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बागवानों को सता रहा था फसलें खराब होने का डर, बारिश से किसानों को मिली राहत

सिरमौर में बारिश किसानों के लिए राहत बनकर बरस रही है. कोहरे और पाले की वजह से किसानों और बागवानों को फसलें खराब होने का डर सता रहा था, लेकिन लगातार हो रही बारिश ने किसानों की परेशानी कम कर दी है. जानिए पूरी खबर.

Rain comes as relief for farmers in sirmour
बारिश से किसानों को मिली राहत
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Published : Jan 8, 2020, 12:50 PM IST

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर में बारिश किसानों के लिए राहत बनकर बरस रही है. सर्दी के मौसम में पड़ रहे कोहरे की वजह से फसलों को नुकसान पहुंच रहा था. टमाटर, मिर्च, लहसुन, सरसों, जीरा और धनिए की फसल कोहरे और पाले की वजह से मुरझानी शुरू हो गई थी.

बता दें कि बीते दो-तीन दिनों से झमाझम हो रही बारिश किसानों के लिए सौगात लेकर आई है. किसानों ने फसलों को खराब होने से बचाने के लिए कई प्रकार की दवाइयों का छिड़काव भी किया था ताकि पाले से फसलें बचाई जा सके. शिलाई के कफोटा, टिम्बी तिलोरधार, सतोन, रंगुवा, कोटगा, भुजोंन और पाब पंचायतों के लोग गेहूं, अदरक, लहसुन, टमाटर की खेती से ही अपना गुजर बसर करते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

जानिए पाले से कैसे खराब होती हैं फसलें

पाला दो तरह का होता है- पहला एडवेक्टिव और दूसरा रेडिएटिव. ठंडी हवाएं चलने पर एडवेक्टिव पाला पड़ता है. ऐसी हवा की परत एक-डेढ़ किलोमीटर तक हो सकती है. इस अवस्था में आसमान खुला हो या बादल हों, दोनों परिस्थितियों में एडवेक्टिव पाला पड़ सकता है. वहीं, जब आसमान बिल्कुल साफ हो और हवा शांत हो, तब रेडिएटिव प्रकार का पाला गिरता है. इस पाले की वजह से अक्सर फसलें खराब हो जाती हैं.

कृषि विज्ञानिक सुखदेव सिंह पटियाल ने बताया कि बिना किसी वैज्ञानिक की अनुमति के फसलों पर दवाओं का छिड़काव नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान की सहायता से ही फसलों पर दवाओं का छिड़काव करें ताकि फसलें बर्बाद होने से बचाई जा सके.

ये भी पढ़ें: CSIR पालमपुर ने सफलतापूर्वक उगाया मोंक फ्रूट, मधुमेह रोगियों को लिए रामबाण है फल

कृषि वैज्ञानिक सुखदेव सिंह पटियाल ने बताया कि बीते दो दिनों से हो रही बारिश किसान और बागवानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. सिरमौर जिले के पहाड़ी इलाकों के किसान अधिकतर फसलों पर ही निर्भर रहते हैं.

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर में बारिश किसानों के लिए राहत बनकर बरस रही है. सर्दी के मौसम में पड़ रहे कोहरे की वजह से फसलों को नुकसान पहुंच रहा था. टमाटर, मिर्च, लहसुन, सरसों, जीरा और धनिए की फसल कोहरे और पाले की वजह से मुरझानी शुरू हो गई थी.

बता दें कि बीते दो-तीन दिनों से झमाझम हो रही बारिश किसानों के लिए सौगात लेकर आई है. किसानों ने फसलों को खराब होने से बचाने के लिए कई प्रकार की दवाइयों का छिड़काव भी किया था ताकि पाले से फसलें बचाई जा सके. शिलाई के कफोटा, टिम्बी तिलोरधार, सतोन, रंगुवा, कोटगा, भुजोंन और पाब पंचायतों के लोग गेहूं, अदरक, लहसुन, टमाटर की खेती से ही अपना गुजर बसर करते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

जानिए पाले से कैसे खराब होती हैं फसलें

पाला दो तरह का होता है- पहला एडवेक्टिव और दूसरा रेडिएटिव. ठंडी हवाएं चलने पर एडवेक्टिव पाला पड़ता है. ऐसी हवा की परत एक-डेढ़ किलोमीटर तक हो सकती है. इस अवस्था में आसमान खुला हो या बादल हों, दोनों परिस्थितियों में एडवेक्टिव पाला पड़ सकता है. वहीं, जब आसमान बिल्कुल साफ हो और हवा शांत हो, तब रेडिएटिव प्रकार का पाला गिरता है. इस पाले की वजह से अक्सर फसलें खराब हो जाती हैं.

कृषि विज्ञानिक सुखदेव सिंह पटियाल ने बताया कि बिना किसी वैज्ञानिक की अनुमति के फसलों पर दवाओं का छिड़काव नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान की सहायता से ही फसलों पर दवाओं का छिड़काव करें ताकि फसलें बर्बाद होने से बचाई जा सके.

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कृषि वैज्ञानिक सुखदेव सिंह पटियाल ने बताया कि बीते दो दिनों से हो रही बारिश किसान और बागवानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. सिरमौर जिले के पहाड़ी इलाकों के किसान अधिकतर फसलों पर ही निर्भर रहते हैं.

Intro:बारिश किसानों के लिए सोने की बूंद बनी शीतलहर और पाले से जहां किसानों की फसलें मुरझा गई थी अब इस वर्ष की बारिश से आई जान बारिश से पर्यटक खुश और किसान भी खुशBody:
शीतलहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को थोड़ा नुकसान हो रहा था टमाटर, मिर्च, लहसुन सरसों जीरा, धनिया आदि वस्तुओं शीतलहर और पाले से मुरझाना शुरू हो गया था लेकिन लगातार दो-तीन दिनों से झमाझम बारिश ना केवल किसानों के लिए सोने की बूंद बनी है बल्कि बाहरी राज्यों से आए लोगों के लिए भी एक घूमने का सुनहरा अवसर दे रही है बाहरी राज्यों के लोग सफेद चादर को देखने के लिए हिमाचल का रुख कर के यहां के सुंदर-सुंदर पहाड़ों में घूमने पहुंच रहे हैं


देवभूमि हिमाचल के जिला सिरमौर में बारिश ना केवल किसानों के लिए अमृत की बूंद बनी है पर यहां के व्यापारियों के लिए भी रोजगार का मौका लाई है इस बारिश से एक और किसान खुश है तो दूसरी ओर यहां घूमने पहुंच रहे पर्यटक लेकिन जिला सिरमौर के पहाड़ी क्षेत्र शिलाई में जो फसलें पाले और शीतलहर से मुरझा गई थी झमाझम बारिश होने से फसलों में जान आ गई है यहां के किसान खेती पर ही निर्भर रहते हैं ऐसे में फसलों का मुरझाना किसानों के लिए काफी मुसीबत नजर आ रहा था किसानों ने फसलों को खराब होने से बचाने के लिए कई प्रकार की दवाइयों का छिड़काव भी किया ताकि पाले से फसलें बचाई जा सके शिलाई के कफोटा टिम्बी तिलोरधार सतोन रंगुवा कोटगा भुजोंन पाब आदि पंचायतों के लोग गेहूं और अदरक लहसुन टमाटर की खेती से ही अपना गुजर बसर करते हैं लेकिन इस वर्ष की बारिश ने किसानों की फसलों को अपनी जान दे दी है

कैसे पाले से होती है फसलें खराब

पाला दरअसल दो तरह का होता है । पहला एडवेक्टिव और दूसरा रेडिएटिव अर्थात विकिरण आधारित । एडवेक्टिव पाला तब पड़ता है जब ठंडी हवाएं चलती है । ऐसी हवा की परत एक-डेढ़ किलोमीटर तक हो सकती है । इस अवस्था में आसमान खुला हो या बादल हों, दोनों परिस्थितियों में एडवेक्टिव पाला पड़ सका है ।परन्तु जब आकाश बिलकुल साफ हो और हवा शांत हो, तब रेडिएटिव प्रकार का पाला गिरता है। जिस रात पाला पड़ने की आंशका व्यक्त की जाती है इस पाले की वजह से अक्सर फसलें खराब हो जाती है कृषि विज्ञानिक सुखदेव सिंह पटियाल ने बताया कि पाली से खराब होने के बाद बिना किसी वैज्ञानिक के अनुमति के बगैर फसलों का छिड़काव नहीं करना चाहिए उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान की सहायता से ही फसलों का छिड़काव करें ताकि फसलें बर्बाद होने से बचा जा सके उन्होंने बताया कि पहाड़ी इलाकों में हालांकि इस बार फसल अच्छी है लेकिन फिर फसलों को जान देने के लिए और पाले से थोड़ा बचाने के लिए समय-समय पर कृषि विज्ञानिक से जानकारी ले लेनी चाहिए


Conclusion:कृषि विज्ञानिक सुखदेव सिंह पटियाल ने बताया ने बताया कि यह झमाझम बारिश किसान भगवानों के लिए फायदेमंद है सिरमौर जिले के पहाड़ी इलाकों के किसान अधिकतर फसलों पर ही निर्भर रहते हैं बाल से किसानों की फसलों में अब जान आ जाएगी
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