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सिरमौरी ताल के लोग आज भी नटनी का श्राप झेलने को मजबूर, जानें इसके पीछे की पूरी कहानी

जिले के सिरमौरी ताल में आज भी नटवणी के श्राप से कई खेत बंजर हैं. कई जगह भारी भूस्खलन होते रहते हैं. यहां विकास की गति बिल्कुल थमी हुई है. आज भी यहां के लोग फसल न होने से काफी परशान हैं.

People of Sirmouri  Tal are still forced to bear the curse of Natni
सिरमौरी ताल के लोग
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Published : Dec 12, 2019, 2:38 PM IST

सिरमौर: जिले के सिरमौरी ताल में आज भी नटवणी के श्राप से कई खेत बंजर हैं. कई जगह भारी भूस्खलन होते रहते हैं. यहां विकास की गति बिल्कुल थमी हुई है. आज भी यहां के लोग फसल न होने से काफी परशान हैं.

मान्यता है कि, सिरमौर राज्य के शुरुआती इतिहास के दौरान जब राजा मदन सिंह शासन करते थे तो उस समय एक महिला ने राजा के समक्ष अपनी कलाबाजी के बारे में बताया. राजा ने उससे शर्त रखी कि अगर वह एक रस्से पर नाचते हुए गिरी नदी को पार करते हुए पोका गांव से टोका पहाड़ी पर आ जाए, तो उसे अपने राज्य का आधा हिस्सा दें देंगे.

वीडियो रिपोर्ट

राजा के आदेश के बाद नटनी जैसे ही यह करतब पूरा कर सिरमौर की टोका पहाड़ी पर पहुंचने ही वाली थी कि आधा राज्य हाथ से जाने के भय से दीवान जुझार सिंह ने रस्सी काट दी. जिसके बाद नटनी गिरी नदी में गिरते हुए श्राप दे दिया. उसने कुछ इस तरह से वहां के लोगों को श्राप दिया कि 'आर टोका पार पोका, डूब मरो सिरमौरो रे लोका' अर्थात ( इधर टोका और उधर पोका और डूब मरो सिरमौर के लोगों). इस नटनी के नदी में गिरने पर ही इस नदी का नाम गिरी नदी पड़ा. किंवदंती है कि नटनी के श्राप के कारण नदी में भयंकर बाढ़ आई और सिरमौर रियासत पूरी तरह नष्ट हो गई.

ऐतिहासिक बाबा पत्थर नाथ मंदिर के संन्यासी रामानंद ने बताया कि नतवाणी की आत्मा की शांति के लिए लोगों को पूजा पाठ करवाने चाहिए ताकि यहां का रुका हुआ विकास आगे बढ़ सके.

ये भी पढ़ें: किन्नौर एसपी का थाना प्रभारियों को निर्देश, पुराने मामलों का जल्द करें निपटारा

सिरमौर: जिले के सिरमौरी ताल में आज भी नटवणी के श्राप से कई खेत बंजर हैं. कई जगह भारी भूस्खलन होते रहते हैं. यहां विकास की गति बिल्कुल थमी हुई है. आज भी यहां के लोग फसल न होने से काफी परशान हैं.

मान्यता है कि, सिरमौर राज्य के शुरुआती इतिहास के दौरान जब राजा मदन सिंह शासन करते थे तो उस समय एक महिला ने राजा के समक्ष अपनी कलाबाजी के बारे में बताया. राजा ने उससे शर्त रखी कि अगर वह एक रस्से पर नाचते हुए गिरी नदी को पार करते हुए पोका गांव से टोका पहाड़ी पर आ जाए, तो उसे अपने राज्य का आधा हिस्सा दें देंगे.

वीडियो रिपोर्ट

राजा के आदेश के बाद नटनी जैसे ही यह करतब पूरा कर सिरमौर की टोका पहाड़ी पर पहुंचने ही वाली थी कि आधा राज्य हाथ से जाने के भय से दीवान जुझार सिंह ने रस्सी काट दी. जिसके बाद नटनी गिरी नदी में गिरते हुए श्राप दे दिया. उसने कुछ इस तरह से वहां के लोगों को श्राप दिया कि 'आर टोका पार पोका, डूब मरो सिरमौरो रे लोका' अर्थात ( इधर टोका और उधर पोका और डूब मरो सिरमौर के लोगों). इस नटनी के नदी में गिरने पर ही इस नदी का नाम गिरी नदी पड़ा. किंवदंती है कि नटनी के श्राप के कारण नदी में भयंकर बाढ़ आई और सिरमौर रियासत पूरी तरह नष्ट हो गई.

ऐतिहासिक बाबा पत्थर नाथ मंदिर के संन्यासी रामानंद ने बताया कि नतवाणी की आत्मा की शांति के लिए लोगों को पूजा पाठ करवाने चाहिए ताकि यहां का रुका हुआ विकास आगे बढ़ सके.

ये भी पढ़ें: किन्नौर एसपी का थाना प्रभारियों को निर्देश, पुराने मामलों का जल्द करें निपटारा

Intro: शॉप आर टोका पार पोका डूब मरो सिरमौरो रे लोका। सिरमौर ताल के आसपास इलाकों के कई भूमिया आज भी बंजर पड़ी कई जगह भूस्खलन आज भी विकास यहां पर नहीं गिरी नदी हर वर्ष बाढ़ से कई नुकसान करती है।Body:सिरमौर जिले के सिरमौरी ताल में आज भी नटवणी के शराप से कई खेते बंजर है कई जगह भारी भूस्खलन होते रहते हैं विकास की गति यहां पर बिल्कुल रुकी हुई है आज भी यहां गुजर-बसर कर रहे लोग मायूसी हमेशा नजर आते हैं ऋषि मुनियों द्वारा कहा जाता है कि सिरमौर राज्य में जब मदन सिंह शासन करते थे, एक महिला ने राजा के समक्ष अपने कलाबाजी के बारे में बात की थी राजा ने उससे यह शर्त रखी कि अगर वह एक रस्से पर नाचते हुए गिरी नदी को पार करते हुए पोका गाँव से टोका पहाड़ी पर आ जाए तो उसे राज्य का आधा हिस्सा दे दिया जाएगा नटवा नहीं जैसे ही यह कर्तव्य पूरा कर सिरमौर की टोका पहाड़ी पर पहुँचने ही वाली थी कि आधा राज्य हाथ से जाने के भय से दीवान जुझार सिंह ने रस्सी काट दी और नटनी गिरी नदी मे गिरते ही श्राप दे गई , “आर टोका पार पोका डूब मरो सिरमौरो रे लोका।” इस नटनी के नदी मे गिरने पर ही इस नदी का नाम गिरी नदी पड़ा। कहा जाता है की नटनी के श्राप के कारण नदी मे भयंकर बाढ़ आई और सिरमौर रियासत पूरी तरह नष्ट हो गई। रामानंद स्वामी ने यह भी बताया कि आज भी यहां पर कहीं भूस्खलन होते रहते हैं सिरमौर ताल के आसपास इलाकों के लोगों का कोई भी विकास नहीं हो पा रहा है यहां की खेती बंजर पड़ी है नटनी ने के शराप आज भी यहां के लोग झेल रहे हैं जब तक इसका कोई समाधान नहीं किया तो लोगे समस्या जलते रहेंगे यहां एनएच 707 पर भी 20 वर्ष पूर्व पहले भारी भूस्खलन हुआ था जिससे लोगों को जन जीवन अस्त में पड़ गया था हाल ही में अभी फिर उसी जगह पर भारी भूस्खलन हुआ और लोगों का फिर से जनजीवन अस्तित्व में पड़ गया ऐसी घटनाएं होती रहती है।Conclusion:ऐतिहासिक बाबा पत्थर नाथ मंदिर के सन्यासी रामानंद ने बताया कि नतवाणी ने की आत्मा की शांति के लिए लोगों को पूजा पाठ करवाने चाहिए ताकि यहां का रुका हुआ विकास आगे बढ़ सके
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