ETV Bharat / state

लगातार तीसरी भगवा रंग में रंगी शिमला संसदीय सीट, अपने ही गढ़ में लीड नहीं ले पाए धनीराम शांडिल

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से धनीराम शांडिल को 16999 मत मिले तो वहीं, भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को 46553 मतों के साथ भारी लीड प्राप्त हुई. धनीराम शांडिल अपने विधानसभा क्षेत्र सोलन से भी पिछड़ते नजर आये और यहां उन्हें केवल 20863 मत प्राप्त हुए.

सुरेश कश्यप व धनीराम शांडिल (डिजाइन फोटो)
author img

By

Published : May 23, 2019, 9:34 PM IST

सोलन: लोकसभा चुनाव-2019 में हिमाचल से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. जहां भाजपा ने चारों सीटों पर कब्जा किया है, वहीं कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली शिमला लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने कांग्रेस के दिग्गज नेता व प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल को करारी शिकस्त दी है.

पढ़ें- हार पर बोले राठौर करेंगे विश्लेषण, BJP नहीं मोदी के नाम पर जीते भाजपा प्रत्याशी

भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने सिरमौर शिमला के लगभग सभी विधानसभा के साथ-साथ सोलन जिला के विधानसभा क्षेत्रों से भी लीड प्राप्त की है. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल अपने विधानसभा क्षेत्र सोलन और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से बड़ी लीड लेने में नाकाम रहे. वीरभद्र सिंह, राहुल गांधी, आनंद शर्मा, रजनी पाटिल, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जैसे कांग्रेस के कद्दावर नेता भी मिलकर धनीराम शांडिल को जीत नहीं दिला पाए. इस बार भी मोदी की सुनामी में कांग्रेस नेता डूबते नजर आए.

dhaniram shandil
धनीराम शांडिल, कांग्रेस प्रत्याशी (शिमला संसदीय सीट)

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से धनीराम शांडिल को 16999 मत मिले तो वहीं, भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को 46553 मतों के साथ भारी लीड प्राप्त हुई. धनीराम शांडिल अपने विधानसभा क्षेत्र सोलन से भी पिछड़ते नजर आये और यहां उन्हें केवल 20863 मत प्राप्त हुए. धनीराम शांडिल अपने ही गढ़ में भाजपा प्रत्याशी से भारी मतों से पिछड़ते नजर आए क्योंकि यहां भी सुरेश कश्यप ने 37051 मतों के साथ भारी लीड ली. सोलन जिला के अन्य क्षेत्रों से भी भाजपा को लीड मिलती रही और कांग्रेस के उम्मीदवार पूरी तरह से पिछड़ते नजर आए.

suresh kashyap
सुरेश कश्यप, बीजेपी प्रत्याशी (शिमला संसदीय सीट)

गौर हो कि पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला लोकसभा सीट साल 1967 से ही ये सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. अब तक हुए 12 आम चुनावों में से 8 बार कांग्रेस के प्रत्याशियों ने इस सीट पर जीत दर्ज की. 2009 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला था और वीरेंद्र कश्यप जीते थे. 2014 में भी वीरेंद्र कश्यप ने जीत दर्ज की तो वहीं, 2019 में भाजपा द्वारा प्रत्याशी बदले जाने पर सुरेश कश्यप ने एक बार फिर से ये सीट भाजपा की झोली में डाल दी है.

suresh kashyap and dhaniram shandil
सुरेश कश्यप व धनीराम शांडिल (डिजाइन फोटो)

शिमला संसदीय सीट पर कब कौन जीता?

  • 1967 और 1971 में इस सीट से कांग्रेस के प्रताप सिंह जीते.
  • 1977 में यs सीट भारतीय लोकदल के खाते में चली गई और उसके टिकट पर बालक राम जीते.
  • 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और उसके टिकट पर 1980, 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 का चुनाव लगातार 6 बार कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी जीते.
  • 1999 का चुनाव धनी राम शांडिल, हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर जीतने में कामयाब हुए.
  • 2004 का चुनाव धनी राम शांडिल ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीते.
  • 2009 इस सीट पर पहली बार कमल खिला और बीजेपी के टिकट पर वीरेंद्र कश्यप जीतने में कामयाब हुए.
  • 2014 का भी चुनाव वीरेंद्र कश्यप जीते.
  • वहीं, अब 2019 में भाजपा के सुरेश कश्यप ने इस सीट पर जीत दर्ज की है.

पढ़ें- शिमला में फिर खिला कमल, 'फौजी' ने 'कर्नल' को दी करीब 3 लाख वोट से शिकस्त

सोलन: लोकसभा चुनाव-2019 में हिमाचल से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. जहां भाजपा ने चारों सीटों पर कब्जा किया है, वहीं कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली शिमला लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने कांग्रेस के दिग्गज नेता व प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल को करारी शिकस्त दी है.

पढ़ें- हार पर बोले राठौर करेंगे विश्लेषण, BJP नहीं मोदी के नाम पर जीते भाजपा प्रत्याशी

भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने सिरमौर शिमला के लगभग सभी विधानसभा के साथ-साथ सोलन जिला के विधानसभा क्षेत्रों से भी लीड प्राप्त की है. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल अपने विधानसभा क्षेत्र सोलन और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से बड़ी लीड लेने में नाकाम रहे. वीरभद्र सिंह, राहुल गांधी, आनंद शर्मा, रजनी पाटिल, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जैसे कांग्रेस के कद्दावर नेता भी मिलकर धनीराम शांडिल को जीत नहीं दिला पाए. इस बार भी मोदी की सुनामी में कांग्रेस नेता डूबते नजर आए.

dhaniram shandil
धनीराम शांडिल, कांग्रेस प्रत्याशी (शिमला संसदीय सीट)

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से धनीराम शांडिल को 16999 मत मिले तो वहीं, भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को 46553 मतों के साथ भारी लीड प्राप्त हुई. धनीराम शांडिल अपने विधानसभा क्षेत्र सोलन से भी पिछड़ते नजर आये और यहां उन्हें केवल 20863 मत प्राप्त हुए. धनीराम शांडिल अपने ही गढ़ में भाजपा प्रत्याशी से भारी मतों से पिछड़ते नजर आए क्योंकि यहां भी सुरेश कश्यप ने 37051 मतों के साथ भारी लीड ली. सोलन जिला के अन्य क्षेत्रों से भी भाजपा को लीड मिलती रही और कांग्रेस के उम्मीदवार पूरी तरह से पिछड़ते नजर आए.

suresh kashyap
सुरेश कश्यप, बीजेपी प्रत्याशी (शिमला संसदीय सीट)

गौर हो कि पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला लोकसभा सीट साल 1967 से ही ये सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. अब तक हुए 12 आम चुनावों में से 8 बार कांग्रेस के प्रत्याशियों ने इस सीट पर जीत दर्ज की. 2009 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला था और वीरेंद्र कश्यप जीते थे. 2014 में भी वीरेंद्र कश्यप ने जीत दर्ज की तो वहीं, 2019 में भाजपा द्वारा प्रत्याशी बदले जाने पर सुरेश कश्यप ने एक बार फिर से ये सीट भाजपा की झोली में डाल दी है.

suresh kashyap and dhaniram shandil
सुरेश कश्यप व धनीराम शांडिल (डिजाइन फोटो)

शिमला संसदीय सीट पर कब कौन जीता?

  • 1967 और 1971 में इस सीट से कांग्रेस के प्रताप सिंह जीते.
  • 1977 में यs सीट भारतीय लोकदल के खाते में चली गई और उसके टिकट पर बालक राम जीते.
  • 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और उसके टिकट पर 1980, 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 का चुनाव लगातार 6 बार कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी जीते.
  • 1999 का चुनाव धनी राम शांडिल, हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर जीतने में कामयाब हुए.
  • 2004 का चुनाव धनी राम शांडिल ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीते.
  • 2009 इस सीट पर पहली बार कमल खिला और बीजेपी के टिकट पर वीरेंद्र कश्यप जीतने में कामयाब हुए.
  • 2014 का भी चुनाव वीरेंद्र कश्यप जीते.
  • वहीं, अब 2019 में भाजपा के सुरेश कश्यप ने इस सीट पर जीत दर्ज की है.

पढ़ें- शिमला में फिर खिला कमल, 'फौजी' ने 'कर्नल' को दी करीब 3 लाख वोट से शिकस्त


---------- Forwarded message ---------
From: Ricky Yogesh <rickyyogesh000@gmail.com>
Date: Thu, May 23, 2019, 4:57 PM
Subject: पूर्व CM व अपने विधानसभा क्षेत्र से भी लीड नहीं ले पाए कांग्रेस प्रत्याशी कर्नल शांडिल
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


लोकेशन:-सोलन:-योगेश शर्मा

लोकसभा चुनाव-2019 में हिमाचल से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है| जहाँ भाजपा ने चारों सीटों पर कब्ज़ा किया, वहीँ कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली शिमला लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने कांग्रेस के दिग्गज नेता व प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल को करारी हार का स्वाद चखाया| 

भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने सिरमौर शिमला के लगभग सभी विधानसभा के साथ-साथ सोलन जिला के विधानसभा क्षेत्रों से भी लीड प्राप्त की| वहीँ कांग्रेस के प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल अपने विधानसभा क्षेत्र सोलन और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से बड़ी लीड लेने में नाकाम रहे और मिलकर भी वीरभद्र, राहुल गाँधी, आनंद शर्मा,प्रतिभा पाटिल,भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जैसे कदावर नेता भी कांग्रेस प्रत्याशी जीत नहीं दिला पाए और इस बार भी मोदी और की सुनामी में कांग्रेस के नेता डूबते नजर आए|


बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से धनीराम शांडिल को 16999 मत मिले तो वहीँ भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को 46553 मतो के साथ भारी लीड प्राप्त हुई| वहीँ धनीराम शांडिल अपने विधानसभा क्षेत्र सोलन से भी पिछड़ते नजर आये और यहाँ उन्हें केवल 20863 मत प्राप्त हुए तो अपने ही गढ़ में भाजपा प्रत्याशी से भरी मतों से पिछड़ते नजर आए क्योंकि सुरश कश्यप ने यहाँ भी 37051 मतों के साथ भारी लीड ली| वाही सोलन जिला के अन्य क्षेत्रों से भी भाजपा को लीड मिलती रही और कांग्रेस के उम्मीदवार पूरी तरह से पिछड़ते नजर आए|

गौरतलब है कि पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला लोकसभा सीट साल 1967 से ही यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है| अब तक हुए 12 आम चुनावों में से 8 बार कांग्रेस के प्रत्याशियों ने इस सीट पर जीत दर्ज की है| 2009 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला था और वीरेंद्र कश्यप जीते थे| 2014 में भी वीरेंद्र कश्यप ने जीत दर्ज की| तो वहीं 2019 में भाजपा द्वारा प्रत्याशी बदले जाने पर सुरेश कश्यप ने एक बार फिर से यहाँ सीट भाजपा की झोली में डाल दी|

कब-कब कौन कौन जीता
1967 और 1971 में इस सीट से कांग्रेस के प्रताप सिंह जीते|
1977 में यह सीट भारतीय लोकदल के खाते में चली गई और उसके टिकट पर बालक राम जीते|
1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और उसके टिकट पर 1980, 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 का चुनाव लगातार छह बार कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी जीते
1999 का चुनाव धनी राम शांडिल, हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर जीतने कामयाब हुए|
2004 का चुनाव धनी राम शांडिल ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीते|
2009 इस सीट पर पहली बार कमल खिला और बीजेपी के टिकट पर वीरेंद्र कश्यप जीतने में कामयाब हुए|
2014 का भी चुनाव वीरेंद्र कश्यप जीते|
वहीं अब 2019 में भाजपा के सुरेश कश्यप ने इस सीट पर जीत दर्ज की है|


ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.