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सिरमौर में प्राकृतिक उत्पादों की पैकिंग सामग्री महंगी, मार्केटिंग की भी सुविधा नहीं, किसानों को हो रही परेशानी

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Published : Apr 16, 2023, 9:28 PM IST

Updated : Apr 17, 2023, 9:22 AM IST

हिमाचल प्रदेश में सैंकड़ों किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और काफी लाभ भी कमा रहे हैं. लेकिन इस बीच एक समस्या भी इन किसानों को आ रही है. समस्या है उत्पादों की महंगी सामग्री. पूरी खबर में जानें क्या है मामला... (Natural Farming in Sirmaur).

Natural Farming in Sirmaur
सिरमौर में प्राकृतिक उत्पादों की पैकिंग सामग्री महंगी
जसविंद्र, महिला किसान, अविनाश, किसान, : डॉ. साहब सिंह, परियोजना अधिकारी, आतमा प्रोजेक्ट

नाहन: सिरमौर जिले में लोगों का रूझान प्राकृतिक खेती की तरफ लगातार बढ़ता जा रहा है. जिले के किसान न केवल विभिन्न तरह की फसलों व फलों को प्राकृतिक तौर पर उगा रहे हैं, बल्कि इनसे कई उत्पाद भी तैयार कर रहे हैं. इन्हीं सभी चीजों के बीच प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों को कुछेक समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है. उत्पादों की पैकिंग के लिए महंगे दामों पर पैकिंग सामग्री मिल रही है. साथ ही अन्य कई समस्याओं से भी किसान जूझ रहे हैं. बता दें कि जिला में किसान प्राकृतिक विधि से गन्ना, नींबू, पपीता, स्ट्रॉबरी सहित अन्य फसलें अपने खेतों में उगा रहे हैं. खासतौर पर पांवटा साहिब में गन्ने से शक्कर, नींबू व पपीते इत्यादि से आचार, जैम, चटनी इत्यादि भी तैयार की जा रही है.

'पैकिंग सामग्री पर सब्सिडी का होना चाहिए प्रावधान': पांवटा साहिब के निहालगढ़ की जसविंद्र का कहना है कि वह जहरमुक्त खेती कर रहे हैं. इससे वह कई तरह के उत्पाद भी तैयार कर रही हैं, जिसमें शक्कर, जैम, चटनी, आचार आदि शामिल हैं. इनकी पैकिंग के लिए डिब्बे सहित गत्ते इत्यादि की पेटी निजी कंपनियों से महंगे दामों पर मिल रही है. साथ ही विक्रय करने भी दिक्कत आ रही है. पैकिंग सामग्री महंगी मिल रही है, तो दाम भी बढ़ाने पड़ रहे हैं, जिससे लोग खरीदने में हिचकिचाते हैं. यदि सरकार प्राकृतिक उत्पादों की पैकिंग सामग्री पर भी सब्सिडी उपलब्ध करवाए, तो उन्हें लाभ मिल सकेगा. साथ ही उन्हें प्राकृतिक खेती का प्रमाण पत्र भी दिया जाए, ताकि उन्हें सरलता हो.

'उत्पादों की मार्केटिंग की हो सुविधा': वहीं, कांशीपुर के किसान अविनाश का भी कहना है कि वह भी अनेक प्रकार के प्राकृतिक उत्पाद तैयार कर रहे हैं, लेकिन इनकी पैकिंग सामग्री बड़ी महंगी पड़ रही है. साथ ही मार्केटिंग की भी समस्या आ रही है. उनकी सरकार से मांग है कि पैकिंग सामग्री पर सब्सिडी प्रदान की जाए. साथ ही मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती के उत्पादों को लेकर प्रमाण पत्र भी जारी किए जाएं, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि संबंधित उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक होने के साथ-साथ सुरक्षित है.

'उच्चाधिकारियों से उठाएंगे मामला': उधर, पूछे जाने पर आतमा प्रोजेक्ट के परियोजना अधिकारी डॉ. साहब सिंह ने बताया कि जिले में करीब 7000 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं. इनमें से 3776 को प्राकृतिक खेती के सर्टिफिकेट प्रदान किए जा चुके हैं. जल्द ही अन्य किसानों को भी यह उपलब्ध करवाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि जहां तक पैकिंग सामग्री पर किसानों को सब्सिडी उपलब्ध करवाने का सवाल है, उसको लेकर मामला उच्चाधिकारियों से उठाया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों के लिए जल्द ही पांवटा साहिब में एक मार्किटिंग यार्ड खोला जाएगा, जिसमें प्राकृतिक खेती के उत्पाद ही विक्रय होंगे. इसी तरह की सुविधा अन्य इलाकों में देने के प्रयास किए जा रहे हैं. कुल मिलाकर सिरमौर जिले में अब प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों का रूझान बढ़ता जा रहा है, लेकिन उन्हें मार्केटिंग सहित कई चीजों में समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसके समाधान की किसान सरकार से गुहार लगा रहे हैं.

Read Also- UNA: केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करें अधिकारी, प्राकृतिक खेती को दें बढ़ावा: राज्यपाल

जसविंद्र, महिला किसान, अविनाश, किसान, : डॉ. साहब सिंह, परियोजना अधिकारी, आतमा प्रोजेक्ट

नाहन: सिरमौर जिले में लोगों का रूझान प्राकृतिक खेती की तरफ लगातार बढ़ता जा रहा है. जिले के किसान न केवल विभिन्न तरह की फसलों व फलों को प्राकृतिक तौर पर उगा रहे हैं, बल्कि इनसे कई उत्पाद भी तैयार कर रहे हैं. इन्हीं सभी चीजों के बीच प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों को कुछेक समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है. उत्पादों की पैकिंग के लिए महंगे दामों पर पैकिंग सामग्री मिल रही है. साथ ही अन्य कई समस्याओं से भी किसान जूझ रहे हैं. बता दें कि जिला में किसान प्राकृतिक विधि से गन्ना, नींबू, पपीता, स्ट्रॉबरी सहित अन्य फसलें अपने खेतों में उगा रहे हैं. खासतौर पर पांवटा साहिब में गन्ने से शक्कर, नींबू व पपीते इत्यादि से आचार, जैम, चटनी इत्यादि भी तैयार की जा रही है.

'पैकिंग सामग्री पर सब्सिडी का होना चाहिए प्रावधान': पांवटा साहिब के निहालगढ़ की जसविंद्र का कहना है कि वह जहरमुक्त खेती कर रहे हैं. इससे वह कई तरह के उत्पाद भी तैयार कर रही हैं, जिसमें शक्कर, जैम, चटनी, आचार आदि शामिल हैं. इनकी पैकिंग के लिए डिब्बे सहित गत्ते इत्यादि की पेटी निजी कंपनियों से महंगे दामों पर मिल रही है. साथ ही विक्रय करने भी दिक्कत आ रही है. पैकिंग सामग्री महंगी मिल रही है, तो दाम भी बढ़ाने पड़ रहे हैं, जिससे लोग खरीदने में हिचकिचाते हैं. यदि सरकार प्राकृतिक उत्पादों की पैकिंग सामग्री पर भी सब्सिडी उपलब्ध करवाए, तो उन्हें लाभ मिल सकेगा. साथ ही उन्हें प्राकृतिक खेती का प्रमाण पत्र भी दिया जाए, ताकि उन्हें सरलता हो.

'उत्पादों की मार्केटिंग की हो सुविधा': वहीं, कांशीपुर के किसान अविनाश का भी कहना है कि वह भी अनेक प्रकार के प्राकृतिक उत्पाद तैयार कर रहे हैं, लेकिन इनकी पैकिंग सामग्री बड़ी महंगी पड़ रही है. साथ ही मार्केटिंग की भी समस्या आ रही है. उनकी सरकार से मांग है कि पैकिंग सामग्री पर सब्सिडी प्रदान की जाए. साथ ही मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती के उत्पादों को लेकर प्रमाण पत्र भी जारी किए जाएं, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि संबंधित उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक होने के साथ-साथ सुरक्षित है.

'उच्चाधिकारियों से उठाएंगे मामला': उधर, पूछे जाने पर आतमा प्रोजेक्ट के परियोजना अधिकारी डॉ. साहब सिंह ने बताया कि जिले में करीब 7000 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं. इनमें से 3776 को प्राकृतिक खेती के सर्टिफिकेट प्रदान किए जा चुके हैं. जल्द ही अन्य किसानों को भी यह उपलब्ध करवाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि जहां तक पैकिंग सामग्री पर किसानों को सब्सिडी उपलब्ध करवाने का सवाल है, उसको लेकर मामला उच्चाधिकारियों से उठाया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों के लिए जल्द ही पांवटा साहिब में एक मार्किटिंग यार्ड खोला जाएगा, जिसमें प्राकृतिक खेती के उत्पाद ही विक्रय होंगे. इसी तरह की सुविधा अन्य इलाकों में देने के प्रयास किए जा रहे हैं. कुल मिलाकर सिरमौर जिले में अब प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों का रूझान बढ़ता जा रहा है, लेकिन उन्हें मार्केटिंग सहित कई चीजों में समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसके समाधान की किसान सरकार से गुहार लगा रहे हैं.

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Last Updated : Apr 17, 2023, 9:22 AM IST
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