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ड्रिफ्टवुड कलाकारों ने एनएच किनारे लगाई प्रदर्शनी, पर्यटक भी खरीद रहे कलाकृतियां - नाहन में लकड़ी की कलाकृतियां

जिला सिरमौर के शंभूवाला गांव के दो भाई आशीष और अनूप ड्रिफ्टवुड कला से जुड़े हुए हैं. ये दोनों भाई जंगल से सूखी जड़ों और लकड़ी को इकठ्ठा करते हैं और फिर उनसे कई तरह के कला उत्पाद बना रहे हैं.

driftwood work by two brothers in nahan
नाहन में ड्रिफ्टवुड कला का काम
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Published : Dec 11, 2019, 1:15 PM IST

Updated : Dec 11, 2019, 4:29 PM IST

नाहन: कहा जाता है कि कला छुपाये नहीं छुपती और उसके लिए कोई न कोई मंच मिल ही जाता है. वनों में पेड़ों की जड़ों, शाखाओं में भी प्रकृति अपना स्वरूप दिखाती है. इन सूखी जड़ों आदि से कला कृतियों को बनाना ड्रिफ्टवुड कला कहा जाता है.

दरअसल, इसी कला में जिला सिरमौर के शंभूवाला गांव के दो भाई आशीष और अनूप भी जुड़े हुए हैं, जोकि पेशे से बढ़ई का काम करते हैं. साथ ही फुरसत में ड्रिफ्टवुड कला से जुड़े हुए हैं. ये दोनों भाई जंगल से सूखी जड़ों और लकड़ी को इकट्ठा करते हैं और फिर उनसे कई तरह के कला उत्पाद बना रहे हैं. इन कला कृतियों को पॉलिश और आकार देकर उन्हें सजाया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट

जब इन कला कृतियों को बेचने के लिए कोई मार्किट इन्हें नहीं मिली, तो इन्होंने एनएच-7 चंडीगढ़-देहरादून पर सड़क किनारे प्रदर्शनी लगाई है. यहां आते जाते पर्यटक इन उत्पादों को देखते हैं ओर धीरे धीरे अब इन कला कृतियों के खरीददार भी बढ़ने लगे हैं. इससे इन दोनों की आर्थिकी भी अच्छी होने लगी है.

कलाकार आशीष का कहना है कि सरकार उनकी बहुत सहायता कर रही है और डीआरडीए के माध्यम से उन्हें काम मिल रहा है. साथ ही उनके कुछ कला उत्पाद हिमाचल संग्राहालय त्रिलोकपुर में भी रखे गए हैं. ये दोनों भाई देश के लिए कुछ करना चाहते हैं ओर कला के माध्यम से देश सेवा में जुटे हुए हैं.

कलाकार अनूप ने बताया कि वो बढ़ई का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि जंगल में जड़ों आदि में उन्हें विभिन्न आकार दिखाए पड़े और उन्होंने ड्रिफ्टवुड को अपना पेशा बना लिया. आज उनका कार्य अच्छा चल रहा है. दोनों भाई इसी से जुड़े हैं और स्वरोजगार की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार ने भी उनकी बहुत मदद की है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द वो देश के लिए कला के माध्यम से और सेवा कर सकेंगे. अनूप ने बताया कि दोनों भाई अपने घर के पास सड़क के किनारे अपनी कला कृतियों को प्रदर्शित करते हैं और उनकी अच्छी आमदनी भी हो रही है.

चंडीगढ़ से आये सैलानी ने बताया कि इनकी कला कृतियां बहुत प्राकृतिक हैं और वो कई बार आते जाते इनसे ये उत्पाद खरीदते हैं. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप का बहुत अच्छा उदाहरण है. सैलानी ने कहा कि इन कलाकारों में बहुत प्रतिभा है और इनके उत्पाद बहुत कलात्मक हैं. सभी लोगों को ऐसे स्वरोजगार वालों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि दूसरे लोग भी इनसे प्रेरणा भी लें ओर यह कला भी जीवंत रहे.

कुल मिलाकर एक छोटे से गांव के इन कलाकारों ने सिद्ध किया है कि कला को स्वरोजगार से जोड़कर भी अपनी आर्थिकी सुदृढ़ की जा सकती है.

ये भी पढ़ें: बच्चा गुम होने के बाद रो-रोकर मां हो गई थी बेसुध, 'फरिश्ता' बनकर पुलिस ने घर पहुंचाया बेटा

नाहन: कहा जाता है कि कला छुपाये नहीं छुपती और उसके लिए कोई न कोई मंच मिल ही जाता है. वनों में पेड़ों की जड़ों, शाखाओं में भी प्रकृति अपना स्वरूप दिखाती है. इन सूखी जड़ों आदि से कला कृतियों को बनाना ड्रिफ्टवुड कला कहा जाता है.

दरअसल, इसी कला में जिला सिरमौर के शंभूवाला गांव के दो भाई आशीष और अनूप भी जुड़े हुए हैं, जोकि पेशे से बढ़ई का काम करते हैं. साथ ही फुरसत में ड्रिफ्टवुड कला से जुड़े हुए हैं. ये दोनों भाई जंगल से सूखी जड़ों और लकड़ी को इकट्ठा करते हैं और फिर उनसे कई तरह के कला उत्पाद बना रहे हैं. इन कला कृतियों को पॉलिश और आकार देकर उन्हें सजाया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट

जब इन कला कृतियों को बेचने के लिए कोई मार्किट इन्हें नहीं मिली, तो इन्होंने एनएच-7 चंडीगढ़-देहरादून पर सड़क किनारे प्रदर्शनी लगाई है. यहां आते जाते पर्यटक इन उत्पादों को देखते हैं ओर धीरे धीरे अब इन कला कृतियों के खरीददार भी बढ़ने लगे हैं. इससे इन दोनों की आर्थिकी भी अच्छी होने लगी है.

कलाकार आशीष का कहना है कि सरकार उनकी बहुत सहायता कर रही है और डीआरडीए के माध्यम से उन्हें काम मिल रहा है. साथ ही उनके कुछ कला उत्पाद हिमाचल संग्राहालय त्रिलोकपुर में भी रखे गए हैं. ये दोनों भाई देश के लिए कुछ करना चाहते हैं ओर कला के माध्यम से देश सेवा में जुटे हुए हैं.

कलाकार अनूप ने बताया कि वो बढ़ई का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि जंगल में जड़ों आदि में उन्हें विभिन्न आकार दिखाए पड़े और उन्होंने ड्रिफ्टवुड को अपना पेशा बना लिया. आज उनका कार्य अच्छा चल रहा है. दोनों भाई इसी से जुड़े हैं और स्वरोजगार की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार ने भी उनकी बहुत मदद की है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द वो देश के लिए कला के माध्यम से और सेवा कर सकेंगे. अनूप ने बताया कि दोनों भाई अपने घर के पास सड़क के किनारे अपनी कला कृतियों को प्रदर्शित करते हैं और उनकी अच्छी आमदनी भी हो रही है.

चंडीगढ़ से आये सैलानी ने बताया कि इनकी कला कृतियां बहुत प्राकृतिक हैं और वो कई बार आते जाते इनसे ये उत्पाद खरीदते हैं. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप का बहुत अच्छा उदाहरण है. सैलानी ने कहा कि इन कलाकारों में बहुत प्रतिभा है और इनके उत्पाद बहुत कलात्मक हैं. सभी लोगों को ऐसे स्वरोजगार वालों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि दूसरे लोग भी इनसे प्रेरणा भी लें ओर यह कला भी जीवंत रहे.

कुल मिलाकर एक छोटे से गांव के इन कलाकारों ने सिद्ध किया है कि कला को स्वरोजगार से जोड़कर भी अपनी आर्थिकी सुदृढ़ की जा सकती है.

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Intro:-पर्यटक भी खरीद रहे कलाकृतियां, जंगलों से जड़ों आदि से बना रहे अदभुत कला के नमूने
नाहन। कहा जाता है कि कला छुपाये नहीं छुपती ओर उसके लिए कोई ना कोई मंच मिल ही जाता है। वनो में पेड़ों की जड़ों, शाखाओं में भी प्रकृति अपना स्वरूप दिखाती है। इन सुखी जड़ों आदि से कला कृतियों को बनाना ड्रिफ्टवुड कला कहा जाता है। Body:दरअसल इसी कला में सिरमौर जिला के शंभूवाला गांव के दो भाई आशीष व अनूप भी जुड़े हुए हैं, जोकि पेशे से बढ़ई का कार्य करते हैं ओर फुरसत में ड्रिफ्टवुड कला से जुड़े हुए हैं। ये दोनों भाई जंगल से सुखी जड़ों व लकड़ी एकत्रित करते हैं और फिर उनसे विभिन्न प्रकार के कला उत्पाद बना रहे हैं। इन कला कृतियों को पोलिश व आकार देकर उन्हें सजाया जाता है। लेकिन कला कृतियों को बेचने के लिए कोई मार्किट इन्हे नहीं मिली तो इन्होने एनएच-7 चंडीगढ़ -देहरादून पर सड़क किनारे प्रदर्शनी लगाई है। आते जाते पर्यटक इन उत्पादों को देखते हैं ओर धीरे धीरे अब खरीददार भी बढ़ने लगे हैं। इससे इन दोनों की आर्थिकी भी अच्छी होने लगी है। कलाकार आशीष का कहना है कि सरकार उनकी बहुत सहायता कर रही है ओर डीआरडीए के माध्यम से उन्हें काम मिल रहा है व कुछ उनके कला उत्पाद हिमाचल संग्राहलय त्रिलोकपुर में भी रखे गए हैं। ये दोनों भाई देश के लिए कुछ करना चाहते हैं ओर कला के माध्यम से देश सेवा में जुटे हुए हैं।
बाईट 1 : आशीष कलाकार
वहीं कलाकार अनूप ने बताया कि वो बढ़ई का काम करते हैं व जंगल में जड़ो आदि में उन्हें विभिन्न आकार दिखाए पड़े और उन्होंने ड्रिफ्टवुड को अपना पेशा बना लिया। आज उनका कार्य अच्छा चल रहा है व दोनों भाई इसी से जुड़े हैं। स्वरोजगार की और बढ़ रहे हैं। सरकार ने भी उनकी बहुत मदद की है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द वो देश के लिए कला के माध्यम से और सेवा कर सकेंगे। अनूप ने बताया कि दोनों भाई अपने घर के पास सड़क के किनारे अपनी कला कृतियों को प्रदर्शित करते हैं ओर उनकी अच्छी आमदनी भी हो रही है।
बाईट : 2 अनूप कलाकार
उधर चंडीगढ़ से आये सैलानी ने बताया कि इनकी कला कृतियां बहुत प्राकृतिक हैं और वो कई बार आते जाते इनसे ये उत्पाद खरीदते हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप का बहुत अच्छा उदाहरण है। सैलानी ने बताया कि इन कलाकारों में बहुत प्रतिभा है ओर इनके उत्पाद बहुत कलात्मक हैं। सभी लोगो को ऐसे स्वरोजगार वालों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि अन्य लोग भी इनसे प्रेरणा भी लें ओर यह कला भी जीवंत रहे।
बाइट 3 व 4 सैलानी
Conclusion:कुल मिलाकर एक छोटे से गांव के इन कलाकारों ने सिद्ध किया है कि कला को स्वरोजगार को जोड़कर भी अपनी आर्थिकी सुदृढ़ की जा सकती है।
Last Updated : Dec 11, 2019, 4:29 PM IST
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