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यहां सुन्नी समुदाय मनाता है मुहर्रम, हिंदू समुदाय के लोग भी होते हैं शामिल

मुहर्रम का आयोजन मुस्लिम समाज इमाम हुसैन की याद में करता है. इमाम हुसैन नैतिकता की लड़ाई में कर्बला के मैदान में परिवार समेत शहीद हो गए थे.

मुहर्रम
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Published : Sep 10, 2019, 9:05 PM IST

नाहन: जिला सिरमौर के नाहन शहर में मुहर्रम मनाने की अलग रिवायत है. देश के दूसरे हिस्सों में मुहर्रम मुस्लिम समाज का शिया लोग मनाते है, वहीं, नाहन में सुन्नी समुदाय के लोग मुहर्रम निकालते हैं.

मुहर्रम का आयोजन मुस्लिम समाज इमाम हुसैन की याद में करता है. इमाम हुसैन नैतिकता की लड़ाई में कर्बला के मैदान में परिवार समेत शहीद हो गए थे. खास बात यह है कि नाहन में मुहर्रम के दौरान जब समुदाय के लोगों द्वारा ताजिए निकाले जाते हैं, तो इसमें न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि हिंदू धर्म के लोग भी शामिल होते हैं. इससे आपसी भाईचारे का एक सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिलता है.

इसी कड़ी में आज मुहर्रम पर नाहन में कुल 4 ताजिए विभिन्न मस्जिदों से निकाले गए. देर शाम मुस्लिम समुदाय के लोग ऐतिहासिक जामा मस्जिद में एकत्रित हुए. यहां ताजिए देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग पहुंचे थे. इस दौरान सुन्नी समुदाय के लोगों का जोश देखते ही बना. मर्शिया पढ़ते व मातम मनाते युवकों ने इमाम हुसैन की शहादत को याद किया. साथ ही देर शाम मस्जिद के पास कर्बला में ताजियों को वापस विदाई दी गई.

अंजुमन इस्लामिया नाहन के अध्यक्ष याकूब बेग ने बताया कि भले ही नाहन में शिया लोग नहीं रहते, लेकिन शहर में सुन्नी मुस्लिम आपसी भाईचारे, सांप्रदायिक सद्भावना की एक मिसाल पेश करते हुए मुहर्रम को मनाते हैं और शियाओं की परंपराओं को जिंदा रखे है. उन्होंने बताया कि हिंदू समुदाय के लोग भी मुहर्रम में शिरकत करते हैं.

वीडियो

ये भी पढ़ें: बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही, पांवटा साहिब के गिरिपार क्षेत्र में पिछले 24 घंटों से बिजली गुल

नाहन: जिला सिरमौर के नाहन शहर में मुहर्रम मनाने की अलग रिवायत है. देश के दूसरे हिस्सों में मुहर्रम मुस्लिम समाज का शिया लोग मनाते है, वहीं, नाहन में सुन्नी समुदाय के लोग मुहर्रम निकालते हैं.

मुहर्रम का आयोजन मुस्लिम समाज इमाम हुसैन की याद में करता है. इमाम हुसैन नैतिकता की लड़ाई में कर्बला के मैदान में परिवार समेत शहीद हो गए थे. खास बात यह है कि नाहन में मुहर्रम के दौरान जब समुदाय के लोगों द्वारा ताजिए निकाले जाते हैं, तो इसमें न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि हिंदू धर्म के लोग भी शामिल होते हैं. इससे आपसी भाईचारे का एक सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिलता है.

इसी कड़ी में आज मुहर्रम पर नाहन में कुल 4 ताजिए विभिन्न मस्जिदों से निकाले गए. देर शाम मुस्लिम समुदाय के लोग ऐतिहासिक जामा मस्जिद में एकत्रित हुए. यहां ताजिए देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग पहुंचे थे. इस दौरान सुन्नी समुदाय के लोगों का जोश देखते ही बना. मर्शिया पढ़ते व मातम मनाते युवकों ने इमाम हुसैन की शहादत को याद किया. साथ ही देर शाम मस्जिद के पास कर्बला में ताजियों को वापस विदाई दी गई.

अंजुमन इस्लामिया नाहन के अध्यक्ष याकूब बेग ने बताया कि भले ही नाहन में शिया लोग नहीं रहते, लेकिन शहर में सुन्नी मुस्लिम आपसी भाईचारे, सांप्रदायिक सद्भावना की एक मिसाल पेश करते हुए मुहर्रम को मनाते हैं और शियाओं की परंपराओं को जिंदा रखे है. उन्होंने बताया कि हिंदू समुदाय के लोग भी मुहर्रम में शिरकत करते हैं.

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Intro:- देशभर में शिया निकालते हैं ताजिए, पर ऐतिहासिक शहर में सुन्नी निभाते हैं रिवायत
- आपसी भाईचारे की भी दिखती है झलक, हिंदू धर्म के लोग भी करते हैं शिरकत
- रियासत कालीन समय से मनाया जा रहा मोहर्रम, इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है मोहर्रम
नाहन। मोहर्रम देश भर में मनाया जाता है, मगर नाहन शहर में मोहर्रम मनाने की अलग रिवायत है।


Body:दरअसल 1621 में बसे ऐतिहासिक शहर नाहन में मोहर्रम को मनाने की रिवायत कुछ खास है। वह इसलिए, क्योंकि देश के अन्य हिस्सों में जहां मोहर्रम मुस्लिम समाज का शिया समुदाय मनाता है, वही नाहन में इसका आयोजन सुन्नी समुदाय द्वारा किया जाता है। मोहर्रम का आयोजन मुस्लिम समाज द्वारा इमाम हुसैन की याद में किया जाता है, जो नैतिकता की लड़ाई में कर्बला के मैदान में परिवार सहित शहीद हो गए थे।
खास बात यह है कि नाहन में मोहर्रम के दौरान जब समुदाय के लोगों द्वारा ताजिए निकाले जाते हैं, तो इसमें न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि हिंदू धर्म के लोग भी शामिल होते हैं, जिससे आपसी भाईचारे का एक सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिलता है।
इसी कड़ी में आज मोहर्रम पर नाहन शहर में कुल 4 ताजिए शहर की विभिन्न मस्जिदों से निकाले गए, जो देर शाम ऐतिहासिक जामा मस्जिद में एकत्रित हुए। यहां ताजिए देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग पहुंचे थे। इस दौरान सुन्नी समुदाय के लोगों का जोश देखते ही बना। मर्शिया पढ़ते व मातम मनाते युवकों ने इमाम हुसैन की शहादत को याद किया। देर शाम मस्जिद के निकट कर्बला में ताजियों को वापस विदाई दी गई।
अंजुमन इस्लामिया नाहन के अध्यक्ष याकूब बेग ने बताया कि भले ही नाहन में शिया लोग नहीं रहते, लेकिन शहर में सुन्नी मुस्लिम आपसी भाईचारे, सांप्रदायिक सद्भावना की एक मिसाल पेश करते हुए मोहर्रम को मनाते हैं और शियाओं की परंपराओं को जिंदा रखे है। उन्होंने बताया कि हिंदू समुदाय के लोग भी मोहर्रम में शिरकत कर अपनी भेंट प्रस्तुत करते हैं।
बाइट : याकूब बेग, अध्यक्ष, अंजुमन इस्लामिया नाहन


Conclusion:कुल मिलाकर नाहन में मोहर्रम के दौरान पेश आने वाली यह तस्वीरें अपने आप में खास हैं और वर्षों से चली आ रही रिवायत को सुन्नी समुदाय आज भी निभा रहा है।
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