सोलन: हिमाचल विधानसभा चुनाव (Himachal assembly election 2022) में इस बार रिश्ते भी चुनावी मैदान में उतरे हैं. सोलन सदर सीट पर 2017 विधानसभा चुनाव की तरह 2022 में भी ससुर दामाद एक बार फिर आमने-सामने हैं. पूर्व मंत्री और सोलन के मौजूदा विधायक कर्नल धनीराम शांडिल कांग्रेस की टिकट से एक बार फिर चुनावी मैदान में है तो वहीं दूसरी तरफ उनके सामने उनके ही दामाद डॉक्टर राजेश कश्यप दूसरी बार सोलन सदर सीट से विधानसभा चुनाव में उनके सामने हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में ससुर ने 671 मतों के अंतर से दामाद को चुनाव में पटखनी दी थी.
हैट्रिक की तैयारी में धनीराम शांडिल: बात कांग्रेस उम्मीदवार कर्नल धनीराम शांडिल की करें तो शांडिल का जन्म 20 अक्टूबर 1940 को सोलन के गांव बशील में हुआ था. शांडिल एम.ए ,एमफिल और पीएचडी कर चुके हैं. 1962 से 1996 तक कर्नल धनीराम शांडिल में भारतीय सेना में रहे और कर्नल के रूप में सेवानिवृत्त हुए. उसके बाद 1994 में शांडिल ने हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते. फिर 2004 में कांग्रेस की ओर से शांडिल ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते.
उसके बाद शांडिल मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश के जनरल सेक्रेटरी के पद पर रहे. 2012 में शांडिल ने सोलन सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और पूर्व वीरभद्र सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बने. 2017 विधानसभा चुनाव में शांडिल फिर चुनावी रण में उतरे और 671 वोटों के अंतर से चुनाव जीता. वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. शांडिल 10 जनपथ यानी सोनिया गांधी के करीबी भी माने जाते हैं. (Congress candidate from Solan seat).
दूसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे राजेश कश्यप: वहीं दूसरी तरफ भाजपा उम्मीदवार डॉ. राजेश कश्यप का जन्म 10 जनवरी 1963 को सोलन के चायल क्षेत्र में हुआ था. राजेश कश्यप की राजनीतिक पृष्ठभूमि कुछ खास नहीं है. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे. वहीं, इस बार वह भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं. राजेश कश्यप पेशे से डॉक्टर हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव में सेवानिवृत्ति लेकर उन्होंने चुनाव लड़ा था. राजेश कश्यप एमडी मेडिसिन हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राजेश कश्यप ने अपने ही ससुर कर्नल धनीराम शांडिल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और 671 वोटों के अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, एक बार फिर भाजपा ने उन्हें सोलन सदर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. (BJP candidate from Solan seat).
सोलन सीट पर रहा है कांग्रेस का वर्चस्व: आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो सोलन विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा कब्जा कांग्रेस ने ही किया है. सोलन विधानसभा क्षेत्र में 1977 के बाद से अब तक हुए 10 विधानसभा चुनाव में चार बार भाजपा, पांच बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी को जीत मिली है. आंकड़े बताते हैं कि यहां की जनता किसी पार्टी विशेष के बजाय क्षेत्रीय व्यक्तित्व पर भरोसा जताती है. बता दें कि सोलन विधानसभा क्षेत्र में इस बार 85,950 मतदाता हैं. जिसमें से 44,027 मतदाता पुरुष और 41,920 मतदाता महिलाएं हैं. वहीं, तीन थर्ड जेंडर मतदाता भी इस बार अपने मत का प्रयोग करेंगे. (Father in law and son in law contesting election).
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