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हिमाचल में रेडियोलॉजी तकनीक से गंभीर बीमारियों का इलाज हुआ संभव, मरीजों को नहीं करना होगा बाहरी राज्यों का रुख - हिमाचल प्रदेश

World Radiography Day 2023: हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में रेडियोलॉजी की अहम भूमिका रही है. इसके जरिए किसी भी बीमारी का आसानी से पता लगाया जा सकता है और इलाज किया जा सकता है. आईजीएमसी शिमला में रेडियोलॉजी की लगभग सभी तकनीकें उपलब्ध हैं.

Radiology Technology in Himachal
हिमाचल में रेडियोलॉजी तकनीक
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 8, 2023, 1:49 PM IST

Updated : Nov 8, 2023, 4:40 PM IST

रेडियोलॉजी तकनीक से गंभीर बीमारियों का इलाज

शिमला: हिमाचल प्रदेश में रेडियोलॉजी की नई तकनीकों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है. रेडियोलॉजी टेक्नीक के जरिए मरीजों का इलाज बेहद आसान हो गया है. अब मरीजों को अपना इलाज करवाने के लिए बाहरी राज्यों का रुख नहीं करना पड़ता है. हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में रेडियोलॉजी की लगभग सभी तकनीकें उपलब्ध हैं. जिससे बेहद आसानी के साथ मरीजों का इलाज किया जाता है.

इलाज में वरदान रेडियोलॉजी तकनीक: आईजीएमसी शिमला में रेडियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. नीति अग्रवाल ने बताया कि रेडियोलॉजी टेक्नीक मरीजों के इलाज के लिए वरदान साबित हो रही है. इसके जरिए किसी भी बीमारी का पता लगाया जा सकता है, जो कि पहले संभव नहीं था. एक्स-रे के जरिए आसानी से बीमारियों का पता कर समय पर उनका इलाज किया जा सकता है. वहीं, रेडियोलॉजी की अन्य तकनीक सीटी स्कैन, एमआरआई, डेक्सा स्कैन से गंभीर बीमारी का पता करना और इलाज करना भी आसान हुआ है.

डेक्सा स्कैन से हो रही हड्डियों की जांच: आईजीएमसी शिमला में डेक्सा स्कैन मशीन की सुविधा भी उपलब्ध है. डॉ. नीति अग्रवाल ने बताया कि डेक्सा स्कैन से हड्डियों की कमजोरी का पता लगया जाता है. उन्होंने बताया कि 50 साल की उम्र के बाद महिलाओं और पुरुषों की हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती हैं. ऐसे में समय-समय पर जांच बेहद जरूरी है. डेक्सा स्कैन के जरिए हड्डियों की कमजोरी का पता लगाना और इलाज करना आसान हो गया है.

'डॉक्टर के परामर्श के बिना न करवाएं एक्स-रे': डॉ. नीति अग्रवाल ने बताया कि रेडियोलॉजी की तकनीक का उपयोग इलाज के लिए किया जाता है. जिसमें की ये बहुत ही कारगर सिद्ध हो रही है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ इसके भी साइड इफेक्ट हैं. जैसे की कैंसर का होना, स्किन बर्न होना और आंखों में मोतियाबिंद की समस्या का होना. इसलिए बिना डॉक्टरों की सलाह के एक्स-रे नहीं करवाने चाहिए.

IGMC में 64-स्लाइस सीटी स्कैन की सुविधा: वहीं, आईजीएमसी शिमला में रेडियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. विजय ठाकुर ने बताया कि हिमाचल में जब से रेडियोलॉजी की तकनीक विकसित हुई है, मरीजों को राहत मिली है. इससे पहले मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़ और बाहरी राज्यों में जाकर इलाज करवाना पड़ता था, लेकिन अब आईजीएमसी शिमला में ही इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि अभी अस्पताल में 64-स्लाइस सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है. आने वाले समय में 128-स्लाइस की सुविधा मिल जाएगी.

रेडियोलॉजी का उपयोग: वहीं, चमियाना में 256-स्लाइस सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है. इससे गंभीर बीमारी का भी आसानी से पता लग जाता है. उन्होंने बताया कि एंजियोग्राफी रेडियोलॉजी विभाग की सहायता से ही किया जाता है. इसके अलावा यकृत कैंसर के मामले में भी यह उपचार पद्धति बहुत कारगर है. इनके अलावा, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, कैंसर रोगियों में दर्द के लक्षणों को प्रभावी ढंग से मैनेज करके उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण है.

इन गंभीर बीमारियों के इलाज में मददगार: रेडियोलॉजी तकनीक से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है. चूंकि यह प्रक्रिया कम चीरफाड़ वाली है, इसलिए इसे दिनभर की देखभाल में किया जा सकता है. रेडियोलॉजी तकनीक ट्यूमर के प्रभाव को भी कंट्रोल करती है. डॉ. विजय ठाकुर ने बताया कि कैंसर के उपचार में एक अन्य इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी तकनीक, धमनी मार्ग के माध्यम से कीमोथेरेपी का इंट्रा-आर्टिरियल इन्फ्यूजन का तरीका भी है. इंटरवेंशनल इंट्रावेनस (आईवी) मार्ग की तुलना में, कीमोथेरेपी देने की यह विधि ट्यूमर को प्रभावी ढंग से कंट्रोल करती है, और प्रचलित तरीकों के दुष्प्रभाव को काफी कम कर देती है. वर्तमान में इस उपचार पद्धति का इस्तेमाल बच्चों में आंखों के कैंसर के इलाज में किया जाता है.

गंभीर बीमारियों का बिना चीरफाड़ के इलाज: हिमाचल प्रदेश में विभिन्न संस्थानों में डीएम (इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी) और डीएनबी (इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी) कोर्स शुरू करने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है, ताकि गंभीर बीमारियों का इलाज बिना चीरफाड़ के संभव बनाया जा सके. डॉ. विजय ने बताया कि अब तक ये इलाज विदेशों से आयातित उपकरणों के जरिए ही किया जा सकता था, लेकिन 2023 तक ऐसे स्वदेशी उपकरणों के भी बाजार में आ जाने की उम्मीद है.

ये भी पढे़ं: चिकित्सा विज्ञान में रेडियोग्राफरों का अमूल्य योगदान, जानें आज का दिन क्यों है खास

रेडियोलॉजी तकनीक से गंभीर बीमारियों का इलाज

शिमला: हिमाचल प्रदेश में रेडियोलॉजी की नई तकनीकों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है. रेडियोलॉजी टेक्नीक के जरिए मरीजों का इलाज बेहद आसान हो गया है. अब मरीजों को अपना इलाज करवाने के लिए बाहरी राज्यों का रुख नहीं करना पड़ता है. हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में रेडियोलॉजी की लगभग सभी तकनीकें उपलब्ध हैं. जिससे बेहद आसानी के साथ मरीजों का इलाज किया जाता है.

इलाज में वरदान रेडियोलॉजी तकनीक: आईजीएमसी शिमला में रेडियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. नीति अग्रवाल ने बताया कि रेडियोलॉजी टेक्नीक मरीजों के इलाज के लिए वरदान साबित हो रही है. इसके जरिए किसी भी बीमारी का पता लगाया जा सकता है, जो कि पहले संभव नहीं था. एक्स-रे के जरिए आसानी से बीमारियों का पता कर समय पर उनका इलाज किया जा सकता है. वहीं, रेडियोलॉजी की अन्य तकनीक सीटी स्कैन, एमआरआई, डेक्सा स्कैन से गंभीर बीमारी का पता करना और इलाज करना भी आसान हुआ है.

डेक्सा स्कैन से हो रही हड्डियों की जांच: आईजीएमसी शिमला में डेक्सा स्कैन मशीन की सुविधा भी उपलब्ध है. डॉ. नीति अग्रवाल ने बताया कि डेक्सा स्कैन से हड्डियों की कमजोरी का पता लगया जाता है. उन्होंने बताया कि 50 साल की उम्र के बाद महिलाओं और पुरुषों की हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती हैं. ऐसे में समय-समय पर जांच बेहद जरूरी है. डेक्सा स्कैन के जरिए हड्डियों की कमजोरी का पता लगाना और इलाज करना आसान हो गया है.

'डॉक्टर के परामर्श के बिना न करवाएं एक्स-रे': डॉ. नीति अग्रवाल ने बताया कि रेडियोलॉजी की तकनीक का उपयोग इलाज के लिए किया जाता है. जिसमें की ये बहुत ही कारगर सिद्ध हो रही है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ इसके भी साइड इफेक्ट हैं. जैसे की कैंसर का होना, स्किन बर्न होना और आंखों में मोतियाबिंद की समस्या का होना. इसलिए बिना डॉक्टरों की सलाह के एक्स-रे नहीं करवाने चाहिए.

IGMC में 64-स्लाइस सीटी स्कैन की सुविधा: वहीं, आईजीएमसी शिमला में रेडियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. विजय ठाकुर ने बताया कि हिमाचल में जब से रेडियोलॉजी की तकनीक विकसित हुई है, मरीजों को राहत मिली है. इससे पहले मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़ और बाहरी राज्यों में जाकर इलाज करवाना पड़ता था, लेकिन अब आईजीएमसी शिमला में ही इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि अभी अस्पताल में 64-स्लाइस सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है. आने वाले समय में 128-स्लाइस की सुविधा मिल जाएगी.

रेडियोलॉजी का उपयोग: वहीं, चमियाना में 256-स्लाइस सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है. इससे गंभीर बीमारी का भी आसानी से पता लग जाता है. उन्होंने बताया कि एंजियोग्राफी रेडियोलॉजी विभाग की सहायता से ही किया जाता है. इसके अलावा यकृत कैंसर के मामले में भी यह उपचार पद्धति बहुत कारगर है. इनके अलावा, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, कैंसर रोगियों में दर्द के लक्षणों को प्रभावी ढंग से मैनेज करके उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण है.

इन गंभीर बीमारियों के इलाज में मददगार: रेडियोलॉजी तकनीक से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है. चूंकि यह प्रक्रिया कम चीरफाड़ वाली है, इसलिए इसे दिनभर की देखभाल में किया जा सकता है. रेडियोलॉजी तकनीक ट्यूमर के प्रभाव को भी कंट्रोल करती है. डॉ. विजय ठाकुर ने बताया कि कैंसर के उपचार में एक अन्य इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी तकनीक, धमनी मार्ग के माध्यम से कीमोथेरेपी का इंट्रा-आर्टिरियल इन्फ्यूजन का तरीका भी है. इंटरवेंशनल इंट्रावेनस (आईवी) मार्ग की तुलना में, कीमोथेरेपी देने की यह विधि ट्यूमर को प्रभावी ढंग से कंट्रोल करती है, और प्रचलित तरीकों के दुष्प्रभाव को काफी कम कर देती है. वर्तमान में इस उपचार पद्धति का इस्तेमाल बच्चों में आंखों के कैंसर के इलाज में किया जाता है.

गंभीर बीमारियों का बिना चीरफाड़ के इलाज: हिमाचल प्रदेश में विभिन्न संस्थानों में डीएम (इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी) और डीएनबी (इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी) कोर्स शुरू करने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है, ताकि गंभीर बीमारियों का इलाज बिना चीरफाड़ के संभव बनाया जा सके. डॉ. विजय ने बताया कि अब तक ये इलाज विदेशों से आयातित उपकरणों के जरिए ही किया जा सकता था, लेकिन 2023 तक ऐसे स्वदेशी उपकरणों के भी बाजार में आ जाने की उम्मीद है.

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Last Updated : Nov 8, 2023, 4:40 PM IST
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