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नाहन की 683 प्राचीन बावड़ियां होंगी प्रदूषण मुक्त! IPH विभाग ने तैयार की ये योजना

आईपीएच विभाग की ओर से प्राचीन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए योजना तैयार की जा रही है. आईपीएच विभाग ने प्राचीन बावड़ियों को संवारने का जिम्मा उठाया है. इसके लिए आम जनता को भी जागरूक होना चाहिए.

मंडल नाहन की प्राचीन बावड़ियां.
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Published : Jul 31, 2019, 10:47 AM IST

नाहन: केंद्र सरकार के साथ मिलकर राज्य सरकार जल शक्ति अभियान के लिए काम कर रही है, ताकि जिन स्थानों पर भूमिगत जल स्तर घटा है, उन क्षेत्रों में पानी के स्तर को बढ़ाया जा सके. इसी के चलते आईपीएच विभाग द्वारा प्राचीन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए योजना तैयार की जा रही है.

दरअसल आईपीएच मंडल नाहन के तहत लगभग 683 प्राचीन बावड़ियां हैं, जो कि देख रेख के अभाव में दम तोड़ रही हैं. ऐतिहासिक शहर नाहन में भी कई प्राचीन बावड़ियां मौजूद हैं, जो गर्मियों में लोगों के लिए वरदान साबित होती हैं. ऐसे में आईपीएच विभाग ने प्राचीन बावड़ियों को संवारने का जिम्मा उठाया है. जल शक्ति अभियान के तहत इन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए आईपीएच विभाग कड़ी मेहनत कर रहा है.

वीडियो.

आईपीएच नाहन मंडल के एक्सईएन मनदीप गुप्ता ने बताया कि ये प्राचीन बावड़ियां गर्मी के दिनों में बहुत उपयोगी साबित होती हैं. पेयजल किल्लत के समय में इन बावड़ियों से भी लोग पानी भरते हैं लेकिन वर्तमान में यह बावड़ियां प्रदूषीत हो गई हैं.

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इसके लिए विभाग ने जल शक्ति अभियान के तहत एक सुझाव प्लान तैयार किया है कि इन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त किया जाए. इसके लिए ब्लॅाक ऑफिस नाहन से भी चर्चा की जा रही है, ताकि जिला में सभी बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त किया जा सके. इसके लिए आम जनता को भी जागरूक होना चाहिए.

नाहन: केंद्र सरकार के साथ मिलकर राज्य सरकार जल शक्ति अभियान के लिए काम कर रही है, ताकि जिन स्थानों पर भूमिगत जल स्तर घटा है, उन क्षेत्रों में पानी के स्तर को बढ़ाया जा सके. इसी के चलते आईपीएच विभाग द्वारा प्राचीन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए योजना तैयार की जा रही है.

दरअसल आईपीएच मंडल नाहन के तहत लगभग 683 प्राचीन बावड़ियां हैं, जो कि देख रेख के अभाव में दम तोड़ रही हैं. ऐतिहासिक शहर नाहन में भी कई प्राचीन बावड़ियां मौजूद हैं, जो गर्मियों में लोगों के लिए वरदान साबित होती हैं. ऐसे में आईपीएच विभाग ने प्राचीन बावड़ियों को संवारने का जिम्मा उठाया है. जल शक्ति अभियान के तहत इन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए आईपीएच विभाग कड़ी मेहनत कर रहा है.

वीडियो.

आईपीएच नाहन मंडल के एक्सईएन मनदीप गुप्ता ने बताया कि ये प्राचीन बावड़ियां गर्मी के दिनों में बहुत उपयोगी साबित होती हैं. पेयजल किल्लत के समय में इन बावड़ियों से भी लोग पानी भरते हैं लेकिन वर्तमान में यह बावड़ियां प्रदूषीत हो गई हैं.

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इसके लिए विभाग ने जल शक्ति अभियान के तहत एक सुझाव प्लान तैयार किया है कि इन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त किया जाए. इसके लिए ब्लॅाक ऑफिस नाहन से भी चर्चा की जा रही है, ताकि जिला में सभी बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त किया जा सके. इसके लिए आम जनता को भी जागरूक होना चाहिए.

Intro:-जल शक्ति अभियान के तहत संवारी जाएंगी ये बावड़ियां
नाहन। केंद्र सरकार के साथ मिलकर राज्य सरकार जल शक्ति अभियान के तहत कार्य कर रही है, ताकि जिन स्थानों पर भूमिगत जल स्तर घटा है, उन क्षेत्रों में पानी के स्तर को बढ़ाया जा सके। इसी के तहत आईपीएच द्वारा प्राचीन बावड़ियों को भी प्रदूषण मुक्त बनाने की कार्य योजना तैयार की गई है।

Body:दरअसल आईपीएच मंडल नाहन के तहत लगभग 683 प्राचीन बावड़ियां हैं, जोकि देखरेख के अभाव में दम तोड़ रही है। ऐतिहासिक शहर नाहन में भी कई प्राचीन बावड़ियां मौजूद हैं, जोकि गर्मी के मौसम में लोगों के लिए वरदान साबित होती है। ऐसे में इन प्राचीन बावड़ियों को संवारने का जिम्मा आईपीएच विभाग द्वारा उठाया गया है। जल शक्ति अभियान के तहत इन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए आईपीएच विभाग प्रयासरत है।
आईपीएच नाहन मंडल के एक्सईएन मनदीप गुप्ता ने बताया कि ये प्राचीन बावड़ियां गर्मी के दिनों में काफी उपयोगी साबित होती है। पेयजल किल्लत के समय में इन बावड़ियों से भी लोग पानी भरते हैं। उनका कहना था कि वर्तमान में इन बावड़ियों में प्रदूषण है। इसके लिए विभाग ने जल शक्ति अभियान के तहत एक सुझाव प्लान तैयार किया है कि इन बावड़ियों को भी प्रदूषण मुक्त किया जाए। इसके लिए ब्लाॅक आफिस नाहन से भी चर्चा की जा रही है, ताकि यहां जितनी भी बावड़ियां हैं, उन्हें प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास किए जाएंगे।
बाइट: मनदीप गुप्ता, एक्सईएन, आईपीएच नाहन मंडलConclusion:कुल मिलाकर प्राचीन बावड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए आईपीएच विभाग द्वारा तैयार किया गया प्लान सराहनीय है, लेकिन इसके लिए आम जनता को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। अब देखना यह होगा कि प्राचीन बावड़ियों को संवारने में विभाग को कितनी कामयाबी हासिल होती है।
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