नाहन: जिला सिरमौर के नाहन शहर में मुहर्रम मनाने की अलग रिवायत है. देश के दूसरे हिस्सों में मुहर्रम मुस्लिम समाज का शिया लोग मनाते है, वहीं, नाहन में सुन्नी समुदाय के लोग मुहर्रम निकालते हैं.
मुहर्रम का आयोजन मुस्लिम समाज इमाम हुसैन की याद में करता है. इमाम हुसैन नैतिकता की लड़ाई में कर्बला के मैदान में परिवार समेत शहीद हो गए थे. खास बात यह है कि नाहन में मुहर्रम के दौरान जब समुदाय के लोगों द्वारा ताजिए निकाले जाते हैं, तो इसमें न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि हिंदू धर्म के लोग भी शामिल होते हैं. इससे आपसी भाईचारे का एक सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिलता है.
इसी कड़ी में आज मुहर्रम पर नाहन में कुल 4 ताजिए विभिन्न मस्जिदों से निकाले गए. देर शाम मुस्लिम समुदाय के लोग ऐतिहासिक जामा मस्जिद में एकत्रित हुए. यहां ताजिए देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग पहुंचे थे. इस दौरान सुन्नी समुदाय के लोगों का जोश देखते ही बना. मर्शिया पढ़ते व मातम मनाते युवकों ने इमाम हुसैन की शहादत को याद किया. साथ ही देर शाम मस्जिद के पास कर्बला में ताजियों को वापस विदाई दी गई.
अंजुमन इस्लामिया नाहन के अध्यक्ष याकूब बेग ने बताया कि भले ही नाहन में शिया लोग नहीं रहते, लेकिन शहर में सुन्नी मुस्लिम आपसी भाईचारे, सांप्रदायिक सद्भावना की एक मिसाल पेश करते हुए मुहर्रम को मनाते हैं और शियाओं की परंपराओं को जिंदा रखे है. उन्होंने बताया कि हिंदू समुदाय के लोग भी मुहर्रम में शिरकत करते हैं.