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स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी तक पहुंचना हुआ आसान! पौड़ीवाला शिव मंदिर तक पक्की सड़क तैयार - हर की पौड़ी

जिला सिरमौर के नाहन विकास खंड के तहत प्राचीन पौड़ीवाला शिव मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को अब पैदल नहीं चलना पड़ेगा. कालाअंब-पांवटा साहिब नेशनल हाईवे-7 पर अम्बवाला से होकर मंदिर तक पहुंचने वाले करीब डेढ़ से दो किलोमीटर के मार्ग को अब पक्का कर लिया गया है.

Paudiwala Shiva temple of sirmaur
डिजाइन फोटो.
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Published : Jul 6, 2020, 8:14 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 10:09 AM IST

नाहन: जिला सिरमौर का पौड़ीवाला शिव मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. श्रद्धालुओं की आस्था है कि पौड़ीवाला में स्थित शिव मंदिर में साक्षात शिव वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूरी करते हैं.

पौड़ीवाला से पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं. पौड़ीवाला को स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी भी कहा जाता है. इस पावन स्थल में कोई साधारण शिवलिंग नहीं है. यहां शिवलिंग का आकार हर साल एक से दो इंच बढ़ता है.

वीडियो रिपोर्ट.

विकास खंड नाहन के तहत प्राचीन पौड़ीवाला शिव मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को पहले पैदल चलना पड़ता था. हालांकि अब कालाअंब-पांवटा साहिब नेशनल हाईवे-7 पर अम्बवाला से होकर मंदिर तक पहुंचने वाले करीब डेढ़ से दो किलोमीटर के मार्ग को पक्का कर लिया गया है. ऐसे में जो श्रद्धालु पैदल चलकर भगवान शिव के इस पावन स्थान तक नहीं पहुंच पाते थे, वो भी अब वाहन क जरिए यहां पहुंच सकेंगे.

अम्बवाला-सैनवाला पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर ने बताया कि यहां पर बहुत लंबे समय से आने-जाने की श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था और इस दौरान कच्चे रास्ते में कीचड़ होने से लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती थी.

पंचायत प्रधान ने बताया कि रास्ते को पक्का करने के प्रयास किए गए. सबसे पहले ग्राम पंचायत के माध्यम से त्रिलोकपुर मंदिर न्यास से 5 लाख की राशि की मंजूरी लेकर रास्ते को बनाना शुरू किया. मगर इस बीच उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि ये रास्ता फॉरेस्ट एरिया में आता है, जिसके चलते वन विभाग ने रास्ते का निर्माण कार्य रोक दिया.

इसके बाद एफआरए के तहत केस बनाकर मंजूरी लेकर मार्ग को पक्का करने का कार्य किया गया. इसके बाद 80 प्रतिशत सरकार व 20 प्रतिशत स्थानीय लोगों के सहयोग से करीब 25 रुपये से इस मार्ग पर दूसरे चरण में खर्च किये गए और पीडब्ल्यूडी के माध्यम से मंदिर तक तारकोल की पक्की सड़क बनवाई गई. त्रिलोकपुर मंदिर न्यास से मंजूर पांच लाख की राशि सहित रास्ते के निर्माण में कुल 30 लाख की राखि खर्च की गई.

मंदिर से जुड़ा इतिहास

जनश्रुति के अनुसार पौड़ीवाला शिव मंदिर का इतिहास रावण के साथ जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण से वरदान मांगने को कहा था. जिसपर रावण ने अमरता का वरदान मांगा, तो भगवान शिव ने उसे अमर होने के लिए कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होगी. इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा.

रावण ने अमरता पाने के लिए पहली पौड़ी हरिद्वार में हर की पौड़ी बनाई और दूसरी पौड़ी जिला सिरमौर के पौड़ीवाला में, तीसरी पौड़ी चूड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई. मगर इसके बाद रावण इतना थक गया कि उसे नींद आ गई. जब वह जागा, तो अगली सुबह हो गई थी और लंका के राजा का स्वर्ग जाने का सपना अधूरा रह गया था. पौड़ीवाला स्थित इस जगह में आज भी दूसरी पौड़ी विद्यमान है. साथ ही वह बावड़ी भी है, जहां से रावण पानी भरता था.

नाहन: जिला सिरमौर का पौड़ीवाला शिव मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. श्रद्धालुओं की आस्था है कि पौड़ीवाला में स्थित शिव मंदिर में साक्षात शिव वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूरी करते हैं.

पौड़ीवाला से पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं. पौड़ीवाला को स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी भी कहा जाता है. इस पावन स्थल में कोई साधारण शिवलिंग नहीं है. यहां शिवलिंग का आकार हर साल एक से दो इंच बढ़ता है.

वीडियो रिपोर्ट.

विकास खंड नाहन के तहत प्राचीन पौड़ीवाला शिव मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को पहले पैदल चलना पड़ता था. हालांकि अब कालाअंब-पांवटा साहिब नेशनल हाईवे-7 पर अम्बवाला से होकर मंदिर तक पहुंचने वाले करीब डेढ़ से दो किलोमीटर के मार्ग को पक्का कर लिया गया है. ऐसे में जो श्रद्धालु पैदल चलकर भगवान शिव के इस पावन स्थान तक नहीं पहुंच पाते थे, वो भी अब वाहन क जरिए यहां पहुंच सकेंगे.

अम्बवाला-सैनवाला पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर ने बताया कि यहां पर बहुत लंबे समय से आने-जाने की श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था और इस दौरान कच्चे रास्ते में कीचड़ होने से लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती थी.

पंचायत प्रधान ने बताया कि रास्ते को पक्का करने के प्रयास किए गए. सबसे पहले ग्राम पंचायत के माध्यम से त्रिलोकपुर मंदिर न्यास से 5 लाख की राशि की मंजूरी लेकर रास्ते को बनाना शुरू किया. मगर इस बीच उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि ये रास्ता फॉरेस्ट एरिया में आता है, जिसके चलते वन विभाग ने रास्ते का निर्माण कार्य रोक दिया.

इसके बाद एफआरए के तहत केस बनाकर मंजूरी लेकर मार्ग को पक्का करने का कार्य किया गया. इसके बाद 80 प्रतिशत सरकार व 20 प्रतिशत स्थानीय लोगों के सहयोग से करीब 25 रुपये से इस मार्ग पर दूसरे चरण में खर्च किये गए और पीडब्ल्यूडी के माध्यम से मंदिर तक तारकोल की पक्की सड़क बनवाई गई. त्रिलोकपुर मंदिर न्यास से मंजूर पांच लाख की राशि सहित रास्ते के निर्माण में कुल 30 लाख की राखि खर्च की गई.

मंदिर से जुड़ा इतिहास

जनश्रुति के अनुसार पौड़ीवाला शिव मंदिर का इतिहास रावण के साथ जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण से वरदान मांगने को कहा था. जिसपर रावण ने अमरता का वरदान मांगा, तो भगवान शिव ने उसे अमर होने के लिए कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होगी. इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा.

रावण ने अमरता पाने के लिए पहली पौड़ी हरिद्वार में हर की पौड़ी बनाई और दूसरी पौड़ी जिला सिरमौर के पौड़ीवाला में, तीसरी पौड़ी चूड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई. मगर इसके बाद रावण इतना थक गया कि उसे नींद आ गई. जब वह जागा, तो अगली सुबह हो गई थी और लंका के राजा का स्वर्ग जाने का सपना अधूरा रह गया था. पौड़ीवाला स्थित इस जगह में आज भी दूसरी पौड़ी विद्यमान है. साथ ही वह बावड़ी भी है, जहां से रावण पानी भरता था.

Last Updated : Jul 7, 2020, 10:09 AM IST
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