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शिव-पार्वती ने क्वागधार से देखा था महाभारत का युद्ध! जानें क्यों खास है भूरेश्वर महादेव का मंदिर - Kwagdhar Temple sirmaur

सिरमौर जिले के नाहन में शिव भगवान का भूरेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. यह मंदिर लोगों की आस्था का अटूट केंद्र माना जाता है. कहते हैं इस मंदिर में जो भी मुराद मांगी जाती है वह भोलेबाबा जरूर पूरी करते हैं. यह मंदिर समुद्र तल से करीब 6800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.

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Published : Mar 9, 2021, 6:53 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 9:52 PM IST

नाहन: क्वागधार स्थित शिव मंदिर को लोग भूरेश्वर महादेव के मंदिर के नाम से जानते हैं. यह मंदिर सिरमौर जिले के नाहन-शिमला हाइवे पर पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के सराहां कस्बे से महज 12 किलोमीटर दूर है. समुद्र तल से करीब 6800 फीट ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर काफी प्राचीन है. इसका इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है. कहते हैं भगवान शिव और मां पार्वती ने महाभारत का युद्ध यहीं से देखा था.

शिव-पार्वती ने क्वागधार से देखा था महाभारत का युद्ध

मंदिर के पुजारी, स्थानीय लोगों सहित मंदिर की दीवार पर लिखी गई कहानी के अनुसार द्वापर युग में क्वागधार पर्वत के शिखर पर बैठकर भगवान शिव और मां पार्वती ने कुरूक्षेत्र के मैदान में कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया महाभारत का युद्ध देखा था. तभी से यहां पर स्वयंभू शिवलिंग की उत्पत्ति मानी जाती है.

वीडियो रिपोर्ट.

35 से 50 फीट पर्वत के नीचे धरती तक समाया है शिवलिंग

बताते हैं कि मंदिर में स्थित शिवलिंग 35 से 50 फीट पर्वत के नीचे धरती तक समाया है. यह मंदिर पच्छाद क्षेत्र के लोगों का कुल देव की मंदिर भी है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां आने वाले भक्तों की सच्चे मन से मांगी गई फरियाद भगवान भोले नाथ जरूर पूरी करते हैं. मंदिर में रखे गए नगाड़े बजाने के बाद ही भक्त भगवान भोले से प्रार्थना करते हैं.

पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है भूरेश्वर मंदिर

भूरेश्वर महादेव की यह पर्वत श्रृंखला देवदार, कायल, बान, चीड़, बुरांस और काफल के पेड़ों से गुलजार है जो यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस पर्वत श्रृंखला से चंडीगढ़, पंचकुला, मोहाली, सोलन, कसौली, शिमला, चूड़धार और हरियाणा की मोरनी हिल्स का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है.

क्वागधार पर्वत श्रृंखला सहित आसपास की प्राकृतिक सुंदरता को देख पर्यटक बार-बार यहां स्वयं ही खींचे चले आते हैं. क्वागधार स्थित भूरेश्वर महादेव मंदिर में पूरे वर्ष श्रद्धालुओं और पर्यटकों का तांता लगा रहता है. मंदिर के प्रति लोगों की भरपूर आस्था है.

चंडीगढ़ से 70 किलोमीटर की दूरी पर है क्वागधार पर्वत

देश के विभिन्न हिस्सों से क्वागधार पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए सबसे नजदीक के रेलवे स्टेशन धर्मपुर, सोलन और कालका हैं. चंडीगढ़ से क्वागधार की दूरी 70 किलोमीटर है. जिला मुख्यालय नाहन से मंदिर की दूरी तकरीबन 52 किलोमीटर है. क्वागधार के समीप सबसे नजदीक का एयरपोर्ट शिमला और चंडीगढ़ है.

पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं धर्मशालाएं और होटल

क्वागधार में ही पच्छाद उपमंडल का सरकारी हेलीपैड भी बना है. नाहन-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पानवा से मंदिर की दूरी मात्र दो किलोमीटर है. मंदिर तक संपर्क सडक का निर्माण किया गया है. पर्यटकों और श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए नैनाटिक्कर में धर्मशाला, हिमाचल टूरिज्म के होटल, सराय और अन्य निजी होटल सहित हिमाचल सरकार के विश्रामगृह उपलब्ध हैं.

ये भी पढ़ें: पर्यटकों की पहली पसंद बनी अटल टनल, अब तक 5 लाख लोग कर चुके हैं दीदार

नाहन: क्वागधार स्थित शिव मंदिर को लोग भूरेश्वर महादेव के मंदिर के नाम से जानते हैं. यह मंदिर सिरमौर जिले के नाहन-शिमला हाइवे पर पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के सराहां कस्बे से महज 12 किलोमीटर दूर है. समुद्र तल से करीब 6800 फीट ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर काफी प्राचीन है. इसका इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है. कहते हैं भगवान शिव और मां पार्वती ने महाभारत का युद्ध यहीं से देखा था.

शिव-पार्वती ने क्वागधार से देखा था महाभारत का युद्ध

मंदिर के पुजारी, स्थानीय लोगों सहित मंदिर की दीवार पर लिखी गई कहानी के अनुसार द्वापर युग में क्वागधार पर्वत के शिखर पर बैठकर भगवान शिव और मां पार्वती ने कुरूक्षेत्र के मैदान में कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया महाभारत का युद्ध देखा था. तभी से यहां पर स्वयंभू शिवलिंग की उत्पत्ति मानी जाती है.

वीडियो रिपोर्ट.

35 से 50 फीट पर्वत के नीचे धरती तक समाया है शिवलिंग

बताते हैं कि मंदिर में स्थित शिवलिंग 35 से 50 फीट पर्वत के नीचे धरती तक समाया है. यह मंदिर पच्छाद क्षेत्र के लोगों का कुल देव की मंदिर भी है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां आने वाले भक्तों की सच्चे मन से मांगी गई फरियाद भगवान भोले नाथ जरूर पूरी करते हैं. मंदिर में रखे गए नगाड़े बजाने के बाद ही भक्त भगवान भोले से प्रार्थना करते हैं.

पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है भूरेश्वर मंदिर

भूरेश्वर महादेव की यह पर्वत श्रृंखला देवदार, कायल, बान, चीड़, बुरांस और काफल के पेड़ों से गुलजार है जो यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस पर्वत श्रृंखला से चंडीगढ़, पंचकुला, मोहाली, सोलन, कसौली, शिमला, चूड़धार और हरियाणा की मोरनी हिल्स का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है.

क्वागधार पर्वत श्रृंखला सहित आसपास की प्राकृतिक सुंदरता को देख पर्यटक बार-बार यहां स्वयं ही खींचे चले आते हैं. क्वागधार स्थित भूरेश्वर महादेव मंदिर में पूरे वर्ष श्रद्धालुओं और पर्यटकों का तांता लगा रहता है. मंदिर के प्रति लोगों की भरपूर आस्था है.

चंडीगढ़ से 70 किलोमीटर की दूरी पर है क्वागधार पर्वत

देश के विभिन्न हिस्सों से क्वागधार पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए सबसे नजदीक के रेलवे स्टेशन धर्मपुर, सोलन और कालका हैं. चंडीगढ़ से क्वागधार की दूरी 70 किलोमीटर है. जिला मुख्यालय नाहन से मंदिर की दूरी तकरीबन 52 किलोमीटर है. क्वागधार के समीप सबसे नजदीक का एयरपोर्ट शिमला और चंडीगढ़ है.

पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं धर्मशालाएं और होटल

क्वागधार में ही पच्छाद उपमंडल का सरकारी हेलीपैड भी बना है. नाहन-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पानवा से मंदिर की दूरी मात्र दो किलोमीटर है. मंदिर तक संपर्क सडक का निर्माण किया गया है. पर्यटकों और श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए नैनाटिक्कर में धर्मशाला, हिमाचल टूरिज्म के होटल, सराय और अन्य निजी होटल सहित हिमाचल सरकार के विश्रामगृह उपलब्ध हैं.

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Last Updated : Mar 10, 2021, 9:52 PM IST
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