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20 वर्षों के बाद भ्रमण के लिए निकलते हैं ये देवता, जहां भी प्रवास करते हैं वहां कभी अकाल नहीं पड़ता! - डूम देवता प्रवास

शिमला जिले के ठियोग उपमंडल में डोम देव का मूल मंदिर है. कहते हैं हिमाचल में जहां-जहां इनका वास होता है, वहां पर कभी अकाल या प्राकृतिक आपदा नहीं आती.मान्यता है कि ठियोग के गुठाण क्षेत्र को आज तक देवडोम की अपार आशीर्वाद के कारण आपदा का सामना नहीं करना पड़ा. जानिए पूरी खबर.

Doom devta leave for excursion after 20 years
20 वर्षों के बाद भ्रमण के लिए निकलते हैं ये देवता
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Published : Jan 12, 2020, 7:36 PM IST

सोलन: हिमाचल में कण-कण में देवताओं के वास है. इसी वजह से इसे देवभूमि कहा जाता है. जगह-जगह बने देवताओं के मंदिर से सुबह-शाम घंटियों और भजनों की आवाज हमारे अंतस को छूकर हमें सकारात्मक ऊर्जा देती है..यहां कई मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने भीतर कई रहस्य आज भी छुपाए हुए हैं. शायद इसलिए इन्हे सुनकर या देखकर हम विश्वास नहीं कर पाते कि ऐसा भी होता है. ईटीवी भारत आपको अपनी खास सीरीज रहस्य इसलिए तो लेकर आता है कि आप भी सदियों से चले आ रहे उन रहस्यों को जान सकें.. जिसे सुनकर या देखकर आशर्चय होता है.

इस बार रहस्य की यात्रा में हम आपको किसी मंदिर की नहीं बल्कि डोमदेव की यात्रा पर लेकर चलेंगे. हम आपको कुछ ऐसे रहस्यों से रूबरू करवाएंगे, जो देवता के साथ-साथ चलते हैं. देवभूमि हिमाचल में जहां देवी देवताओं के दर्शन करने लोग मंदिर जाते हैं, वहीं देवी देवता भी भक्तों को दर्शन देने उनके घर -द्वार जाकर उन्हें आशीर्वावाद देते हैं.

शिमला जिले के ठियोग उपमंडल में डोम देव का मूल मंदिर है. कहते हैं हिमाचल में जहां-जहां इनका वास होता है, वहां पर कभी अकाल या प्राकृतिक आपदा नहीं आती.मान्यता है कि ठियोग के गुठाण क्षेत्र को आज तक देवडोम की अपार आशीर्वाद के कारण आपदा का सामना नहीं करना पड़ा.

डोमदेव भी पहाड़ों की राजधानी शिमला से मूल स्थान गुठान से करीब 20 सालों बाद यात्रा पर निकले हैं. डोमदेव गांव-गांव, शहर-शहर जाकर अपने भक्तों का हाल जानकर खुशहाली का आशीर्वाद दे रहे हैं. डोम देवता हर जगह ढोल नगाड़ों के साथ पहुंच रहे हैं.

देव डोम की इस यात्रा का आकर्षण का केंद्र देवधुनों और वाद्य यंत्रों के साथ देवता के साथ आए देवठू पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करना रहता है. परंपरा के अनुसार देव डोम करीब 20 वर्षों के बाद भ्रमण के लिए निकलते हैं. मान्यता है कि जहां-जहां डूम देवता प्रवास करते हैं, वहां पर कभी अकाल और प्रकृतिक आपदा नहीं होती.

वीडियो रिपोर्ट

आपकों बता दें कि देव डोम जब प्रवास पर निकलते हैं तो सबसे पहले कोट काली मंदिर में जाकर मां काली के दर्शन करते हैं. उसके बाद चार सालों के लिए भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस दौरान देवता डोम 18 ठकुराई और 22 रियासतों का दौरा करते हैं. इन दिनों देवता डोम सोलन जिले में लोगों के घर घर जाकर उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं. डोम देवता के साथ पूरा-लाव लश्कर होता है.

ये भी पढ़ें: रहस्य : हादसों से बचने के लिए इन देवता को चढ़ाते हैं नंबर प्लेट व गाड़ियों के कलपुर्जे

सोलन: हिमाचल में कण-कण में देवताओं के वास है. इसी वजह से इसे देवभूमि कहा जाता है. जगह-जगह बने देवताओं के मंदिर से सुबह-शाम घंटियों और भजनों की आवाज हमारे अंतस को छूकर हमें सकारात्मक ऊर्जा देती है..यहां कई मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने भीतर कई रहस्य आज भी छुपाए हुए हैं. शायद इसलिए इन्हे सुनकर या देखकर हम विश्वास नहीं कर पाते कि ऐसा भी होता है. ईटीवी भारत आपको अपनी खास सीरीज रहस्य इसलिए तो लेकर आता है कि आप भी सदियों से चले आ रहे उन रहस्यों को जान सकें.. जिसे सुनकर या देखकर आशर्चय होता है.

इस बार रहस्य की यात्रा में हम आपको किसी मंदिर की नहीं बल्कि डोमदेव की यात्रा पर लेकर चलेंगे. हम आपको कुछ ऐसे रहस्यों से रूबरू करवाएंगे, जो देवता के साथ-साथ चलते हैं. देवभूमि हिमाचल में जहां देवी देवताओं के दर्शन करने लोग मंदिर जाते हैं, वहीं देवी देवता भी भक्तों को दर्शन देने उनके घर -द्वार जाकर उन्हें आशीर्वावाद देते हैं.

शिमला जिले के ठियोग उपमंडल में डोम देव का मूल मंदिर है. कहते हैं हिमाचल में जहां-जहां इनका वास होता है, वहां पर कभी अकाल या प्राकृतिक आपदा नहीं आती.मान्यता है कि ठियोग के गुठाण क्षेत्र को आज तक देवडोम की अपार आशीर्वाद के कारण आपदा का सामना नहीं करना पड़ा.

डोमदेव भी पहाड़ों की राजधानी शिमला से मूल स्थान गुठान से करीब 20 सालों बाद यात्रा पर निकले हैं. डोमदेव गांव-गांव, शहर-शहर जाकर अपने भक्तों का हाल जानकर खुशहाली का आशीर्वाद दे रहे हैं. डोम देवता हर जगह ढोल नगाड़ों के साथ पहुंच रहे हैं.

देव डोम की इस यात्रा का आकर्षण का केंद्र देवधुनों और वाद्य यंत्रों के साथ देवता के साथ आए देवठू पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करना रहता है. परंपरा के अनुसार देव डोम करीब 20 वर्षों के बाद भ्रमण के लिए निकलते हैं. मान्यता है कि जहां-जहां डूम देवता प्रवास करते हैं, वहां पर कभी अकाल और प्रकृतिक आपदा नहीं होती.

वीडियो रिपोर्ट

आपकों बता दें कि देव डोम जब प्रवास पर निकलते हैं तो सबसे पहले कोट काली मंदिर में जाकर मां काली के दर्शन करते हैं. उसके बाद चार सालों के लिए भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस दौरान देवता डोम 18 ठकुराई और 22 रियासतों का दौरा करते हैं. इन दिनों देवता डोम सोलन जिले में लोगों के घर घर जाकर उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं. डोम देवता के साथ पूरा-लाव लश्कर होता है.

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Intro:अनूठा हिमाचल....

देवभूमि हिमाचल जहां देवी देवताओं के दर्शन करने लोग मंदिर जाते है,वहीं देवी देवता भी भक्तों को दर्शन देने उनके घर द्वार जाते है

■ करीब 20 वर्षों के बाद डोमदेव निकले है भृमण के लिए, जात्र कर लोगों को देते है सुख समृद्धि का आशीर्वाद

■ 4 सालों के लिए 18 ठकुराई और 22 रियासतों में दर्शन देने के लिए जाएंगे देव डोम

■ सोलन शिमला और सिरमौर के लोगों के इष्ट देव है देव डोम

■ इन दिनों सोलन जिला में है देव डोम

देवभूमि हिमाचल में देवी देवताओं के अनेकों रूप देखने को मिलते है ,देव आस्था देव परम्परा हिमाचल के कोने कोने में देखने को मिलती है, देवभूमि हिमाचल में लोगों में अपने देवी देवताओं के प्रति अटूट आस्था और श्रद्धा है,इसीलिए कोई भी घर मे अच्छा कार्य है चाहे घर मे शादी हो,या जेष्ठ बेटे की बधाई लोग देवी देवताओं के दर्शन के लिए उनके स्थान पर जरूर पहुंचते है, लेकिन देवभूमि हिमाचल में भक्तों का आना जाना तो मंदिरों में लगा रहता है,लेकिन देवी देवताओं का भी अपने भक्तों का आना होता है।

कहते हैं कि अपने इष्टदेव व कुलजा मां का जिस परिवार पर आशीर्वाद होता है वह परिवार सदा खुशहाल रहता है। अपने परिवार की खुशहाली के लिए लोग अपने देवी देवताओं के दर पर फरियाद लेकर जाते रहते है व इष्ट देव व कुलजा मां भी लोगों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। कभी कभी देवी व देव भी भृमण करते हुए अपने भक्तों को आशीर्वाद देने उनके गांव व शहर आते है।

Body:आजकल डोम देव जिला शिमला के अपने मूल स्थान गुठाण से करीब 20 वर्षो बाद भृमण पर निकले है व गांव गांव, शहर शहर अपने भक्तों को सुख,शांति व खुशहाली का आशीर्वाद दे रहे हैं डुम देव ढोल नगाड़ों के साथ पहुँच रहे है।

देव डोम सबसे पहले कोट काली मंदिर में जाकर माँ काली के दर्शन करते है उसके बाद 4 सालों के लिए भृमण के लिए निकलते है,देव डोम 18 ठकुराई और 22 रियासतों में जाएंगे।

इन दिनों देव डोम सोलन जिला में लोगों के घर घर जाकर उन्हें आशीर्वाद दे रहे है।
लोग अपनी श्रद्धा अनुसार देवता जी को अपना चढ़ावा चढ़ाते है और अपनी रक्षा और सुख शांति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते है ।
Conclusion:देवनृत्य और देवधुनों और वाद्य यंत्रों के साथ देव के साथ आये देवठू पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करते है,जो कि इस जात्र का आकर्षण का केंद्र बनता है,पुरानी परंपरा के अनुसार देव डोम करीब 20 वर्षों के बाद भृमण के लिए निकलते है।

देव के साथ करीब 100 से 120 लोग होते है,जो कि चोला पगड़ी पहन कर जाते है, रात्रि के समय देव डोम तंबू में विश्राम करते है।


देव डोम सुख सम्रद्धि प्रदान करने वाले देव कहे जाते है, देव डोम का प्रत्यक्ष स्थान तहसील ठेयोग जिला शिमला के गुठान में स्थित है जो कि शिमला से करीब 80 किलोमीटर दूर है।
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