पांवटा साहिब: किसानों की खून पसीने की मेहनत को जंगली जानवर तबाह करने में कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. जंगली सुअर, हाथी, बंदर, नीलगाय जैसे जानवर फसल बर्बाद कर रहे हैं. जिला सिरमौर के पांवटा साहिब के दोनों शहरी और ग्रामीण इलाकों में जंगली जानवरों का आंतक लंबे समय से देखने को मिल रहा है.
जंगली जानवरों के इस आंतक से परेशान किसानों का कहना है कि एक तरफ सरकार कृषि पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों के साथ वादे करती है, लेकिन इसके लिए पहले सालों से चली आ रही जंगली जानवरों की समस्या से निजात दिलवाना जरूरी है.
लोगों के मुताबिक हर साल पांवटा साहिब में हरियाणा, यूपी और उत्तराखंड से लगती पंचायतों में हाथी हर साल आते हैं और लोगों की लाखों की फसल को तबाह कर जाते हैं. फसलों के नुकसान के साथ-साथ घरों को भी नुकसान पहुंचाने के मामले में भी सामने आए हैं. बीते आठ महीनों में गेहूं, धान की फसल को गजराज ने कई बार नुकसान पहुंचाया, तो वही दो घरों की टीन और दीवारें भी तोड़ डाली. वहीं, इस बार धान की फसल का भी तीन लाख से अधिक का नुकसान पहुंचा है.
पांवटा के बाजार में भी हाथिओं ने मचाया उत्पात
कुछ दिन पहले पांवटा साहिब के मेन बाजार और मेन बाजार के साथ लगते खेतों में हाथियों ने उत्पात मचाया. बाजार में हाथी पहुंचने से शहर में दहशत का माहौल बढ़ गया है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में जंगली सूअर आवारा पशु तो शहरी इलाकों में हाथी का आतंक बढ़ता जा रहा है.
हाथियों के आंतक से परेशान पांवटा के किसान ने बताया कि उनका तीन लाख से अधिक के धान हाथियों ने तबाह कर दिए. 6 महीने की मेहनत पर हाथी के जोड़े ने पानी फेर दिया था. मुआवजे की मांग पर प्रशासन की ओर से मात्र 50 हजार की सहायता का आश्वासन मिला है.
वहीं, ग्रामीण इलाकों के एक किसान ने बताया कि गांव में तेंदुआ, जंगली सुअर और अन्य आवारा पशु लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बने हुए हैं. हर साल किसानों की मेहनत पर जंगली जानवर का पानी पी रहे हैं. विभाग की ओर से कोई भी ऐसा पुख्ता कदम नहीं उठाया जाता, जिससे इन आवारा पशुओं पर या जंगली जानवरों पर नकेल कसी जाए.
डीएफओ कुनाल अंग्रीश ने बताया कि उत्तराखंड राजाजी नेशनल पार्क से यहां पर हर साल हाथी रास्ता भटकते हुए रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं और यहां की किसानों को भारी नुकसान पहुंचा देते हैं. विभाग द्वारा आवारा पशुओं और हाथियों को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
3 राज्यों की सीमा होने की वजह से लोगों को होती है ज्यादा समस्या
तीन राज्यों की सीमा होने की वजह से यहां पर जंगल के रास्ते अधिक हाथी पाए जाते हैं जोकि उत्तराखंड होते हुए हरियाणा से पलोहडी ओर सिंबलवाला के जंगल में जाते हैं. अक्सर रास्ता भटकने के बाद रिहायशी क्षेत्रों में भी आकर किसानों का नुकसान पहुंचा देते हैं.
सूचना मिलते ही उनकी टीम मौके पर पहुंचती हैं. आवारा पशुओं और जंगली जानवरों को रोकने के लिए के यमुना नदी पर 300 मीटर की एक दीवार भी दी जा रही है ताकि शहरी इलाकों में हाथी ना घुस सकें.
साथ ही सरकार की ओर एक योजना भी शुरू की गई है, जिसमें सोलर पैनल के माध्यम से किसान अपने खेतों में तार लगा सकते हैं, ताकि हाथी खेतों में नुकसान न पहुंचा सकें. उन्होंने कहा कि मुआवजा उन्हीं को दिया जाता है जिन्हें जान का खतरा हुआ हो इसके अलावा फसलों का नुकसान की भरपाई किसान विभाग द्वारा ही दी जाती है.
इसके अलावा किसी की मृत्यु होने पर चार लाख से अधिक का मुआवजा विभाग द्वारा दिया जाता है. हाथियों को खदेड़ने के लिए पटाखे स्पीकर आदि का इस्तेमाल किया जाता है और हमेशा लोगों को जागरूक भी किया जाता है.
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