शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनावों के दौरान जिला परिषद कैडर कर्मचारियों की मांगों को मानने का वादा करने वाली कांग्रेस की सरकार में ये कर्मचारी अब आंदोलन के रास्ते पर हैं. सरकार से नाराज चल रहे जिला परिषद कैडर कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर एक दिन का सामूहिक अवकाश किया. कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में कामकाज ठप रखा. कर्मचारी संशोधित वेतनमान जारी करने के साथ ही पंचायती राज विभाग में विलय करने की मांग कर रहे हैं. प्रदेश के ग्रामीण स्तर पर अपनी सेवाएं देने वाले जिला परिषद कैडर के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को सामूहिक अवकाश पर रहे. राज्य में करीब 4700 कर्मचारियों ने पंचायत, ब्लॉक स्तर पर कामकाज नहीं किया.
अभी तक नहीं मिला 6ठे वेतन आयोग के तहत वेतन: कर्मचारी लंबे समय से संशोधित वेतनमान की मांग कर रहे हैं. हालांकि अन्य विभागों और बोर्डों के कर्मचारियों को सरकार ने संशोधित वेतनमान दे दिया है. सभी कर्मचारियों को दिसंबर 2021 में संशोधित वेतनमान जारी करने का ऐलान तत्कालीन जयराम सरकार ने किया था. यही नहीं इन कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान जनवरी 2016 से दिया जाएगा. हालांकि 2016 से 2022 तक का यह एरियर कर्मचारियों का किस्तों में मिलेगा जिसकी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 60 हजार की किस्त जारी की गई थी जबकि तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को 50 हजार की किस्त दी गई थी. बाकी राशि भी किस्तों में दी जानी है. हालांकि अभी सरकार इन एरियर को देने की स्थिति में जरूर नहीं है, लेकिन देर सबेर इन कर्मचारियों को यह एरियर भी मिलेगा, जबकि संशोधित वेतन मान 2022 से अब हिमाचल में सभी कर्मचारियों को दिया जा रहा है.
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जिला परिषद कैडर कर्मचारी संशोधित वेतनमान से भी वंचित: हिमाचल में जिला परिषद कैडर के तहत राज्य सरकार ने करीब 4700 कर्मचारियों को नियुक्त कर रखा है. इनमें करीब 3000 पंचायत सचिव, 1000 तकनीकी सहायक, 400 जेई, 60 एसडीओ, 3 एक्सईन और 60 कनिष्ठ लेखापाल शामिल हैं. इन कर्मचारियों को सरकार ने अभी तक संशोधित वेतनमान नहीं दिया है. एक ओर जहां प्रदेश के करीब 2.50 लाख कर्मचारियों पर छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर उनको संशोधित वेतनमान दिया जा रहा है. वहीं, जिला परिषद के करीब 4700 कर्मचारियों को पांचवें वेतन आयोग के मुताबिक ही वेतन दिया जा रहा है.
कर्मचारी प्रमोशन से भी वंचित: जिला परिषद कैडर के ये कर्मचारी ग्रामीण स्तर पर सरकार की योजनाओं को लागू करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. सरकारी की सभी योजनाएं पंचायत और ब्लॉक और जिला परिषदों के माध्यम से लागू जा रही है. लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि उनके साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. जिला परिषद के कर्मचारियों के लिए सरकार ने आरएंडपी रूल्स भी नहीं बनाए हैं. यही वजह है कि ये कर्मचारी जिस पद पर नियुक्त थे अब उन्हीं से ही रिटायर हो जाएंगे. यही नहीं इन कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन भी नहीं दी गई है.
कांग्रेस ने सत्ता में आने पर दिया था भरोसा: कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान इन कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान सहित अन्य मांगों को मानने का भरोसा दिया था. कर्मचारियों का कहना है कि इससे पहले जब जयराम सरकार के समय में उन्होंने 12 दिन ने हड़ताल की थी तब कांग्रेस ने जोरों शोरों से उनका मुद्दा उठाया था, लेकिन सत्ता में आने पर सरकार अब उनकी सुध नहीं ले रही. जिला परिषद कैडर कर्मचारी एवं अधिकारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि एक ओर जहां सभी कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान दिया गया है. वहीं, जिला परिषद कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया है. राजेश ठाकुर ने कहा कि आज पूरे प्रदेश में 4700 कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश लिया. इसके बाद भी अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती तो वे हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे.
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