नाहन: देश में 25 जून 1975 को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था. इस दौरान विपक्षी पार्टियों, पत्रकारों और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले कई लोगों को तत्कालीन सरकार ने जेल में डाल दिया था. इन्हीं में से एक थे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार.
आपातकाल में सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पर शांता कुमार को जेल में डाल दिया था. शांता कुमार ने 19 महीने नाहन सेंट्रल जेल में बिताए थे. इस दौरान शांता कुमार ने कई किताबों का अध्ययन और लेखन किया था.
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने 7 मार्च 2020 को नाहन सेंट्रल जेल का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने दशकों पुरानी कई यादों को याद किया था. इस दौरान शांता कुमार ने कहा था कि इस जेल में एक बार पहले भी यहां आए थे. उस वक्त अपने साथियों के साथ 19 महीने का समय बिताया था. उन्होंने कहा था कि 19 महीने के उस समय को वे जेल नहीं मानते. उन्होंने उस समय का सदुपयोग किया था. इसी जेल में चार किताबें लिखी थीं.
शांता कुमार ने कहा था कि जेल में अपराधी नहीं है, बल्कि जिंदगी में एक गलती करने वाले लोग जेल में हैं. जेलों में और बाहर के लोगों में सिर्फ एक गलती का फर्क है. इसलिए जेल को सुधार गृह समझने की बात महत्वपूर्ण है.
गौरतलब है कि आपातकाल के उस दौर में बेशक इंटरनेट का नाम नहीं था, लेकिन ये समाचार जंगल की आग की तरह फैला कि देश में आपातकाल लागू कर दिया गया है. तब कई बड़े नेताओं को जेल में ठूंसने का काम शुरू हुआ. हिमाचल के कद्दावर नेता भी आपातकाल का विरोध करने पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए. इसी दौरान जेल में रहते हुए शांता कुमार ने कई किताबें लिख डाली.
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