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नाहन मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में Phacoemulsification सर्जरी शुरू, जानें क्या है ये

Nahan Medical College, Phacoemulsification Surgery: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के मेडिकल कॉलेज नाहन में आंखों का इलाज करवाने आने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है. बता दें कि यहां नेत्र विभाग में फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी की शुरू की गई है. पढ़ें पूरी खबर...

Nahan Medical College
नाहन मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी शुरू
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 16, 2024, 4:13 PM IST

सिरमौर: डॉ. वाईएस परमार मेडिल कॉलेज एवं अस्पताल नाहन में आंखों का उपचार करवाने आ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है. नेत्र विभाग में फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी की शुरू की गई है. फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी को फेको सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है. मोतियाबिंद को हटाने के लिए यह सर्जरी एकदम नई, आधुनिक और सुरक्षित है. दरअसल नेत्र विभाग के विशेषज्ञों ने इस प्रक्रिया से सर्जरी शुरू कर दी है. इस प्रक्रिया में आंख में फोल्डेबल लेंस का उपयोग किया जाता है और कम समय में उत्कृष्ट ऑपरेशन किया जाता है. सिरमौर जिले में इससे पहले यह सुविधा केवल निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध थी. अब मेडिकल कॉलेज में भी लोगों को फेको सर्जरी का लाभ मिलेगा.

क्या है फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी: फेको सर्जरी मोतियाबिंद के उपचार की एक अत्याधुनिक तकनीक है. इसमें किसी प्रकार के बड़े चीरे की आवश्यकता नहीं होती. ऑपरेशन की इस विधि के दौरान आंख में एक बारीक छेद किया जाता है. इसके माध्यम से मोतिया को आंख के अंदर ही घोल दिया जाता है और इसी के माध्यम से ही फोल्डेबल लेंस को आंख के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है.

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अब मेडिकल कॉलेज में भी लोगों को फेको सर्जरी का लाभ मिलेगा.

फेको सर्जरी आधुनिक तकनीक: सामान्य ऑपरेशन आंख के आसपास इंजेक्शन लगाकर उसे सुन्न करके किया जाता है, ताकि आंख स्थिर रहे. इससे मरीज को दर्द भी होता है और इंजैक्शन से कुछ नुकसान भी हो सकता है. फेको बिल्कुल आधुनिक तकनीक है. इसमें किसी प्रकार का इंजेक्शन नहीं लगाया जाता. केवल ऊपर से कुछ बूंद दवा डालकर ऑपरेशन शुरू कर दिया जाता है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि बिना दर्द हुए ऑपरेशन के बाद मरीज को किसी प्रकार की पट्टी भी बांधनी नहीं पड़ती है. मरीज को अस्पताल से तुरंत छुट्टी भी दे दी जाती है.

जटिलताओं का कम जोखिम: नेत्र विज्ञान विभाग की एचओडी डॉ. शालू गुप्ता ने बताया कि फेको सर्जरी जटिलताओं के विकास का जोखिम काफी कम कर देती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ऑपरेशन प्रक्रिया के दौरान आंख के अंदर छोटा चीरा लगाना शामिल है. इसके कारण कम ऊतक का नुकसान होता है और इन्फेक्शन या अन्य जटिलताएं होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. उन्होंने कहा कि नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम अपनी विशेषज्ञता और अत्याधुनिक उपकरणों के साथ, असाधारण परिणाम देने और अपने रोगियों की दृष्टि बहाल करने में आश्वस्त हैं.

नेत्र विभाग में फेको सजरी की शुरुआत: मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. राजीव तुली ने बताया कि नेत्र विभाग में फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी शुरू की गई है. यह तकनीक रोगियों के लिए अधिक कुशल और आरामदायक सर्जिकल अनुभव प्रदान करती है. मेडिकल कॉलेज नाहन एक अग्रणी स्वास्थ्य सेवा संस्थान के रूप में नेत्र विज्ञान में नवीनतम प्रगति से अवगत रहने के लिए समर्पित है.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर मंडी से पंडोह के बीच बनेंगी 2 टनलें, सर्वे का काम शुरू

सिरमौर: डॉ. वाईएस परमार मेडिल कॉलेज एवं अस्पताल नाहन में आंखों का उपचार करवाने आ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है. नेत्र विभाग में फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी की शुरू की गई है. फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी को फेको सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है. मोतियाबिंद को हटाने के लिए यह सर्जरी एकदम नई, आधुनिक और सुरक्षित है. दरअसल नेत्र विभाग के विशेषज्ञों ने इस प्रक्रिया से सर्जरी शुरू कर दी है. इस प्रक्रिया में आंख में फोल्डेबल लेंस का उपयोग किया जाता है और कम समय में उत्कृष्ट ऑपरेशन किया जाता है. सिरमौर जिले में इससे पहले यह सुविधा केवल निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध थी. अब मेडिकल कॉलेज में भी लोगों को फेको सर्जरी का लाभ मिलेगा.

क्या है फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी: फेको सर्जरी मोतियाबिंद के उपचार की एक अत्याधुनिक तकनीक है. इसमें किसी प्रकार के बड़े चीरे की आवश्यकता नहीं होती. ऑपरेशन की इस विधि के दौरान आंख में एक बारीक छेद किया जाता है. इसके माध्यम से मोतिया को आंख के अंदर ही घोल दिया जाता है और इसी के माध्यम से ही फोल्डेबल लेंस को आंख के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है.

Nahan Medical College
अब मेडिकल कॉलेज में भी लोगों को फेको सर्जरी का लाभ मिलेगा.

फेको सर्जरी आधुनिक तकनीक: सामान्य ऑपरेशन आंख के आसपास इंजेक्शन लगाकर उसे सुन्न करके किया जाता है, ताकि आंख स्थिर रहे. इससे मरीज को दर्द भी होता है और इंजैक्शन से कुछ नुकसान भी हो सकता है. फेको बिल्कुल आधुनिक तकनीक है. इसमें किसी प्रकार का इंजेक्शन नहीं लगाया जाता. केवल ऊपर से कुछ बूंद दवा डालकर ऑपरेशन शुरू कर दिया जाता है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि बिना दर्द हुए ऑपरेशन के बाद मरीज को किसी प्रकार की पट्टी भी बांधनी नहीं पड़ती है. मरीज को अस्पताल से तुरंत छुट्टी भी दे दी जाती है.

जटिलताओं का कम जोखिम: नेत्र विज्ञान विभाग की एचओडी डॉ. शालू गुप्ता ने बताया कि फेको सर्जरी जटिलताओं के विकास का जोखिम काफी कम कर देती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ऑपरेशन प्रक्रिया के दौरान आंख के अंदर छोटा चीरा लगाना शामिल है. इसके कारण कम ऊतक का नुकसान होता है और इन्फेक्शन या अन्य जटिलताएं होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. उन्होंने कहा कि नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम अपनी विशेषज्ञता और अत्याधुनिक उपकरणों के साथ, असाधारण परिणाम देने और अपने रोगियों की दृष्टि बहाल करने में आश्वस्त हैं.

नेत्र विभाग में फेको सजरी की शुरुआत: मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. राजीव तुली ने बताया कि नेत्र विभाग में फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी शुरू की गई है. यह तकनीक रोगियों के लिए अधिक कुशल और आरामदायक सर्जिकल अनुभव प्रदान करती है. मेडिकल कॉलेज नाहन एक अग्रणी स्वास्थ्य सेवा संस्थान के रूप में नेत्र विज्ञान में नवीनतम प्रगति से अवगत रहने के लिए समर्पित है.

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