सोलन: हिमाचल में कण-कण में देवताओं के वास है. इसी वजह से इसे देवभूमि कहा जाता है. जगह-जगह बने देवताओं के मंदिर से सुबह-शाम घंटियों और भजनों की आवाज हमारे अंतस को छूकर हमें सकारात्मक ऊर्जा देती है..यहां कई मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने भीतर कई रहस्य आज भी छुपाए हुए हैं. शायद इसलिए इन्हे सुनकर या देखकर हम विश्वास नहीं कर पाते कि ऐसा भी होता है. ईटीवी भारत आपको अपनी खास सीरीज रहस्य इसलिए तो लेकर आता है कि आप भी सदियों से चले आ रहे उन रहस्यों को जान सकें.. जिसे सुनकर या देखकर आशर्चय होता है.
इस बार रहस्य की यात्रा में हम आपको किसी मंदिर की नहीं बल्कि डोमदेव की यात्रा पर लेकर चलेंगे. हम आपको कुछ ऐसे रहस्यों से रूबरू करवाएंगे, जो देवता के साथ-साथ चलते हैं. देवभूमि हिमाचल में जहां देवी देवताओं के दर्शन करने लोग मंदिर जाते हैं, वहीं देवी देवता भी भक्तों को दर्शन देने उनके घर -द्वार जाकर उन्हें आशीर्वावाद देते हैं.
शिमला जिले के ठियोग उपमंडल में डोम देव का मूल मंदिर है. कहते हैं हिमाचल में जहां-जहां इनका वास होता है, वहां पर कभी अकाल या प्राकृतिक आपदा नहीं आती.मान्यता है कि ठियोग के गुठाण क्षेत्र को आज तक देवडोम की अपार आशीर्वाद के कारण आपदा का सामना नहीं करना पड़ा.
डोमदेव भी पहाड़ों की राजधानी शिमला से मूल स्थान गुठान से करीब 20 सालों बाद यात्रा पर निकले हैं. डोमदेव गांव-गांव, शहर-शहर जाकर अपने भक्तों का हाल जानकर खुशहाली का आशीर्वाद दे रहे हैं. डोम देवता हर जगह ढोल नगाड़ों के साथ पहुंच रहे हैं.
देव डोम की इस यात्रा का आकर्षण का केंद्र देवधुनों और वाद्य यंत्रों के साथ देवता के साथ आए देवठू पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करना रहता है. परंपरा के अनुसार देव डोम करीब 20 वर्षों के बाद भ्रमण के लिए निकलते हैं. मान्यता है कि जहां-जहां डूम देवता प्रवास करते हैं, वहां पर कभी अकाल और प्रकृतिक आपदा नहीं होती.
आपकों बता दें कि देव डोम जब प्रवास पर निकलते हैं तो सबसे पहले कोट काली मंदिर में जाकर मां काली के दर्शन करते हैं. उसके बाद चार सालों के लिए भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस दौरान देवता डोम 18 ठकुराई और 22 रियासतों का दौरा करते हैं. इन दिनों देवता डोम सोलन जिले में लोगों के घर घर जाकर उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं. डोम देवता के साथ पूरा-लाव लश्कर होता है.
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