पांवटा साहिब: जिला सिरमौर में बारिश किसानों के लिए राहत बनकर बरस रही है. सर्दी के मौसम में पड़ रहे कोहरे की वजह से फसलों को नुकसान पहुंच रहा था. टमाटर, मिर्च, लहसुन, सरसों, जीरा और धनिए की फसल कोहरे और पाले की वजह से मुरझानी शुरू हो गई थी.
बता दें कि बीते दो-तीन दिनों से झमाझम हो रही बारिश किसानों के लिए सौगात लेकर आई है. किसानों ने फसलों को खराब होने से बचाने के लिए कई प्रकार की दवाइयों का छिड़काव भी किया था ताकि पाले से फसलें बचाई जा सके. शिलाई के कफोटा, टिम्बी तिलोरधार, सतोन, रंगुवा, कोटगा, भुजोंन और पाब पंचायतों के लोग गेहूं, अदरक, लहसुन, टमाटर की खेती से ही अपना गुजर बसर करते हैं.
जानिए पाले से कैसे खराब होती हैं फसलें
पाला दो तरह का होता है- पहला एडवेक्टिव और दूसरा रेडिएटिव. ठंडी हवाएं चलने पर एडवेक्टिव पाला पड़ता है. ऐसी हवा की परत एक-डेढ़ किलोमीटर तक हो सकती है. इस अवस्था में आसमान खुला हो या बादल हों, दोनों परिस्थितियों में एडवेक्टिव पाला पड़ सकता है. वहीं, जब आसमान बिल्कुल साफ हो और हवा शांत हो, तब रेडिएटिव प्रकार का पाला गिरता है. इस पाले की वजह से अक्सर फसलें खराब हो जाती हैं.
कृषि विज्ञानिक सुखदेव सिंह पटियाल ने बताया कि बिना किसी वैज्ञानिक की अनुमति के फसलों पर दवाओं का छिड़काव नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान की सहायता से ही फसलों पर दवाओं का छिड़काव करें ताकि फसलें बर्बाद होने से बचाई जा सके.
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कृषि वैज्ञानिक सुखदेव सिंह पटियाल ने बताया कि बीते दो दिनों से हो रही बारिश किसान और बागवानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. सिरमौर जिले के पहाड़ी इलाकों के किसान अधिकतर फसलों पर ही निर्भर रहते हैं.