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DC सोलन ने हाई कोर्ट को दिलाया भरोसा, अगली सुनवाई से पहले खाली कर देंगे शिमला का सरकारी आवास, 10 अक्टूबर तक टली सुनवाई - आईएएस अधिकारी किरण भडाणा

महिला आईएएस अधिकारी किरण भडाणा और डीसी सोलन मनमोहन शर्मा के बीच विवाद अब हाई कोर्ट पहुंच गया है. मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान आईएएस मनमोहन शर्मा की तरफ से भरोसा दिलाया गया कि वे अगली सुनवाई से पहले शिमला के सरकारी आवास को खाली कर देंगे. क्या है पूरा मामला... (Himachal Pradesh High Court).

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 15, 2023, 9:37 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार के दो IAS अधिकारियों के बीच शिमला में सरकारी आवास को लेकर पैदा हुआ विवाद अदालत की चौखट तक पहुंचा है. महिला आईएएस अधिकारी किरण भडाणा को शिमला में एक सरकारी आवास अलॉट किया गया था. उस आवास में पहले आईएएस अफसर मनमोहन शर्मा रह रहे थे. उनका तबादला सोलन के डीसी के तौर पर हो गया था, लेकिन उन्होंने शिमला का सरकारी आवास खाली नहीं किया.

किरण भडाणा ने इस बारे में मुख्य सचिव को अवगत करवाया, लेकिन बात नहीं बनी. उसके बाद किरण भडाणा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान आईएएस मनमोहन शर्मा की तरफ से भरोसा दिलाया गया कि वे अगली सुनवाई से पहले शिमला के सरकारी आवास को खाली कर देंगे. वहीं, राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि मनमोहन शर्मा को शिमला में दिए गए आवास की अवधि 30 सितंबर तक बढ़ा दी गई है. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई दस अक्टूबर तक टाल दी.

डीसी सोलन ने कोर्ट को यह भरोसा दिलाया कि मामले की आगामी सुनवाई तक वे हर हालात में सरकारी आवास को खाली कर देंगे. इस पर हाई कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर को निर्धारित की है. प्रदेश हाई कोर्ट में दायर याचिका में प्रार्थी किरण भडाणा ने आरोप लगाया है कि आईएएस मनमोहन शर्मा का तबादला 8 अप्रैल को बतौर डीसी सोलन हुआ था. उन्हें 8 जून को शिमला स्थित सरकारी आवास को खाली करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

किरण भडाणा को वही आवास 1 जुलाई को आवंटित किया गया. प्रार्थी का आरोप है कि वह उक्त निवास को हासिल नहीं कर पा रही है, क्योंकि वह निवास निजी प्रतिवादी ने खाली ही नहीं किया है. प्रार्थी का कहना है कि उन्होंने मुख्य सचिव से भी उक्त आवास मुहैया करवाने के लिए दखल देने की गुहार लगाई है. प्रार्थी ने संबंधित मंडलायुक्त को भी कई बार प्रतिवेदन दिए परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई. प्रार्थी ने कोर्ट से संपदा निदेशक को जरूरी निर्देश देकर उन्हें सरकारी आवास दिलवाने के आदेशों की गुहार लगाई है. प्रार्थी ने डीसी सोलन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग भी की है. अब मामले की सुनवाई दस अक्टूबर को होगी.

ये भी पढ़ें- Himachal: भोरंज महिला बर्बरता मामले में सास समेत 5 गिरफ्तार, पीड़िता ने किया बड़ा खुलासा

शिमला: हिमाचल सरकार के दो IAS अधिकारियों के बीच शिमला में सरकारी आवास को लेकर पैदा हुआ विवाद अदालत की चौखट तक पहुंचा है. महिला आईएएस अधिकारी किरण भडाणा को शिमला में एक सरकारी आवास अलॉट किया गया था. उस आवास में पहले आईएएस अफसर मनमोहन शर्मा रह रहे थे. उनका तबादला सोलन के डीसी के तौर पर हो गया था, लेकिन उन्होंने शिमला का सरकारी आवास खाली नहीं किया.

किरण भडाणा ने इस बारे में मुख्य सचिव को अवगत करवाया, लेकिन बात नहीं बनी. उसके बाद किरण भडाणा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान आईएएस मनमोहन शर्मा की तरफ से भरोसा दिलाया गया कि वे अगली सुनवाई से पहले शिमला के सरकारी आवास को खाली कर देंगे. वहीं, राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि मनमोहन शर्मा को शिमला में दिए गए आवास की अवधि 30 सितंबर तक बढ़ा दी गई है. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई दस अक्टूबर तक टाल दी.

डीसी सोलन ने कोर्ट को यह भरोसा दिलाया कि मामले की आगामी सुनवाई तक वे हर हालात में सरकारी आवास को खाली कर देंगे. इस पर हाई कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर को निर्धारित की है. प्रदेश हाई कोर्ट में दायर याचिका में प्रार्थी किरण भडाणा ने आरोप लगाया है कि आईएएस मनमोहन शर्मा का तबादला 8 अप्रैल को बतौर डीसी सोलन हुआ था. उन्हें 8 जून को शिमला स्थित सरकारी आवास को खाली करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

किरण भडाणा को वही आवास 1 जुलाई को आवंटित किया गया. प्रार्थी का आरोप है कि वह उक्त निवास को हासिल नहीं कर पा रही है, क्योंकि वह निवास निजी प्रतिवादी ने खाली ही नहीं किया है. प्रार्थी का कहना है कि उन्होंने मुख्य सचिव से भी उक्त आवास मुहैया करवाने के लिए दखल देने की गुहार लगाई है. प्रार्थी ने संबंधित मंडलायुक्त को भी कई बार प्रतिवेदन दिए परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई. प्रार्थी ने कोर्ट से संपदा निदेशक को जरूरी निर्देश देकर उन्हें सरकारी आवास दिलवाने के आदेशों की गुहार लगाई है. प्रार्थी ने डीसी सोलन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग भी की है. अब मामले की सुनवाई दस अक्टूबर को होगी.

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