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पांवटा साहिब में ई-रिक्शा चालकों पर रोजी-रोटी का संकट, यूनियन ने सरकार से की ये मांग - हिमाचल में कोरोना संकट

पांवटा साहिब में ई-रिक्शा चालक समाधान नहीं निकलने के बाद विरोध के लिए सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. इनका कहना है कि गहनों पर लोन लेकर ई-रिक्शा खरीदे गए, लेकिन कोरोना संकट में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

e rickshaw drivers facing problems in Paonta Sahib
पांवटा साबिह में ई-रिक्शा चालकों पर रोजी-रोटी का संकट
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Published : May 20, 2020, 1:47 PM IST

पांवटा साहिब: कोरोना संकट ने ई-रिक्शा चलाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. मंगलवार को ई-रिक्शा संचालकों ने सरकार से गुहार लगाकर समस्याओं का समाधान करने की मांग की. परिवहन विभाग से 150 ई रिक्शा की परमिशन है. एक ई-रिक्शा की कीमत करीब दो लाख रुपये तक है. जिसमें इंश्योरेंस फीस सहित परिवहन विभाग की फीस भी लगती है. कई चालकों ने गहनों पर लोन लेकर काम शुरू किया, लेकिन कोरोना संकट ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया है. फिलहाल 130 ई-रिक्शा शरह में है और 20 ई-रिक्शा शहर में जल्द लाने की तैयारी है.

ई-रिक्शा चालकों के मुताबिक फाइनेंस कराए गए तकरीबन 7500 मासिक किस्त बनती है, जोकि लॉकडाउन के चलते अभी तक भरी नहीं जा सकी. चालकों का कहना है कि प्रशासन व परिवहन विभाग के दिए गए आश्वासन के मुताबिक ई-रिक्शा की कीमत के एवज में सब्सिडी का ऐलान हुआ था. अलग-अलग कीमतों के मुताबिक 30 से 35 हजार रुपए की सब्सिडी ई-रिक्शा खरीदने वालों के खाते में आनी थी जो अभी तक नहीं आई. ई-रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष नवाब खान ने बताया कि मजबूरन परिवहन विभाग व प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ेगा.

वीडियो

2 सवारी पर चलाने को तैयार

नवाब खान ने बताया प्रशासन से मांग की गई है कि सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रिक्शा यूनियन 2 सवारी में काम करने को तैयार हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. कम से कम ई-रिक्शा को सब्जी मंडियों से सब्जियां उठाकर पहुंचाने की अनुमति दी जाए. जिससे उनकी रोजी-रोटी का संकट समाप्त हो सके.

ये भी पढ़ें: सिरमौर और सोलन में कार्यरत 189 लोगों को भेजा गया उत्तराखंड

पांवटा साहिब: कोरोना संकट ने ई-रिक्शा चलाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. मंगलवार को ई-रिक्शा संचालकों ने सरकार से गुहार लगाकर समस्याओं का समाधान करने की मांग की. परिवहन विभाग से 150 ई रिक्शा की परमिशन है. एक ई-रिक्शा की कीमत करीब दो लाख रुपये तक है. जिसमें इंश्योरेंस फीस सहित परिवहन विभाग की फीस भी लगती है. कई चालकों ने गहनों पर लोन लेकर काम शुरू किया, लेकिन कोरोना संकट ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया है. फिलहाल 130 ई-रिक्शा शरह में है और 20 ई-रिक्शा शहर में जल्द लाने की तैयारी है.

ई-रिक्शा चालकों के मुताबिक फाइनेंस कराए गए तकरीबन 7500 मासिक किस्त बनती है, जोकि लॉकडाउन के चलते अभी तक भरी नहीं जा सकी. चालकों का कहना है कि प्रशासन व परिवहन विभाग के दिए गए आश्वासन के मुताबिक ई-रिक्शा की कीमत के एवज में सब्सिडी का ऐलान हुआ था. अलग-अलग कीमतों के मुताबिक 30 से 35 हजार रुपए की सब्सिडी ई-रिक्शा खरीदने वालों के खाते में आनी थी जो अभी तक नहीं आई. ई-रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष नवाब खान ने बताया कि मजबूरन परिवहन विभाग व प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ेगा.

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2 सवारी पर चलाने को तैयार

नवाब खान ने बताया प्रशासन से मांग की गई है कि सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रिक्शा यूनियन 2 सवारी में काम करने को तैयार हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. कम से कम ई-रिक्शा को सब्जी मंडियों से सब्जियां उठाकर पहुंचाने की अनुमति दी जाए. जिससे उनकी रोजी-रोटी का संकट समाप्त हो सके.

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