सिरमौर: जिले के आंगनबाड़ी केंद्र राम भरोसे चल रहे हैं. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या बहुत है जिनके पास अपने भवन तक नहीं है. इतना ही नहीं बिजली और पानी के कनेक्शन भी नहीं लगे हैं. लिहाजा ये आंगनबाड़ी केंद्र दूसरों की बैसाखी के सहारे चल रहे हैं. हालांकि महिला एवं बाल विकास विभाग कोशिश कर रहा है कि जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं, वहां जल्द से जल्द सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं.
सिरमौर जिला में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति
वर्तमान में सिरमौर जिला में 1,486 आंगनबाड़ी चल रहे हैं, जिसमें से केवल 474 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास ही अपने भवन मौजूद हैं, जबकि 709 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं. इसके अलावा 153 आंगनबाड़ी केंद्र स्कूलों, 18 पंचायत भवनों व 132 अन्य भवनों में चलाए जा रहे हैं.
बिल्डिंग के अलावा अन्य मूलभूत सुविधाओं की बात करें तो कुल 1,486 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 1,177 केंद्रों के पास ही बिजली की सुविधा उपलब्ध है. जिले के कुल 1,486 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 1,371 केंद्रों को पेयजल कनेक्शन से जोड़ा गया है, जबकि शेष 115 में शेयरिंग से पेयजल की व्यवस्था की गई है. इसी तरह जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है, वहां भी शेयरिंग ही एकमात्र विकल्प है.
आंगनबाड़ी केंद्रों की सुविधाओं से अभिभावक संतुष्ट
अगर बच्चों के अभिभावकों की बात करें तो वह सरकार की सुविधाएं से संतुष्ट नजर आए. ईटीवी भारत से बातचीत में अभिभावकों ने कहा कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ी वर्करों द्वारा उनके बच्चों के लिए घर-घर राशन पहुंचाया गया और अब भी जब बच्चों को केंद्रों में आने की अनुमति सरकार की तरफ से नहीं दी गई, तो भी अभिभावकों को बुलाकर हर महीने राशन मुहैया करवाया जाता है.
अभिभावकों ने यह भी कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को घर जैसा माहौल मिलता है. शुरूआती शिक्षा के साथ-साथ खेलने के लिए उचित खिलौने भी केंद्रों में मौजूद हैं. यही नहीं बेटियों की माताओं ने तो यहां तक भी कहा कि बेटियों के नाम पर एफडी भी करवाई गई है.
किराए के भवनों में भी रखा जा रहा ख्याल: आंगनबाड़ी वर्कर
आंगनबाड़ी वर्करों ने बातचीत में कहा कि विभाग के निर्देशों पर प्रयास रहता है कि बच्चों को दी जाने वाली सुविधाएं समय पर मिले. कोरोना काल में भी इसका विशेष ध्यान रखा गया. जहां तक किराये के भवनों की बात है तो यहां भी मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं.
महीने में कम से कम होते हैं 15 औचक निरीक्षण
दूसरी तरफ महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम भी जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों का समय-समय पर निरीक्षण करती है. नाहन स्थित डीपीओ कार्यालय में तैनात सहायक कार्यक्रम अधिकारी प्रियंका अग्रवाल ने बताया कि महीने में कम से कम 15 औचक निरीक्षण आंगनबाड़ी केंद्रों के किए जाते हैं. रिकार्ड के साथ-साथ बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं की भी बारीकी से जांच की जाती है.
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधाएं जुटाने में विभाग प्रयासरत: नेगी
उधर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि यह सही है कि अब भी काफी संख्या में आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपने भवन नहीं है. अधिकतर किराए, स्कूलों और पंचायतों सहित अन्य भवनों में चल रहे हैं. इसके साथ-साथ जिन आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपने बिजली व पानी के कनेक्शन उपलब्ध नहीं है, वहां फिलहाल शेयरिंग से काम चल रहा है. जल्द ही संबंधित आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली और पानी के कनेक्शन उपलब्ध करवा दिए जाएंगे.
कई जगहों पर आ रही दिक्कत: आंगनबाड़ी यूनियन
आंगनबाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन की महासचिव वीना शर्मा ने कहा कि जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों की आधारभूत सुविधाओं की बात है तो लगभग 92 प्रतिशत के आसपास बिजली की व्यवस्था है. शौचालय और पानी की व्यवस्था भी करीब 97 प्रतिशत है. कुछ आंगनबाड़ी केंद्र जो किराए के भवनों में चल रहे हैं, वहां पर रसोई घर, पानी और शौचालय की दिक्कत रहती है. कुछ एक जगहों पर बिजली की समस्या भी आ रही है.
वीना शर्मा ने कहा कि जो आंगनबाड़ी केंद्र प्राथमिक स्कूलों में चल रहे हैं, वहां पर स्कूल ने केवल एक ही कमरा दिया है. उसी कमरे में बच्चों को भी रखना है और सामान की स्टोरेज भी करनी है, जिसके चलते बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. सरकार से गुजारिश है कि जहां पर समस्याएं आ रही हैं उनका समाधान किया जाए.
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