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'मौत' के मकानों को लेकर पांवटा प्रशासन बेपरवाह, हर साल बढ़ती जा रही है जर्जर इमारतों की संख्या

पांवटा साहिब में जर्जर हो चुके भवनों को लेकर प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. हर साल जर्जर मकानों की संख्या बढ़ती जा रही है. लोगों ने बताया कि प्रशासन की ओर से सिर्फ नोटिस दिए जाते हैं, कोई कार्रवाई नहीं की जाती.

Paonta sahib
Paonta sahib
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Published : Oct 25, 2020, 10:37 PM IST

Updated : Oct 26, 2020, 2:14 PM IST

पावंटा साहिब: जिला सिरमौर के पांवटा साहिब हर साल जर्जर मकानों की संख्या बढ़ती जा रही है. जर्जर हो चुके इन सरकारी और गैर सरकारी भवनों को प्रशासन की ओर से नोटिस तो जारी कर दिया जाता है, लेकिन उसके बाद ज्यादातर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.

हैरानी की बात तो यह है कि इन जर्जर इमारतों में लोग भी रह रहे हैं और कइ जगहों पर सरकारी दफ्तर भी चल रहे हैं. समय पर इन इमारतों को ना गिराने पर हादसे के दौरान आस पास के मकानों को अपनी जद में ले सकती हैं.

वीडियो.

पावंटा साहिब के शिलाई क्षेत्र की हि बात की जाए तो मौजूदा समय में 35 मकान हादसे को न्यौता दे रहे हैं. हालांकि प्रशासन की ओर से इनमें से कुछ मकान मालिकों को नोटिस भी जारी किए गए हैं. जब लोगों से इस बारे में बात की गई तो, उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उनके आस पास की इमारतों को अनसेफ घोषित कर दिया है. पिछले 2 सालों से इमारतों की हालत जस की तस बनी हुई है. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

प्रशासन की मानें तो एक मकान की बुनियाद 10 साल तक सही तरीके से रहती है. उसके बाद बिल्डिंग के लिए रिपेयरिंग कॉल दी जाती है, लेकिन पांवटा साहिब में ऐसे कई इमारतें हैं, जिनकी कभी मरम्मत नहीं की गई.

वहीं, नगर परिषद पावंटा से पता चला कि उनके पास कागजों में जर्जर इमारतों का कोई भी लेखा-जोखा ही नहीं है. पावंटा शहर में जर्जर मकानों के सर्वे करवाने की आज तक जरूरत ही नहीं समझी गई.

एसडीएम गौरव धीमान

पावंटा क्षेत्र में जर्जर इमारतों को लेकर एसडीएम गौरव धीमान ने बताया कि उनके यहां पर चार विधानसभाओं की पंचायतें आती हैं. पावंटा, नाहान, रेणुका और शिलाई पंचायती क्षेत्र में कई ऐसे मकान हैं, जो जर्जर हालत में हैं. जिन पंचायतों में जर्जर हालत में मकान होते हैं, यदि मकान मालिक बीपीएल श्रेणी में आता है, तो उन्हें मकान बनाने के लिए सरकारी सहायता की जाती है.

पीड़ित को सरकारी मदद जारी करने की प्रक्रिया

ऐसे मामलों के लिए प्रशासन द्वारा एक टीम गठित की गई है. जिसमें खंड विकास अधिकारी, एसडीओ, कनिष्ठ अभियंता, सचिव मिलकर मकान का निरीक्षण करते हैं और मकान मालिक को नोटिस पारित किया जाता है. यदि मकान मालिक की हालत सही नहीं है, तो उसे मकान बनाने के लिए भी प्रशासन द्वारा मदद दी जाती है.

बीते एक एक साल में 65 मकान हुए क्षतिग्रस्त

जर्जर हो चुकी इन इमारतों पर कार्रवाई को लेकर पांवटा साहिब तहसीलदार कपिल तोमर ने बताया कि पिछले एक साल में 65 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. प्राकृतिक आपदा में मृत्यु होने पर आश्रितों को चार लाख का मुआवजा दिया जाता है, पहले ढाई लाख रुपए दिए जाता था. अब घायलों के लिए राहत राशि बढ़ा दी गई है.

अगर कोई ऐसा मामला सामने आता है तो, सूचना मिलने के बाद एसडीएम तहसीलदार और नायब तहसीलदार मौके पर पहुंच कर इसकी तस्दीक करते हैं, जिसके बाद राशि तय की जाती है. ऐसे मामलों में सरकार की ओर से हादसों में राहत राशि ढाई लाख से चार लाख कर दी गई है.

कुल मिलाकर पांवटा क्षेत्र में बढ़ रही जर्जर इमारतों की संख्या को लेकर प्रशासन सिर्फ कागजी कार्रवाई तक ही सीमित है. हालांकि बरसात के मौसम में हर बार इस तरह के हादसे जरुर होते हैं. जिसके बाद प्रशासन की ओर से अधिकारी जायजा लेने के बाद राहत राशि जारी करते हैं.

पढ़ें: लोन लौटाने के नाम पर हो रही ठगी, महिला ने साइबर सेल से की शिकायत

पावंटा साहिब: जिला सिरमौर के पांवटा साहिब हर साल जर्जर मकानों की संख्या बढ़ती जा रही है. जर्जर हो चुके इन सरकारी और गैर सरकारी भवनों को प्रशासन की ओर से नोटिस तो जारी कर दिया जाता है, लेकिन उसके बाद ज्यादातर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.

हैरानी की बात तो यह है कि इन जर्जर इमारतों में लोग भी रह रहे हैं और कइ जगहों पर सरकारी दफ्तर भी चल रहे हैं. समय पर इन इमारतों को ना गिराने पर हादसे के दौरान आस पास के मकानों को अपनी जद में ले सकती हैं.

वीडियो.

पावंटा साहिब के शिलाई क्षेत्र की हि बात की जाए तो मौजूदा समय में 35 मकान हादसे को न्यौता दे रहे हैं. हालांकि प्रशासन की ओर से इनमें से कुछ मकान मालिकों को नोटिस भी जारी किए गए हैं. जब लोगों से इस बारे में बात की गई तो, उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उनके आस पास की इमारतों को अनसेफ घोषित कर दिया है. पिछले 2 सालों से इमारतों की हालत जस की तस बनी हुई है. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

प्रशासन की मानें तो एक मकान की बुनियाद 10 साल तक सही तरीके से रहती है. उसके बाद बिल्डिंग के लिए रिपेयरिंग कॉल दी जाती है, लेकिन पांवटा साहिब में ऐसे कई इमारतें हैं, जिनकी कभी मरम्मत नहीं की गई.

वहीं, नगर परिषद पावंटा से पता चला कि उनके पास कागजों में जर्जर इमारतों का कोई भी लेखा-जोखा ही नहीं है. पावंटा शहर में जर्जर मकानों के सर्वे करवाने की आज तक जरूरत ही नहीं समझी गई.

एसडीएम गौरव धीमान

पावंटा क्षेत्र में जर्जर इमारतों को लेकर एसडीएम गौरव धीमान ने बताया कि उनके यहां पर चार विधानसभाओं की पंचायतें आती हैं. पावंटा, नाहान, रेणुका और शिलाई पंचायती क्षेत्र में कई ऐसे मकान हैं, जो जर्जर हालत में हैं. जिन पंचायतों में जर्जर हालत में मकान होते हैं, यदि मकान मालिक बीपीएल श्रेणी में आता है, तो उन्हें मकान बनाने के लिए सरकारी सहायता की जाती है.

पीड़ित को सरकारी मदद जारी करने की प्रक्रिया

ऐसे मामलों के लिए प्रशासन द्वारा एक टीम गठित की गई है. जिसमें खंड विकास अधिकारी, एसडीओ, कनिष्ठ अभियंता, सचिव मिलकर मकान का निरीक्षण करते हैं और मकान मालिक को नोटिस पारित किया जाता है. यदि मकान मालिक की हालत सही नहीं है, तो उसे मकान बनाने के लिए भी प्रशासन द्वारा मदद दी जाती है.

बीते एक एक साल में 65 मकान हुए क्षतिग्रस्त

जर्जर हो चुकी इन इमारतों पर कार्रवाई को लेकर पांवटा साहिब तहसीलदार कपिल तोमर ने बताया कि पिछले एक साल में 65 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. प्राकृतिक आपदा में मृत्यु होने पर आश्रितों को चार लाख का मुआवजा दिया जाता है, पहले ढाई लाख रुपए दिए जाता था. अब घायलों के लिए राहत राशि बढ़ा दी गई है.

अगर कोई ऐसा मामला सामने आता है तो, सूचना मिलने के बाद एसडीएम तहसीलदार और नायब तहसीलदार मौके पर पहुंच कर इसकी तस्दीक करते हैं, जिसके बाद राशि तय की जाती है. ऐसे मामलों में सरकार की ओर से हादसों में राहत राशि ढाई लाख से चार लाख कर दी गई है.

कुल मिलाकर पांवटा क्षेत्र में बढ़ रही जर्जर इमारतों की संख्या को लेकर प्रशासन सिर्फ कागजी कार्रवाई तक ही सीमित है. हालांकि बरसात के मौसम में हर बार इस तरह के हादसे जरुर होते हैं. जिसके बाद प्रशासन की ओर से अधिकारी जायजा लेने के बाद राहत राशि जारी करते हैं.

पढ़ें: लोन लौटाने के नाम पर हो रही ठगी, महिला ने साइबर सेल से की शिकायत

Last Updated : Oct 26, 2020, 2:14 PM IST
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