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यहां आज भी खत्म नहीं हुई सदियों पुरानी बाल विवाह कुरीति, खेलकूद की उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ

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Published : Feb 18, 2021, 12:56 PM IST

Updated : Feb 19, 2021, 3:24 PM IST

देवभूमि हिमाचल के जिला सिरमौर में बाल विवाह के मामले बढ़ रहे हैं. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि जिस वक्त देश और प्रदेश वैश्विक महामारी कोरोना की व्यापक स्तर पर मार झेल रहा था, उस 2020 में भी यहां अन्य सालों की अपेक्षा बाल विवाह के मामलों में काफी वृद्धि दर्ज हुई है.

child marriage sirmour
child marriage sirmour

सिरमौर/नाहन: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में लगातार बाल विवाह के मामले बढ़ रहे हैं. महज 2 सालों के आंकड़े ही चौंकाने वाले हैं. इस दौरान जिला सिरमौर में चाइल्ड लाइन के पास कुल 71 मामले दर्ज हुए हैं. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि जिस वक्त देश और प्रदेश वैश्विक महामारी कोरोना की व्यापक स्तर पर मार झेल रहा था, उस 2020 में भी यहां अन्य सालों की अपेक्षा बाल विवाह के मामलों में काफी वृद्धि दर्ज हुई है.

वीडियो रिपोर्ट.

कोरोना काल में ज्यादा शिकायतें

बाल विवाह के अधिकतर मामले सिरमौर जिला के दुर्गम क्षेत्रों में अक्सर सामने आते हैं. बता दें कि बाल विवाह के खिलाफ सख्त कानून के बावजूद भी हिमाचल के इस जिले में बाल विवाह की शिकायतें ज्यादा मिलती हैं. हैरानी की बात ये है कि कोरोना काल में चाइल्ड लाइन के पास इस तरह की शिकायतें ज्यादा आईं.

चाइल्ड लाइन के मुताबिक सिरमौर जिले में बीते 2 साल में 115 शिकायतें मिलीं. इनमें से 44 शिकायतें साल 2019 में आईं, जबकि साल 2020 में ऐसी 71 शिकायतें चाइल्ड लाइन को मिलीं. 2020 के कोरोना काल में 2019 के मुकाबले बाल विवाह से जुड़ी ज्यादा शिकायतें आईं. कुल शिकायतों में से करीब 10 फीसदी शिकायतों में ही बाल विवाह रूक पाए हैं.

बाल विवाह मामलों को साबित कर पाना मुश्किल

चाइल्ड लाइन की कार्यकारिणी सदस्य निशा चौहान का कहना है कि बाल विवाह के अधिकतर मामलों को साबित करना बहुत ही मुश्किल होता है. जब भी इस तरह की शिकायत मिलने के बाद उनकी टीम मौके पर पहुंचती है तो बाल विवाह का कोई सबूत नहीं मिलता. परिजन या तो लड़की के भाग जाने की बात कहते हैं या फिर किसी रिश्तेदार के घर मेहमान बनकर चले जाने की बात कहते हैं.

बता दें कि बाल विवाह से जुड़े सभी मामलों को महिला बाल विकास विभाग के समक्ष पेश किया जाता है. बाल विवाह की शिकायत मिलने पर चाइल्ड लाइन या दूसरे सामाजिक संगठन पुलिस का भी सहयोग लेते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में हाथ कुछ नहीं लगता.

आखिर क्या है वजह?

सामाजिक संगठनों से लेकर चाइल्ड लाइन से जुड़े कार्यकर्ताओं के मुताबिक सिरमौर के ऊंचाई वाले इलाकों में बाल विवाह के मामले सामने आ रहे हैं. इन इलाकों से ऐसी शिकायतें मिलने की कई वजह हैं जिनमें से मुख्य है.

1. इस इलाके में लोग गरीब हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बाल-विवाह कर दिया जाता है.

2. इन इलाकों में साक्षरता दर बहुत कम है. बच्चों के पढ़ाई बीच में छोड़ना भी इसकी एक वजह है.

3. बाल विवाह एक अपराध और बचपन को बेड़ियों में जकड़ने जैसा है. इस तरह की जागरुकता इस इलाके के लोगों में कम है.

4. कुछ इलाकों में बाल विवाह एक परंपरा है जो लंबे वक्त से चली आ रही है और शिक्षा, जागरुकता के अभाव में इन्हें अब भी निभाया जा रहा है.

शिक्षा और जागरुकता है जरूरी

सिरमौर में बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो इस इलाके में शिक्षा और जागरुकता बढ़ानी होगी. बच्चों को शिक्षा की तरफ ध्यान देना होगा. खासकर ध्यान देना होगा कि बच्चे स्कूल की पढ़ाई पूरी करें और महिलाओं की साक्षरता दर को भी बढ़ाना होगा.

बाल विवाह एक जहर है जो बच्चों का भविष्य बर्बाद कर देता है. इसके लिए शिक्षा के अलावा जागरुकता का स्तर और दायरा भी बढ़ाना होगा. वहीं, बाल विवाह के दुष्परिणामों को लेकर लोगों को जागरुक करना होगा. बाल विवाह के कारण भविष्य में बच्चों के शारीरिक से लेकर मानसिक दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरुक करना होगा.

ये भी पढ़ें- बड़ी खबर: मिल्कफेड के पूर्व एमडी के खिलाफ FIR दर्ज, आय से अधिक संपत्ति का मामला

परिजनों को जागरुक करना होगा, ताकि वो अपने बच्चों को बाल विवाह की बेड़ियों में ना बांधे. साथ ही बच्चों को शिक्षित करने के साथ जागरुक करना होगा, ताकि वो अपने साथ या अपने आस-पास हो रही बाल विवाह की कुप्रथा का विरोध या शिकायत कर सकें.

सरकार की जिम्मेदारी बड़ी है

बाल विवाह की कुप्रथा को जड़ से मिटाने के लिए सरकार को सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी. इन इलाकों में गरीबी, जागरुकता और शिक्षा की कमी ऐसे मामलों की मुख्य वजह है. ऐसे में इन इलाकों में जागरुकता, गरीबी और शिक्षा का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार को जिम्मेदारी निभानी होगी.

जागरुकता का विस्तार जरूरी

इलाके में मूलभूत सुविधाओं से लेकर शिक्षा और जागरुकता का विस्तार करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे. स्थानीय प्रशासन से लेकर चाइल्ड लाइन और अन्य सामाजिक संगठनों को भी सुविधाएं देनी होंगी, ताकि ऐसे मामलों में कमी आए और अगर कोई ऐसा मामला सामने आता भी है तो पुलिस प्रशासन से लेकर चाइल्ड लाइन या अन्य सामाजिक संगठन मौके पर जल्द से जल्द पहुंचकर बाल-विवाह को रोक सके.

ये भी पढ़ें- तमिलनाडु में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन करके बनाएंगे सरकारः जेपी नड्डा

सिरमौर/नाहन: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में लगातार बाल विवाह के मामले बढ़ रहे हैं. महज 2 सालों के आंकड़े ही चौंकाने वाले हैं. इस दौरान जिला सिरमौर में चाइल्ड लाइन के पास कुल 71 मामले दर्ज हुए हैं. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि जिस वक्त देश और प्रदेश वैश्विक महामारी कोरोना की व्यापक स्तर पर मार झेल रहा था, उस 2020 में भी यहां अन्य सालों की अपेक्षा बाल विवाह के मामलों में काफी वृद्धि दर्ज हुई है.

वीडियो रिपोर्ट.

कोरोना काल में ज्यादा शिकायतें

बाल विवाह के अधिकतर मामले सिरमौर जिला के दुर्गम क्षेत्रों में अक्सर सामने आते हैं. बता दें कि बाल विवाह के खिलाफ सख्त कानून के बावजूद भी हिमाचल के इस जिले में बाल विवाह की शिकायतें ज्यादा मिलती हैं. हैरानी की बात ये है कि कोरोना काल में चाइल्ड लाइन के पास इस तरह की शिकायतें ज्यादा आईं.

चाइल्ड लाइन के मुताबिक सिरमौर जिले में बीते 2 साल में 115 शिकायतें मिलीं. इनमें से 44 शिकायतें साल 2019 में आईं, जबकि साल 2020 में ऐसी 71 शिकायतें चाइल्ड लाइन को मिलीं. 2020 के कोरोना काल में 2019 के मुकाबले बाल विवाह से जुड़ी ज्यादा शिकायतें आईं. कुल शिकायतों में से करीब 10 फीसदी शिकायतों में ही बाल विवाह रूक पाए हैं.

बाल विवाह मामलों को साबित कर पाना मुश्किल

चाइल्ड लाइन की कार्यकारिणी सदस्य निशा चौहान का कहना है कि बाल विवाह के अधिकतर मामलों को साबित करना बहुत ही मुश्किल होता है. जब भी इस तरह की शिकायत मिलने के बाद उनकी टीम मौके पर पहुंचती है तो बाल विवाह का कोई सबूत नहीं मिलता. परिजन या तो लड़की के भाग जाने की बात कहते हैं या फिर किसी रिश्तेदार के घर मेहमान बनकर चले जाने की बात कहते हैं.

बता दें कि बाल विवाह से जुड़े सभी मामलों को महिला बाल विकास विभाग के समक्ष पेश किया जाता है. बाल विवाह की शिकायत मिलने पर चाइल्ड लाइन या दूसरे सामाजिक संगठन पुलिस का भी सहयोग लेते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में हाथ कुछ नहीं लगता.

आखिर क्या है वजह?

सामाजिक संगठनों से लेकर चाइल्ड लाइन से जुड़े कार्यकर्ताओं के मुताबिक सिरमौर के ऊंचाई वाले इलाकों में बाल विवाह के मामले सामने आ रहे हैं. इन इलाकों से ऐसी शिकायतें मिलने की कई वजह हैं जिनमें से मुख्य है.

1. इस इलाके में लोग गरीब हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बाल-विवाह कर दिया जाता है.

2. इन इलाकों में साक्षरता दर बहुत कम है. बच्चों के पढ़ाई बीच में छोड़ना भी इसकी एक वजह है.

3. बाल विवाह एक अपराध और बचपन को बेड़ियों में जकड़ने जैसा है. इस तरह की जागरुकता इस इलाके के लोगों में कम है.

4. कुछ इलाकों में बाल विवाह एक परंपरा है जो लंबे वक्त से चली आ रही है और शिक्षा, जागरुकता के अभाव में इन्हें अब भी निभाया जा रहा है.

शिक्षा और जागरुकता है जरूरी

सिरमौर में बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो इस इलाके में शिक्षा और जागरुकता बढ़ानी होगी. बच्चों को शिक्षा की तरफ ध्यान देना होगा. खासकर ध्यान देना होगा कि बच्चे स्कूल की पढ़ाई पूरी करें और महिलाओं की साक्षरता दर को भी बढ़ाना होगा.

बाल विवाह एक जहर है जो बच्चों का भविष्य बर्बाद कर देता है. इसके लिए शिक्षा के अलावा जागरुकता का स्तर और दायरा भी बढ़ाना होगा. वहीं, बाल विवाह के दुष्परिणामों को लेकर लोगों को जागरुक करना होगा. बाल विवाह के कारण भविष्य में बच्चों के शारीरिक से लेकर मानसिक दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरुक करना होगा.

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परिजनों को जागरुक करना होगा, ताकि वो अपने बच्चों को बाल विवाह की बेड़ियों में ना बांधे. साथ ही बच्चों को शिक्षित करने के साथ जागरुक करना होगा, ताकि वो अपने साथ या अपने आस-पास हो रही बाल विवाह की कुप्रथा का विरोध या शिकायत कर सकें.

सरकार की जिम्मेदारी बड़ी है

बाल विवाह की कुप्रथा को जड़ से मिटाने के लिए सरकार को सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी. इन इलाकों में गरीबी, जागरुकता और शिक्षा की कमी ऐसे मामलों की मुख्य वजह है. ऐसे में इन इलाकों में जागरुकता, गरीबी और शिक्षा का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार को जिम्मेदारी निभानी होगी.

जागरुकता का विस्तार जरूरी

इलाके में मूलभूत सुविधाओं से लेकर शिक्षा और जागरुकता का विस्तार करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे. स्थानीय प्रशासन से लेकर चाइल्ड लाइन और अन्य सामाजिक संगठनों को भी सुविधाएं देनी होंगी, ताकि ऐसे मामलों में कमी आए और अगर कोई ऐसा मामला सामने आता भी है तो पुलिस प्रशासन से लेकर चाइल्ड लाइन या अन्य सामाजिक संगठन मौके पर जल्द से जल्द पहुंचकर बाल-विवाह को रोक सके.

ये भी पढ़ें- तमिलनाडु में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन करके बनाएंगे सरकारः जेपी नड्डा

Last Updated : Feb 19, 2021, 3:24 PM IST
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