सिरमौर: कुदरत अजीबो-गरीब कारनामे कर दिखाने में माहिर है, लेकिन कई बार उससे भी बढ़कर नजारे देखने मिल जाते हैं. जड़ में आलू और डाल में टमाटर कुदरती तौर पर नामुमकिन है, लेकिन बागवानी के क्षेत्र में देश के कई हिस्सों में ऐसा संभव हो चुका है. ग्राफ्टिंग तकनीक से तो ऐसा हो भी रहा है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालय नाहन में ठीक इसके विपरीत हुआ है. यहां बिना किसी तकनीक के एक ही पौधे की जड़ में आलू और ऊपर टमाटर लग रहे हैं, जो न केवल आसपास के लोगों बल्कि इसे उगाने वाले बागवान को भी आश्चर्यचकित कर रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है, इसका जवाब भी हम आपको खबर में आगे बताएंगे. पहले यह पूरा मामला जान लीजिए.
दरअसल नाहन के ढाबो का बाग में रहने वाले नरेश कुमार के बगीचे में आलू उगाए गए हैं, जिसमें से करीब 3 दर्जन आलू के पौधों पर टमाटर भी लग रहे हैं. यानी जड़ में अच्छे किस्म का बड़ा आलू और उसकी डाल पर टमाटर लहरा रहे हैं, जिसे देख खुद नरेश कुमार व उसका परिवार भी आश्चर्यचकित है. हालांकि यह नजारा पूरा बगीचे में नहीं है और न ही उसने ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग किया है. इसको लेकर नरेश काफी उत्साहित भी है और उसके बगीचे में आसपास के लोग भी कुदरत के इस नजारे को देखने के लिए पहुंच रहे है.
नरेश कुमार की पत्नी आशा ने बताया कि वह ढाबो बाग में अपने बगीचे में बागवानी करते हैं, जिसमें सितंबर माह में आलू के बीच लगाए गए थे. वह निरंतर बगीचे की देखरेख करते रहे. कुछ दिनों पहले देखा कि आलू के पौधों की डालों में छोटे-छोटे फूल आ रहे हैं. इसमें कुछ ओर मिट्टी डाली और नियमित सिंचाई करते रहे. अब टमाटर का साइज भी बढ़ रहा है. नीचे हाईब्रिड किस्म के आलू उगे हैं और उपरी हिस्से में हरे रंग के अच्छे साइज के टमाटर भी लग रहे हैं. यह देखकर परिवार को बेहद अच्छा लगा है और एक यूनिक चीज देखने को मिली है. उन्होंने बताया कि वह नियमित तौर पर बगीचे में काम कर रहे हैं. आलू के लिए सिंचाई बेहद जरूरी है. इसलिए नियमित रूप से सिंचाई भी करते हैं. साथ ही किसी तरह के कैमिकल इत्यादि का इस्तेमाल न कर प्राकृतिक खाद का प्रयोग करते हैं. गाय पाल रखी है, उसी के गोबर से खाद का प्रयोग अपने बगीचे में करते हैं.
उधर, आशा के पति नरेश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने बगीचे में आलू के 30 किलो की फसल लगाई थी, जिसमें से 30 से 35 आलू के पौधों की डालों पर टमाटर लग रहे हैं. उनके बगीचे में यह पहली बार हुआ है. जब आलू लगाए थे, तो उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि ऐसा हो सकता है. जब देखा कि इसमें टमाटर लग रहे हैं, तो इसमें अच्छे से देखरेख की. आलू का साइज भी बहुत अच्छा है. अब वह चाहते है कि वह इसके बीज को अलग से रखे, ताकि यह काम आ सके. इसके अलावा भी वह अपने बगीचे में कई तरह के फल लगाते हैं.
इस मामले में कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं के मुख्य प्रभारी एवं विशेषज्ञ डॉ. पंकज मित्तल से जब इस बारे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बागवानी के क्षेत्र में ग्राफ्टिंग तकनीक (कलमी पौधे) से एक पौधे पर दो प्रकार की फसल का उत्पादन संभव है. ऐसा कई जगहों पर हो भी रहा है, लेकिन बिना ऐसी तकनीक ये यह संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि संभवतः ऐसा हो सकता है कि संबंधित बागवान के बगीचे में या किसी पक्षी या फिर किसी ने कोई टमाटर इत्यादि फेंक दिया हो, उस सूरत में ऐसा हो सकता है, लेकिन यह टमाटर इस सीजन में हरा ही रहेगा, क्योंकि इस मौसम में पॉलीहाउस में ही टमाटर लाल हो सकते हैं. इसलिए इसमें कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है.
क्या होती है ग्राफ्टिंग तकनीक?: दरअसल ग्राफ्टिंग तकनीक (कलमी पौधे) से एक साथ दो प्रकार की फसल का उत्पादन किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर आलू के मूल वृंत पर टमाटर की उन्नत किस्मों की ग्राफ्टिंग कर टमाटर को आलू की जड़ों पर लगाने से कुछ दिन तक खेत में पानी भरा रहता है, तो भी टमाटर के पौधे सुरक्षित रहते हैं. इसी तरह यह तकनीक अपनाकर कई सब्जियों का उत्पादन किया जा सकता है, लेकिन नरेश कुमार के बगीचे में ऐसा नहीं हुआ है, जिसको लेकर विशेषज्ञों का यही मानना है कि संभवतः किसी ने आलू के बगीचे में टमाटर आदि फेंक दिया होगा. यही कारण है कि कुछ ही पौधों पर टमाटर लगे हैं. कुल मिलाकर चाहे कुछ हो भी, लेकिन नरेश कुमार अपने बगीचे में आलू के पौधों पर टमाटर देख खुद भी हैरान हैं और इसे देखने वाले लोग भी आश्चर्यचकित हो रहे हैं.
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