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अद्भुत हिमाचल: लंकापति रावण ने अमरता पाने के लिए यहां बनाई थी चमत्कारी सीढ़ी! - तीसरी पौड़ी चूड़ेश्वर महादेव

सिरमौर जिला के पांवटा साहिब-कालाअंब नेशनल हाईवे-7 पर पौड़ीवाला प्राचीन शिव मंदिर में कोई आम शिवलिंग नहीं है. यहां शिवलिंग का आकार अब भी हर साल एक से दो इंच तक बढ़ जाता है. अगर ऐसा भी कहा जाए कि यहां चमत्कारी शिवलिंग है, तो इसमें भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

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लंकापति रावण ने बनाई थी चमत्कारी सीढ़ी
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Published : Jan 12, 2021, 9:24 PM IST

नाहन: पांवटा साहिब-कालाअंब नेशनल हाईवे-7 पर पौड़ीवाला प्राचीन शिव मंदिर में मान्यताओं के अनुसार यहां भोलेनाथ का चमत्कार देखने को मिलता है. सालभर यहां भक्तों का आवागमन होता है, लेकिन महाशिवरात्रि और श्रावण माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से श्रावण माह में भक्तों की संख्या काफी कम है.

कहा यह भी जाता है कि शक्तिशाली होने के बावजूद लंकापति रावण अमरता चाहता था. घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने उसे अमर होने का राज बताया. इसके बाद रावण ने यहां चमत्कारी सीढ़ी बना दी. मगर फिर भी उसका सपना पूरा नहीं हो पाया. इस मंदिर का इतिहास पांवटा-कालाअंब नेशनल हाईवे के किनारे मंदिर को जाने वाले रास्ते पर लगे बोर्ड पर भी दर्शाया गया है, ताकि यहां आने वाले लोगों को इसकी ऐतिहासिकता का पता चल सके.

वीडियो रिपोर्ट.

क्या है कहानी?

जनश्रुति के अनुसार हिमाचल के नाहन से करीब 5 किलोमीटर दूर पौड़ीवाला शिव मंदिर का इतिहास लंकापति रावण के साथ जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. कहते हैं कि ये कहानी उस समय की है, जब श्रीराम अयोध्या के राजा बनने वाले थे.

उसी दौरान रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना की. रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव शंकर भगवान प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा. रावण ने अमरता का वरदान मांगा तो भगवान शिव ने उसे अमर होने की तरकीब बताई. ये तरकीब आसान नहीं थी. भगवान शिव ने कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होंगी. इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा,

पौड़ीवाला में बनाई थी दूसरी पौढ़ी

रावण ने अमरता पाने के लिए अपना काम शुरू कर दिया. रावण ने पहली पौड़ी हरिद्वार में हर की पौड़ी, दूसरी पौड़ी यहां पौड़ीवाला में, तीसरी पौड़ी चूड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई. मगर इसके बाद रावण इतना थक गया कि उसे नींद आ गई. जब वह जागा तो अगली सुबह हो गई थी, ऐसे में उसे अमरता नहीं मिल पाई.

पौड़ीवाला स्थित इस जगह में आज भी दूसरी पौड़ी विद्यमान है. साथ ही वह बावड़ी भी है, जहां से रावण पानी भरता था. कहते हैं कि पौड़ीवाला स्थित इस शिव मंदिर में साक्षात शिव शंकर भगवान वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला भी लगता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

उल्लेखनीय है कि भगवान शिव के इस पावन स्थान के लिए नेशनल हाइवे से डेढ़ किलोमीटर तक के मार्ग को भी पक्का कर दिया गया है. अब वह भक्त भी यहां वाहन के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं, जो उबड़ खाबड़ रास्ता होने की वजह से यहां नहीं पहुंच पाते थे.

ये भी पढ़ें: हिमाचल आएंगे अमित शाह और जेपी नड्डा, 50वें पूर्ण राज्यत्व कार्यक्रम में होंगे शामिल

नाहन: पांवटा साहिब-कालाअंब नेशनल हाईवे-7 पर पौड़ीवाला प्राचीन शिव मंदिर में मान्यताओं के अनुसार यहां भोलेनाथ का चमत्कार देखने को मिलता है. सालभर यहां भक्तों का आवागमन होता है, लेकिन महाशिवरात्रि और श्रावण माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से श्रावण माह में भक्तों की संख्या काफी कम है.

कहा यह भी जाता है कि शक्तिशाली होने के बावजूद लंकापति रावण अमरता चाहता था. घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने उसे अमर होने का राज बताया. इसके बाद रावण ने यहां चमत्कारी सीढ़ी बना दी. मगर फिर भी उसका सपना पूरा नहीं हो पाया. इस मंदिर का इतिहास पांवटा-कालाअंब नेशनल हाईवे के किनारे मंदिर को जाने वाले रास्ते पर लगे बोर्ड पर भी दर्शाया गया है, ताकि यहां आने वाले लोगों को इसकी ऐतिहासिकता का पता चल सके.

वीडियो रिपोर्ट.

क्या है कहानी?

जनश्रुति के अनुसार हिमाचल के नाहन से करीब 5 किलोमीटर दूर पौड़ीवाला शिव मंदिर का इतिहास लंकापति रावण के साथ जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. कहते हैं कि ये कहानी उस समय की है, जब श्रीराम अयोध्या के राजा बनने वाले थे.

उसी दौरान रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना की. रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव शंकर भगवान प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा. रावण ने अमरता का वरदान मांगा तो भगवान शिव ने उसे अमर होने की तरकीब बताई. ये तरकीब आसान नहीं थी. भगवान शिव ने कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होंगी. इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा,

पौड़ीवाला में बनाई थी दूसरी पौढ़ी

रावण ने अमरता पाने के लिए अपना काम शुरू कर दिया. रावण ने पहली पौड़ी हरिद्वार में हर की पौड़ी, दूसरी पौड़ी यहां पौड़ीवाला में, तीसरी पौड़ी चूड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई. मगर इसके बाद रावण इतना थक गया कि उसे नींद आ गई. जब वह जागा तो अगली सुबह हो गई थी, ऐसे में उसे अमरता नहीं मिल पाई.

पौड़ीवाला स्थित इस जगह में आज भी दूसरी पौड़ी विद्यमान है. साथ ही वह बावड़ी भी है, जहां से रावण पानी भरता था. कहते हैं कि पौड़ीवाला स्थित इस शिव मंदिर में साक्षात शिव शंकर भगवान वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला भी लगता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

उल्लेखनीय है कि भगवान शिव के इस पावन स्थान के लिए नेशनल हाइवे से डेढ़ किलोमीटर तक के मार्ग को भी पक्का कर दिया गया है. अब वह भक्त भी यहां वाहन के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं, जो उबड़ खाबड़ रास्ता होने की वजह से यहां नहीं पहुंच पाते थे.

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