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देखें वीडियो: कोरोना काल में गिलोय बन रहा 'संजीवनी बूटी'

हिमाचल प्रदेश में भले ही कोरोना संक्रमितों के मामले बढ़े हैं पर रिकवरी भी ज्यादा हो रही है. यहां पर अधिकतर लोग आयुर्वेदिक काढ़ा और गिलोय के काढ़े का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे रिकवरी ज्यादा हो रही है.

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Published : Oct 4, 2020, 8:27 PM IST

पांवटा साहिब: चीन के वुहान से निकले खतरनाक कोरोना वायरस ने पूरे देश दुनिया को हिला कर रख दिया है. इस वायरस का असर 6 महीने से लगातार बढ़ता जा रहा है और कई लोग इस वायरस की वजह से अपनी जान भी गवां चुके हैं.

वहीं, अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाए तो यहां भले ही कोरोना संक्रमित के मामले बढ़े हैं पर रिकवरी भी ज्यादा हो रही है. यहां पर अधिकतर लोग आयुर्वेदिक काढ़ा और गिलोय के काढ़े का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे रिकवरी ज्यादा हो रही है.

वीडियो.

क्या है गिलोय

गिलोय एक ही ऐसी बेल है जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं. इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है. माना जाता है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई. इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती.

इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं.

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गिलोय लोगों को कोरोना काल में बन रही संजीवनी बूटी

गिलोय का काढ़ा कई बीमारियों से बचाता है. इसका असर देखने को भी मिल रहा है तो वहीं, अगर हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर पांवटा साहिब की बात की जाए तो यहां पर कई लोगों से जब हमने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गिलोय इम्यूनिटी को बढ़ाता है यहां पर अधिकतर लोग रोजाना सुबह-शाम गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल कर रहे हैं.

लोगों ने बताया कि गिलोय व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखता है. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं. यह खून को साफ करता है, बैक्टीरिया से लड़ता है. लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है. ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं.

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कोरोना काल में लोगों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है इस के कड़े पीने से कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की रिकवरी बहुत अच्छी हो रही है. लोगों ने बताया कि पहले गिलोय की बेल तोड़कर घर लाई जाती है इसे खूब पानी में उबाला जाता है. 200ml पानी उबालकर लगभग 50 एमएल पानी जब रह जाता है तब उसे पिया जाता है.

वही, दुकानदार वीर विक्रम ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में तो लगभग गिलोय का काढ़ा कई वर्षों से पिया जा रहा है पर जब से कोरोना शुरू हुआ है गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल ज्यादा किया जा रहा है. यहां पर गिलोय के अधिकांश बेल होने की वजह से यहां पर दुकानों में पाउडर कम बिक रहे हैं, लेकिन फिर भी कुछ लोग दुकानों से पाउडर खरीद रहे हैं.

वहीं, पांवटा साहिब के पंतजलि प्रोडक्ट बेच रहे दुकानदार हेमंत शर्मा ने बताया कि रोजाना पाउडर खरीदने के लिए लोगों के फोन आते हैं. उन्होंने कहा कि रोजाना गिलोय के पाउडर बेचा जा रहा है और यहां पर अधिकतर लोग सुबह शाम गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल जरूर कर रहे हैं.

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वहीं, 70 वर्षीय बुजुर्ग जगदीश चौहान ने बताया कि घर में रोजाना गिलोय का काढ़ा बनाया जाता है. घर में सभी लोग काढ़े को पीते हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक इसका परिणाम सही निकला है यहां के बुजुर्ग महामारी से अभी तक बचे हुए हैं. उन्होंने कहा कि सच में ही गिलोय एक दवाई की तरह काम कर रही है.

आयुर्वेदिक और सरकारी डॉक्टर क्या कहते हैं

पांवटा साहिब में आयुर्वेदिक डॉक्टर पूजा चौहान से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए. गिलोय हर तरह के बुखार से लड़ने में मदद करती है. इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है.

डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है. गिलोय के फायदे डायबिटीज के रोगियों के लिए गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है. इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है.

गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल कोरोना संक्रमित व्यक्तियों द्वारा भी दिया जाता है और इससे रिकवरी भी अच्छी हो रही है. उन्होंने कहा कि काढ़ा रोजाना लोगों को पीना चाहिए, ताकि अन्य बीमारियों से भी लोगों को राहत मिले. उन्होंने बताया कि यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद करती है. इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बड़ियों से बचा रहता है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर पूजा चौहान ने बताया कि मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है. ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए. इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा.

वहीं उन्होंने बताया कि गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है. गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है.

उन्होंने बताया कि गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है. ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है.

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कैसे करें गिलोय का इस्तेमाल

वहीं, पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में तैनात वरिष्ठ डॉक्टर हिमांशु ने बताया कि गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें. छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं. अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है.

उन्होंने बताया कि चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें. इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें. पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं. अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं. यूं तो गिलोय पाउडर बाजार में उपलब्ध है. आप इसे घर पर भी बना सकते हैं.

इसके लिए गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें. सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें. डॉ. हिमांशु ने बताया कि 6 साल से कम बच्चों को गिलोय का काढ़ा कम देना चाहिए और इससे ऊपर सभी लोगों को पीना चाहिए. वहीं, उन्होंने बताया कि कड़े को ज्यादा गर्म और ना ही ज्यादा ठंडा पीना चाहिए यदि पाउडर डालें तो उसकी ज्यादा क्वांटिटी ना डालें.

पांवटा साहिब: चीन के वुहान से निकले खतरनाक कोरोना वायरस ने पूरे देश दुनिया को हिला कर रख दिया है. इस वायरस का असर 6 महीने से लगातार बढ़ता जा रहा है और कई लोग इस वायरस की वजह से अपनी जान भी गवां चुके हैं.

वहीं, अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाए तो यहां भले ही कोरोना संक्रमित के मामले बढ़े हैं पर रिकवरी भी ज्यादा हो रही है. यहां पर अधिकतर लोग आयुर्वेदिक काढ़ा और गिलोय के काढ़े का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे रिकवरी ज्यादा हो रही है.

वीडियो.

क्या है गिलोय

गिलोय एक ही ऐसी बेल है जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं. इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है. माना जाता है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई. इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती.

इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं.

Use of Giloy in Paonta Sahib
फोटो.

गिलोय लोगों को कोरोना काल में बन रही संजीवनी बूटी

गिलोय का काढ़ा कई बीमारियों से बचाता है. इसका असर देखने को भी मिल रहा है तो वहीं, अगर हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर पांवटा साहिब की बात की जाए तो यहां पर कई लोगों से जब हमने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गिलोय इम्यूनिटी को बढ़ाता है यहां पर अधिकतर लोग रोजाना सुबह-शाम गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल कर रहे हैं.

लोगों ने बताया कि गिलोय व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखता है. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं. यह खून को साफ करता है, बैक्टीरिया से लड़ता है. लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है. ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं.

Use of Giloy in Paonta Sahib
फोटो.

कोरोना काल में लोगों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है इस के कड़े पीने से कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की रिकवरी बहुत अच्छी हो रही है. लोगों ने बताया कि पहले गिलोय की बेल तोड़कर घर लाई जाती है इसे खूब पानी में उबाला जाता है. 200ml पानी उबालकर लगभग 50 एमएल पानी जब रह जाता है तब उसे पिया जाता है.

वही, दुकानदार वीर विक्रम ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में तो लगभग गिलोय का काढ़ा कई वर्षों से पिया जा रहा है पर जब से कोरोना शुरू हुआ है गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल ज्यादा किया जा रहा है. यहां पर गिलोय के अधिकांश बेल होने की वजह से यहां पर दुकानों में पाउडर कम बिक रहे हैं, लेकिन फिर भी कुछ लोग दुकानों से पाउडर खरीद रहे हैं.

वहीं, पांवटा साहिब के पंतजलि प्रोडक्ट बेच रहे दुकानदार हेमंत शर्मा ने बताया कि रोजाना पाउडर खरीदने के लिए लोगों के फोन आते हैं. उन्होंने कहा कि रोजाना गिलोय के पाउडर बेचा जा रहा है और यहां पर अधिकतर लोग सुबह शाम गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल जरूर कर रहे हैं.

Use of Giloy in Paonta Sahib
फोटो.

वहीं, 70 वर्षीय बुजुर्ग जगदीश चौहान ने बताया कि घर में रोजाना गिलोय का काढ़ा बनाया जाता है. घर में सभी लोग काढ़े को पीते हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक इसका परिणाम सही निकला है यहां के बुजुर्ग महामारी से अभी तक बचे हुए हैं. उन्होंने कहा कि सच में ही गिलोय एक दवाई की तरह काम कर रही है.

आयुर्वेदिक और सरकारी डॉक्टर क्या कहते हैं

पांवटा साहिब में आयुर्वेदिक डॉक्टर पूजा चौहान से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए. गिलोय हर तरह के बुखार से लड़ने में मदद करती है. इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है.

डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है. गिलोय के फायदे डायबिटीज के रोगियों के लिए गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है. इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है.

गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल कोरोना संक्रमित व्यक्तियों द्वारा भी दिया जाता है और इससे रिकवरी भी अच्छी हो रही है. उन्होंने कहा कि काढ़ा रोजाना लोगों को पीना चाहिए, ताकि अन्य बीमारियों से भी लोगों को राहत मिले. उन्होंने बताया कि यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद करती है. इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बड़ियों से बचा रहता है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर पूजा चौहान ने बताया कि मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है. ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए. इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा.

वहीं उन्होंने बताया कि गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है. गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है.

उन्होंने बताया कि गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है. ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है.

Use of Giloy in Paonta Sahib
फोटो.

कैसे करें गिलोय का इस्तेमाल

वहीं, पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में तैनात वरिष्ठ डॉक्टर हिमांशु ने बताया कि गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें. छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं. अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है.

उन्होंने बताया कि चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें. इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें. पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं. अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं. यूं तो गिलोय पाउडर बाजार में उपलब्ध है. आप इसे घर पर भी बना सकते हैं.

इसके लिए गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें. सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें. डॉ. हिमांशु ने बताया कि 6 साल से कम बच्चों को गिलोय का काढ़ा कम देना चाहिए और इससे ऊपर सभी लोगों को पीना चाहिए. वहीं, उन्होंने बताया कि कड़े को ज्यादा गर्म और ना ही ज्यादा ठंडा पीना चाहिए यदि पाउडर डालें तो उसकी ज्यादा क्वांटिटी ना डालें.

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