पांवटा साहिब: प्रदेश सरकार बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए कई अभियान चला रही है, इसलिए कोरोना काल के दौर में भी बच्चों की पढ़ाई को सुचारू रखने के लिए सरकार ने ऑनलाइन कक्षाओं का प्रावधान किया है. बीते चार महीनों से बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से पढ़ाई कर रहे हैं.
सरकार का यह कदम वाकई काबिले तारीफ है, लेकिन हिमाचल के कई इलाकों में फोर जी और 3 जी के सिग्नल भी सही से नहीं आते हैं. ऐसे में दूर दराज के इलाकों में रहने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई को समय सीमा के अंदर पूरा नहीं कर पा रहे हैं.
सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं, जहां पर लोग नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं. यहां के बच्चों का कहना है कि वह सही तरीके से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. अध्यापकों द्वारा कार्य तो दिया जा रहा है, लेकिन सिग्नल ना होने के कारण उनका होम वर्क अधूरा रह जाता है.
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सरकार ऑनलाइन क्लासिस की बात कर रही है, लेकिन ना जाने कितने ही गरीब बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं है. पढ़ाई की चिंता सिर्फ बच्चों को ही नहीं बल्कि उनके माता-पिता को भी सता रही है.
बच्चों के माता-पिता गरीबी में इतने लाचार है कि वह मोबाइल फोन खरीद नहीं सकते. फोन खरीद भी लिया तो नेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. कफोटा पंचायत की एक महिला ने बताया कि सिग्नल ना होने की वजह से बच्चों को पढ़ाने में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक को भी पढ़ाई की चिंता सता रही है, लेकिन बात अगर पढ़ाने वाले अध्यापकों की करे तो चुनौतियां उनके समक्ष भी कम नहीं है. कफोटा स्कूल इंचार्ज ने बताया कि रोजाना स्कूली छात्रों को ऑनलाइन काम दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन रिजल्ट सही नहीं आ रहा है. कई बच्चों से तो संपर्क साधना भी चिंता का विषय बनता जा रहा है.
बता दें कि स्मार्टफोन के आभाव में जो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, शिक्षा विभाग उन्हें नोट्स मुहैया करवाएगा. जो सिलेबस ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है, उसी स्टडी मटेरियल के नोट्स बना कर विभाग बच्चों के घरों तक पहुंचाएगा,लेकिन यह धरातल पर कब संभव होगा इस बात को कोई नहीं जानता.
सिरमौर के दूर दराज में रहने वाले बच्चों के पास अब सिर्फ एक विकल्प शेष रह गया है कि पढ़ने के लिए उन्हें अपने क्षेत्र से पलायन कर दूसरे स्कूलों में एडमिशन लेनी पड़ेगी. समय रहते अगर सरकार ने अपने प्लान को धरातल पर नहीं उतारा तो बच्चों को अपने इस विकल्प का ही चयन करना पड़ेगा.
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