नाहन: सिरमौर जिला के मैदानी क्षेत्रों में धान की व्यवसायिक खेती की जाती हैं. विशेषकर पांवटा साहिब सहित यहां के कई इलाकों में काफी संख्या ने धान उगाया जाता है. धान की फसल के लिए पानी काफी आवश्यक होता है. लिहाजा बारिश पर इसकी निर्भरता रहती है. धान लगाने के लिए किसान को पहले पनीरी तैयार करनी पड़ती है या फिर खरीदनी पड़ती है. इसे लगाने को भी खेतों में पानी चाहिए होता है, लेकिन अब किसान को न तो धान की पनीरी तैयार करनी पड़ेगी और न ही खरीदनी होगी, क्योंकि सिरमौर जिला में कृषि विभाग ने बिजाई को लेकर एक ट्रायल किया है, जो काफी सफल रहा है.
इसमें किसान धान को रोपने की बजाए सीधे अपने खेतों में बिजाई करेगा और केवल सामान्य पानी की ही आवश्यकता होगी. सिरमौर जिला कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ राजेन्द्र ठाकुर ने बताया कि विभाग ने प्राकृतिक खेती पर आधारित सीधे धान बिजाई का एक ट्रायल अपने फार्म भंगानी पांवटा साहिब में किया था, जो काफी सफल रहा है. उन्होंने बताया कि धान की फसल को लेकर प्राकृतिक विधि से बिजाई करने का यह ट्रायल डेढ़ हेक्टेयर भूमि पर किया गया था. इसमें धान के साथ बीच में माश इत्यादि की फसल भी लगाई जा सकती है.
इसका लाभ यह है कि अब धान को कम पानी वाले क्षेत्रों में भी लगाया का सकता है. इससे किसानो को लाभ मिलेगा और वह धान की पनीरी तैयार करने या खरीदने से भी बच सकेंगे. दूसरे धान भी उत्तम किस्म का पैदा होगा. बता दें कि विभाग ने अपने फार्म में डेढ़ हेक्टेयर में से 5 बीघा पर एच.पी.आर. 2143, 6 बीघा पर एच.पी.आर. 2656 व 3 बीघा पर कस्तूरी बासमती की किस्में उगाई थी, जिनके अच्छे परिणाम आ रहे हैं.
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