नाहन: हिमाचल प्रदेश के 68 विधानसभा क्षेत्रों से विधानसभा चुनाव-2022 के लिए प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला जनता ईवीएम में कैद कर चुकी है. 8 दिसंबर को मतगणना के बाद यह तय होगा कि सभी विधानसभा क्षेत्रों से जनता ने किसे अपना विधायक चुनकर 16वीं विधानसभा के लिए भेजा है.अलबत्ता अभी चुनावी परिणाम आने में थोड़ा समय है. ईटीवी भारत प्रदेश की रोचक सीटों को लेकर विश्लेषण कर रहा है. इसी कड़ी में अब हम सिरमौर जिले की श्री रेणुका जी सीट की बात करेंगे. इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा में टक्कर है. कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार और भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह के बीच ही मुकाबला है. (Shri Renuka Ji Seat)
कौन है कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार: पंजाब बोर्ड से 10वीं तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले 39 वर्षीय वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार यहां से लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं. पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे विनय कुमार पूर्व की वीरभद्र सरकार में सीपीएस लोक निर्माण विभाग बनाए गए थे. इस चुनाव में लगातार तीसरी मर्तबा पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया. लिहाजा उन्होंने इस चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए प्रचार में ऐडी चोटी का जोर लगाया. राजनीतिक सफर के दौरान महज 39 साल की उम्र में ही विनय कुमार, 6 बार विधायक रह चुके अपने पिता प्रेम सिंह की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राजनीति में एक मंजे हुए नेता बन चुके हैं.
कौन है भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह: 56 वर्षीय भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह को पहली बार पार्टी ने इस सीट पर टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा. अर्थशास्त्र में एमए शिक्षा ग्रहण कर चुके नारायण सिंह अपने मिलनसार स्वभाव के कारण क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने के प्रयास में जुटे हैं. इसके अलावा इस सीट से तीन अन्य प्रत्याशी और हैं. राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी से जगमोहन सिंह, आम आदमी पार्टी से राम कृष्ण व आजाद उम्मीदवार के तौर पर दलीप सिंह के नाम शामिल हैं. (Himachal Pradesh elections result 2022)
भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी आपस में भाई: इस बार कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार के सामने उनके मामा के बेटे नारायण सिंह भाजपा प्रत्याशी है. आपस में मामा व बुआ के लड़के होने के नाते दोनों में भाई का रिश्ता होने की वजह से भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है.
दोनों प्रत्याशी करोड़पति: कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार भी करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं. निर्वाचन आयोग को सौंपे शपथ पत्र के मुताबिक विनय कुमार के पास 5,48,96,646 की अचल संपति है. जबकि वह 1,39,46,604 रुपये की चल संपत्ति के मालिक भी हैं. विनय पर 92,83,313 रुपये की देनदारी भी हैं. दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह के पास 12,03,990 रुपये की चल संपत्ति है. जबकि वह 1,25,00,000 की अचल संपति के मालिक भी है. इसके अलावा नारायण सिंह पर 31,46,711 रुपये की देनदारी भी है.
इस बार यहां 78.91 प्रतिशत हुआ मतदान: विधानसभा चुनाव की मतदान प्रक्रिया में श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र में इस बार 78.91 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. यहां कुल 73760 मतदाताओं में से 58203 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इसमें 30994 पुरुष व 27809 महिला मतदाता शामिल हैं. इससे पहले 2017 के विस चुनाव में इस सीट पर 77.60 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. अभी पोस्टल बैलेट आना बाकी है. ऐसे में इस बार भी यहां आंशिक रूप से मतदान प्रतिशतता में बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है.
अब तक ये रहे यहां से विधायक: 1952 में धर्म सिंह (कांग्रेस), 1953 में वैद्य सूरत सिंह (कांग्रेस), 1957 में गुमान सिंह (कांग्रेस), 1962 में जालम सिंह (कांग्रेस), 1967 व 1972 में डॉ. वाईएस परमार (कांग्रेस), 1977 में रूप सिंह (जनता दल), 1982 व 1985 में प्रेम सिंह (कांग्रेस), 1990 में रूप सिंह (जनता दल), 1993 से 2007 तक लगातार चार बार प्रेम सिंह (कांग्रेस), 2011 में हिरदा राम (भाजपा), 2012 व 2017 के चुनाव में लगातार दो बार विनय कुमार (कांग्रेस) यहां से विधायक बने हैं.
इन मुद्दों पर लड़ा गया यह चुनाव: चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार जहां प्रदेश की भाजपा सरकार पर क्षेत्र की अनदेखी करने के साथ-साथ पूर्व में कांग्रेस सरकार के समय में यहां करवाए गए विकास कार्यों को जनता के बीच रखते नजर आएं, तो पहली बार चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह भाजपा सरकार के समय में यहां करवाए गए कार्यों और पहली बार चुनाव लड़ने की बात कहकर जनता के बीच चुनाव प्रचार करते दिखाई दिए. कुल मिलाकर श्री रेणुका जी सीट पर भाजपा व कांग्रेस दोनों ही प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. जीत का ताज किसके सर सजेगा, यह तो 8 दिसंबर को चुनावी नतीजे आने पर ही सामने आएगा.
ये रहा है इस सीट का इतिहास, डॉ.परमार की वजह से भी खास: दरअसल यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यहां से हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार भी 2 बार विधायक रह चुके हैं. यही नहीं वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार के दिवंगत पिता प्रेम सिंह भी कांग्रेट के टिकट पर 6 मर्तबा बतौर विधायक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इस सीट पर भाजपा केवल 11 महीने के लिए ही कमल खिला पाई है. वर्ष 2011 के उपचुनाव में यहां से हिरदा राम केवल एक बार भाजपा की तरफ से कांग्रेस का अभेद किला भेदने में कामयाब रहे. इसके अलावा 2 बार जनता दल के खाते में यह सीट गई. बाकी शेष समय यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है.
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