श्री रेणुका जी: अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले का मंगलवार को शुभारंभ हुआ. हर साल की तरह इस साल भी भगवान परशुराम देवता अपनी मां से मिलने रेणुका जी पहुंचे. इस बार मेले में केवल रस्में ही निभाई गई. हर साल पालकी को कंधा देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री आते हैं, लेकिन इस बार यह परंपरा कोरोना के कारण नहीं निभाई गई. मेले में गिरी नदी के तट पर राजपरिवार की ओर से पालकी का स्वागत किया जाता है, लेकिन इस बार स्वागत में भी सिर्फ रस्में ही निभाई गई और देवताओं की शोभायात्रा भी नहीं निकाली गई.
एसओपी का किया गया पालन
देवताओं की पालकियों को स्कूल ग्राउंड के मैदान में भी नहीं लाया गया. जम्मू कोटि से भगवान परशुराम चांदी की पालकी में लाए गए. गिरी नदी के दूसरे छोर पर पालकी को लाया गया और वहां सरकार की ओर से जारी एसओपी के तहत सारे इंतजाम किए गए थे. सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया. 2 फुट के फासले पर कुर्सियां लगाई गई थी. लोगों ने लाइन में खड़े होकर भगवान को माथा टेका और उसके बाद परशुराम की पालकी को गाड़ी से रेणुका विकास बोर्ड में लाया गया.
गांव के मंडला से नहीं आई पालकी
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय रेणुका मेले में हर साल 4 पालकियां मेले में आती हैं. जम्मू कोटी, कटाह मंडलाह से शिरगुल व शिलाई के मासु च्योग से भगवान परशुराम की पालकी गाड़ियों में लाई गई. गांव के मंडला से इस बार भगवान परशुराम की पालकी नहीं आई. लोगों ने लाइनों में रेणुका विकास बोर्ड के सामने देव पालकियों में माथा टेका. 65 साल के बुजुर्ग व बच्चों को पालकी में माथा टेकने को मना किया गया था. दोपहर 1:30 बजे डीसी सिरमौर डॉ. आरके परुथी व रेणुका जी विधायक विनय कुमार की ओर से भगवान परशुराम देव की पालकी को कंधा देकर विधिवत रेणुका मंदिर के लिए रवाना किया गया.
ये अधिकारी रहे मौजूद
इस दौरान डीसी सिरमौर आरके परुथी, एसडीएम रजनीश चौहान, एसपी खुशहाल चंद, डीएसपी शक्ति सिंह, तहसीलदार चेतन चौहान, रेणुका जी विधायक विनय कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे.