के हर जिले में ऐसे पारम्परिक व्यंजन बनाए जाते हैं जो देश-विदेश में अत्यंत लोकप्रिय हैं. हिमाचली व्यंजनों की यह परम्परा व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए पूर्ण आहार है.

वर्षों से पोषित हो रही व्यंजनों की यह परिपाटी निजीकरण एवं वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में स्वरोजगार का बेहतर साधन भी है. ऐसा ही एक पारम्परिक व्यंजन है सोलन जिला का 'कचोल या कचोल्टू'. इस व्यंजन को मक्की से तैयार किया जाता है.

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सोलन जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कचोल को बड़े चाव के साथ खाया जाता है. कचोल को प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का बीड़ा उठाया है सोलन की रहने वाली युवा उद्यमी प्रीति कश्यप ने और उनके इस सपने को साकार करने में सहायक बनी है 'मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना’.

प्रीति कश्यप का कहना है कि वह एक वुमन एंटरप्रेन्योरल और स्टार्टअप योजना के तहत वो हेल्दी फूड ट्रेजर कंपनी मैं कार्य कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस कंपनी का उद्देश्य है कि अपनी सांस्कृतिक व्यंजनों को बेहतर बनाया जाए और उसे बेहतर बनाकर मार्केट में उतारा जाए, ताकि लोग हिमाचल के सांस्कृतिक और पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चख सकें.

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● बेटी के जन्म से मन मे आया आत्मनिर्भर बनने का हौंसला

प्रीति कश्यप का कहना है कि जब उनकी बेटी का जन्म हुआ तो उन्हें लगा कि उन्हें अपनी बेटी के लिए एक रोल मॉडल बनना चाहिए इसके लिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना आत्मनिर्भर बना जाए और कुछ ऐसा किया जाए जिससे उनकी बेटी उन पर गर्व महसूस करें। उन्होंने कहा कि इसी के चलते उन्होंने स्टार्टअप योजना के तहत काम करना शुरू किया और उन्हे सफलता भी मिली है, उन्होंने कहा कि अभी भी भी वे अन्य विषयों पर कार्य कर रही है।

● पूर्वजों की निशानी है सांस्कृतिक व्यंजन की देन

प्रीति कश्यप का कहना है कि सांस्कृतिक व्यंजन हमारे पूर्वजों की निशानी हैं. प्रीति कश्यप बताती है कि उनकी दादी मां और नानी मां पहले से ही सांस्कृतिक व्यंजनों को घर में बनाया करती थी जिसे देख देखकर उन्होंने उनसे खाना बनाना सीखा है, उन्होंने कहा कि उन्हीं सब चीजों को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह आइडिया आया कि वह अपनी पुरानी सभ्यता को कायम रख सकती है.

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उन्होंने कहा कि कचोलटू हिमाचल प्रदेश में एक सांस्कृतिक व्यंजन है जिसे लोग बड़े ही चाव से खाते हैं. उन्होंने बताया कि यह पारंपरिक पकवान ताजा मक्के के दानों को पीसकर अक्सर बेयोल के पत्तों पर स्टीम कर तैयार किया जाता है और इसे घी के साथ परोसा जाता था.

● शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए नौणी विश्वविद्यालय में किया गया कार्य

प्रीति कश्यप का कहना है कि कचोलटू की शेल्फ लाइफ एक या दो दिन की है, लेकिन इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए नौणी यूनिवर्सिटी में इसपर परीक्षण किया गया. क्योंकि पहले यह केवल मक्की के मौसम के दौरान ही उपलब्ध होता था, इससे बाइंडिंग और इसकी शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए इस पर कार्य किया गया है और इसमें आ रही समस्या हल करने में भी मदद मिली है.

● मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना से मिली सपनों को उड़ान

प्रीति कश्यप का कहना है कि वे अपनी बेटी के लिए एक रोल मॉडल बनना चाहती है, इसके लिए जरूरी था कि वे कुछ ऐसा करें जिसमे पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा मिले. उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना पर एप्लाई किया और उन्हें इसमें सफलता भी मिली है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना एक ऐसा मंच है जहां कोई भी अपने सपनों को पूरा तक सकता है. उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि अगर वे भी अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं तो प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना का लाभ जरूर उठायें.

प्रीति कश्यप ने इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना ने उसके सपनों को उड़ान दी. उन्होंने कहा कि योजना के तहत उनके स्टार्ट अप को वर्ष 2019 में स्वीकृत किया गया और उन्हें 01 वर्ष के लिए पोषण भत्ते के रूप में 25 हजार रुपये प्रतिमाह उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. अभी तक उन्हें 2 लाख 30 हजार रुपये मिल चुके हैं.

प्रीति ने कहा कि कभी केवल मक्की के मौसम के दौरान ही बनाए जाने वाले कचोल्टू को लम्बे समय तक बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध करवाने के लिए वे हेल्दी फूड टेजर नाम से एक उद्योग स्थापित करने जा रही हैं.

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उन्होंने कहा कि पारम्परिक व्यंजन कचोल्टू जहां सुपाच्य है वहीं पौष्टिक भी है. वैज्ञानिक परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ है कि मक्की के दानों से तैयार कचोल आंखो के लिए लाभदायक हैं. उनका कहना है कि जिला उद्योग केन्द्र सोलन से स्वीकृति मिलने के उपरान्त जहां वे कचोल्टू का व्यवसायिक उत्पादन आरम्भ करेंगी वहीं, बच्चों के लिए एक ऐसा स्वास्थ्यवर्धक पेय पदार्थ भी बनाएंगी जिसमें विटामिन 12 भरपूर मात्रा में होगा.

ये भी पढ़ें- सिरमौर में 4 नेशनल हाइवे की निगरानी करेगा NH अथाॅरिटी, फील्ड स्टाफ की छुट्टियां भी रद्द

सोलन: देवभूमि हिमाचल को जहां अपनी मनभावन संस्कृति के लिए जाना जाता है वहीं, प्रदेश के हर जिले में ऐसे पारम्परिक व्यंजन बनाए जाते हैं जो देश-विदेश में अत्यंत लोकप्रिय हैं. हिमाचली व्यंजनों की यह परम्परा व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए पूर्ण आहार है.

वर्षों से पोषित हो रही व्यंजनों की यह परिपाटी निजीकरण एवं वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में स्वरोजगार का बेहतर साधन भी है. ऐसा ही एक पारम्परिक व्यंजन है सोलन जिला का 'कचोल या कचोल्टू'. इस व्यंजन को मक्की से तैयार किया जाता है.

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सोलन जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कचोल को बड़े चाव के साथ खाया जाता है. कचोल को प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का बीड़ा उठाया है सोलन की रहने वाली युवा उद्यमी प्रीति कश्यप ने और उनके इस सपने को साकार करने में सहायक बनी है 'मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना’.

प्रीति कश्यप का कहना है कि वह एक वुमन एंटरप्रेन्योरल और स्टार्टअप योजना के तहत वो हेल्दी फूड ट्रेजर कंपनी मैं कार्य कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस कंपनी का उद्देश्य है कि अपनी सांस्कृतिक व्यंजनों को बेहतर बनाया जाए और उसे बेहतर बनाकर मार्केट में उतारा जाए, ताकि लोग हिमाचल के सांस्कृतिक और पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चख सकें.

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● बेटी के जन्म से मन मे आया आत्मनिर्भर बनने का हौंसला

प्रीति कश्यप का कहना है कि जब उनकी बेटी का जन्म हुआ तो उन्हें लगा कि उन्हें अपनी बेटी के लिए एक रोल मॉडल बनना चाहिए इसके लिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना आत्मनिर्भर बना जाए और कुछ ऐसा किया जाए जिससे उनकी बेटी उन पर गर्व महसूस करें। उन्होंने कहा कि इसी के चलते उन्होंने स्टार्टअप योजना के तहत काम करना शुरू किया और उन्हे सफलता भी मिली है, उन्होंने कहा कि अभी भी भी वे अन्य विषयों पर कार्य कर रही है।

● पूर्वजों की निशानी है सांस्कृतिक व्यंजन की देन

प्रीति कश्यप का कहना है कि सांस्कृतिक व्यंजन हमारे पूर्वजों की निशानी हैं. प्रीति कश्यप बताती है कि उनकी दादी मां और नानी मां पहले से ही सांस्कृतिक व्यंजनों को घर में बनाया करती थी जिसे देख देखकर उन्होंने उनसे खाना बनाना सीखा है, उन्होंने कहा कि उन्हीं सब चीजों को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह आइडिया आया कि वह अपनी पुरानी सभ्यता को कायम रख सकती है.

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उन्होंने कहा कि कचोलटू हिमाचल प्रदेश में एक सांस्कृतिक व्यंजन है जिसे लोग बड़े ही चाव से खाते हैं. उन्होंने बताया कि यह पारंपरिक पकवान ताजा मक्के के दानों को पीसकर अक्सर बेयोल के पत्तों पर स्टीम कर तैयार किया जाता है और इसे घी के साथ परोसा जाता था.

● शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए नौणी विश्वविद्यालय में किया गया कार्य

प्रीति कश्यप का कहना है कि कचोलटू की शेल्फ लाइफ एक या दो दिन की है, लेकिन इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए नौणी यूनिवर्सिटी में इसपर परीक्षण किया गया. क्योंकि पहले यह केवल मक्की के मौसम के दौरान ही उपलब्ध होता था, इससे बाइंडिंग और इसकी शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए इस पर कार्य किया गया है और इसमें आ रही समस्या हल करने में भी मदद मिली है.

● मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना से मिली सपनों को उड़ान

प्रीति कश्यप का कहना है कि वे अपनी बेटी के लिए एक रोल मॉडल बनना चाहती है, इसके लिए जरूरी था कि वे कुछ ऐसा करें जिसमे पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा मिले. उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना पर एप्लाई किया और उन्हें इसमें सफलता भी मिली है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना एक ऐसा मंच है जहां कोई भी अपने सपनों को पूरा तक सकता है. उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि अगर वे भी अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं तो प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना का लाभ जरूर उठायें.

प्रीति कश्यप ने इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री स्टार्ट अप योजना ने उसके सपनों को उड़ान दी. उन्होंने कहा कि योजना के तहत उनके स्टार्ट अप को वर्ष 2019 में स्वीकृत किया गया और उन्हें 01 वर्ष के लिए पोषण भत्ते के रूप में 25 हजार रुपये प्रतिमाह उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. अभी तक उन्हें 2 लाख 30 हजार रुपये मिल चुके हैं.

प्रीति ने कहा कि कभी केवल मक्की के मौसम के दौरान ही बनाए जाने वाले कचोल्टू को लम्बे समय तक बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध करवाने के लिए वे हेल्दी फूड टेजर नाम से एक उद्योग स्थापित करने जा रही हैं.

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उन्होंने कहा कि पारम्परिक व्यंजन कचोल्टू जहां सुपाच्य है वहीं पौष्टिक भी है. वैज्ञानिक परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ है कि मक्की के दानों से तैयार कचोल आंखो के लिए लाभदायक हैं. उनका कहना है कि जिला उद्योग केन्द्र सोलन से स्वीकृति मिलने के उपरान्त जहां वे कचोल्टू का व्यवसायिक उत्पादन आरम्भ करेंगी वहीं, बच्चों के लिए एक ऐसा स्वास्थ्यवर्धक पेय पदार्थ भी बनाएंगी जिसमें विटामिन 12 भरपूर मात्रा में होगा.

ये भी पढ़ें- सिरमौर में 4 नेशनल हाइवे की निगरानी करेगा NH अथाॅरिटी, फील्ड स्टाफ की छुट्टियां भी रद्द

Last Updated : Jul 12, 2020, 3:50 PM IST
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