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महिला के लिए हरियाणा पुलिस बनी फरिश्ता, 7 माह बाद परिवार से मिलवाया - sagar devi news

एक तरफ हरियाणा पुलिस सैंकड़ों परिवारों के बिछड़े हुए लोगों को मिलवा रही है. हिमाचल से भी कई लोगों को रेस्क्यू किया गया है, लेकिन अब सवाल ये उठता है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रशासन और विभाग क्या कर रहे हैं. पिछले दो सालों से हरियाणा पुलिस हिमाचल से करीब 27 लोगों को रेस्क्यू कर अपने परिवार से मिलवा चुकी है. इन लोगों को शेल्टर होम में पहुंचाने के बाद इनके परिवारों को ढूंढने की जिम्मेदारी से क्या पुलिस बच रही है.

सागर देवी
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Published : Feb 10, 2020, 10:07 PM IST

Updated : Feb 10, 2020, 11:08 PM IST

शिमला: पिछले सात महीने से हरियाणा के फरीदाबाद से लापता हुई सागर देवी के लिए हरियाणा पुलिस फरिश्ता बन कर आई. सात माह बाद हरियाणा पुलिस ने उन्हें परिवार से मिला दिया है. सागर देवी बीते वर्ष जून माह में घर से लापता हो गई थी. वे फरिदाबाद से करीब 385 किलोमीटर का सफर तह कर शिमला पहुंच गई थी.

बता दें कि 27 साल की सागर देवी की मानसिक हालत कुछ ठीक नहीं है. घर से निकलते हुए उसके साथ सात महीने की बच्ची राधिका भी साथ थी. सागर देवी रेल से शिमला पहुंची थी. कई दिनों तक शिमला में घूमने के बाद नवंबर 2019 को पुलिस ने सागरी देवी को कुफरी से रेस्क्यू कर मशोबरा के नारी सेवा सदन में रखा था. उस समय सागर देवी की हालत काफी दयनीय थी, लेकिन बच्ची उसके साथ नहीं थी.

वहीं, सागर देवी का परिवार बहुत परेशान था. सागर के परिवार में उसके पति तीन बच्चे और सास ससुर हैं. पति फरीदाबाद में फैक्ट्री में काम करता है और वहां अपने तीन बच्चों अनीता, मनीष और सात महीने की बच्ची राधिका के साथ रहते थे. सागर के गुम होने पर पति मनोज ने फरिदाबाद पुलिस स्टेशन में 22 जून को पत्नी और बच्ची के गुम होने की एफआईआर दर्ज कर दी थी, लेकिन कोई सुराग न मिलने के चलते पुलिस ने केस बंद की दिया था.

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला के एएसआई राजेश कुमार को दो फरवरी को मशोबरा सदन की इंचार्ज सुषमा ने सागर की जानकारी दी. पुलिस ने 6 घंटे के अंदर ही सागर देवी के परिवार को ढूंढ निकाला और यूनिट 10 फरवरी को सागर के पति को लेकर शिमला पहुंची. सागर देवी के पति मनोज ने पत्नी के मिलने की सारी उम्मीदें छोड़ दी थी. ऐसे में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला उनके लिए फरिशता बन कर आई है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटी राधिका को भी पुलिस ढूंढ निकालेगी.

हरियाणा में 2015 में शुरू किया था ऑपरेशन मुस्कान
हरियाणा में 2015 में आपरेशन मुस्कान शुरू किया था. इसके तहत सभी जिलों के शेल्टर होम्स प्लैटफॉर्म, बस स्टेशनों, सड़कों और अन्य विभिन्न स्थानों पर मिलने वाले बच्चों के संबंध में प्रशिक्षित पुलिस कर्मी गहन छानबीन व आवश्यक सूचना इकट्ठी करते हैं. इसके बाद लापता या गुमशुदा बच्चों को उनके घर तक पहुंचाया जाता है. इसी अभियान को हरियाणा स्टेट क्राइम ब्रांच ने जारी रखा है. अभियान के तहत अभी तक 400 से ज्यादा बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया जा चुका है. इससे पहले भी हरियाणा पुलिस हिमाचल से दो बच्चों को रेस्क्यू कर परिवार से मिलवा चुकी है.

वीडियो.

हिमाचल पुलिस पर भी उठ रहे सवाल
एक तरफ हरियाणा पुलिस सैंकड़ों परिवारों के बिछड़े हुए लोगों को मिलवा रही है. हिमाचल से भी कई लोगों को रेस्क्यू किया गया है, लेकिन अब सवाल ये उठता है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रशासन और विभाग क्या कर रहे हैं. पिछले दो सालों से हरियाणा पुलिस हिमाचल से करीब 27 लोगों को रेस्क्यू कर अपने परिवार से मिलवा चुकी है. इन लोगों को शेल्टर होम में पहुंचाने के बाद इनके परिवारों को ढूंढने की जिम्मेदारी से क्या पुलिस बच रही है.

ये भी पढ़ें- गग्गल हवाई अड्डे रे विस्तारीकरण लेइ जमीन री निशानदेही रा काम पूरा, देखा हिमाचल री बड्डी खबरां

शिमला: पिछले सात महीने से हरियाणा के फरीदाबाद से लापता हुई सागर देवी के लिए हरियाणा पुलिस फरिश्ता बन कर आई. सात माह बाद हरियाणा पुलिस ने उन्हें परिवार से मिला दिया है. सागर देवी बीते वर्ष जून माह में घर से लापता हो गई थी. वे फरिदाबाद से करीब 385 किलोमीटर का सफर तह कर शिमला पहुंच गई थी.

बता दें कि 27 साल की सागर देवी की मानसिक हालत कुछ ठीक नहीं है. घर से निकलते हुए उसके साथ सात महीने की बच्ची राधिका भी साथ थी. सागर देवी रेल से शिमला पहुंची थी. कई दिनों तक शिमला में घूमने के बाद नवंबर 2019 को पुलिस ने सागरी देवी को कुफरी से रेस्क्यू कर मशोबरा के नारी सेवा सदन में रखा था. उस समय सागर देवी की हालत काफी दयनीय थी, लेकिन बच्ची उसके साथ नहीं थी.

वहीं, सागर देवी का परिवार बहुत परेशान था. सागर के परिवार में उसके पति तीन बच्चे और सास ससुर हैं. पति फरीदाबाद में फैक्ट्री में काम करता है और वहां अपने तीन बच्चों अनीता, मनीष और सात महीने की बच्ची राधिका के साथ रहते थे. सागर के गुम होने पर पति मनोज ने फरिदाबाद पुलिस स्टेशन में 22 जून को पत्नी और बच्ची के गुम होने की एफआईआर दर्ज कर दी थी, लेकिन कोई सुराग न मिलने के चलते पुलिस ने केस बंद की दिया था.

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला के एएसआई राजेश कुमार को दो फरवरी को मशोबरा सदन की इंचार्ज सुषमा ने सागर की जानकारी दी. पुलिस ने 6 घंटे के अंदर ही सागर देवी के परिवार को ढूंढ निकाला और यूनिट 10 फरवरी को सागर के पति को लेकर शिमला पहुंची. सागर देवी के पति मनोज ने पत्नी के मिलने की सारी उम्मीदें छोड़ दी थी. ऐसे में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला उनके लिए फरिशता बन कर आई है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटी राधिका को भी पुलिस ढूंढ निकालेगी.

हरियाणा में 2015 में शुरू किया था ऑपरेशन मुस्कान
हरियाणा में 2015 में आपरेशन मुस्कान शुरू किया था. इसके तहत सभी जिलों के शेल्टर होम्स प्लैटफॉर्म, बस स्टेशनों, सड़कों और अन्य विभिन्न स्थानों पर मिलने वाले बच्चों के संबंध में प्रशिक्षित पुलिस कर्मी गहन छानबीन व आवश्यक सूचना इकट्ठी करते हैं. इसके बाद लापता या गुमशुदा बच्चों को उनके घर तक पहुंचाया जाता है. इसी अभियान को हरियाणा स्टेट क्राइम ब्रांच ने जारी रखा है. अभियान के तहत अभी तक 400 से ज्यादा बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया जा चुका है. इससे पहले भी हरियाणा पुलिस हिमाचल से दो बच्चों को रेस्क्यू कर परिवार से मिलवा चुकी है.

वीडियो.

हिमाचल पुलिस पर भी उठ रहे सवाल
एक तरफ हरियाणा पुलिस सैंकड़ों परिवारों के बिछड़े हुए लोगों को मिलवा रही है. हिमाचल से भी कई लोगों को रेस्क्यू किया गया है, लेकिन अब सवाल ये उठता है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रशासन और विभाग क्या कर रहे हैं. पिछले दो सालों से हरियाणा पुलिस हिमाचल से करीब 27 लोगों को रेस्क्यू कर अपने परिवार से मिलवा चुकी है. इन लोगों को शेल्टर होम में पहुंचाने के बाद इनके परिवारों को ढूंढने की जिम्मेदारी से क्या पुलिस बच रही है.

ये भी पढ़ें- गग्गल हवाई अड्डे रे विस्तारीकरण लेइ जमीन री निशानदेही रा काम पूरा, देखा हिमाचल री बड्डी खबरां

Intro:
पिछले सात महीने से हरियाणा के फरीदाबाद से लापता हुई सागर देवी के लिए हरियाणा पुलिस फ़रिश्ता बन कर आई ! सात माह बाद हरियाणा पुलिस ने उन्हें परिवार से मिला दिया है ! सागर देवी बीते वर्ष जून माह में घर से लापता हो गई ! वे फरिदाबाद से करीब 385 किलो मीटर का सफर तह कर शिमला पहुच गई थी ! 27 साल की सागर की मानसिक हालत कुछ ठीक नहीं है ! घर से निकलते हुए उसके साथ सात महीने की बच्ची राधिका भी साथ थी ! सागर रेल से शिमला पहुची थी शिमला में कई जगहों पर वे कई दिनों तक घुमती रही और नवंबर, 2019 को सागर को पुलिस ने कुफरी से रेस्क्यू कर मशोबरा के नारी सेवा सदन में रखा गया था । उस समय सागर की हालत काफी दयनीय थी। लेकिन बच्ची उसके साथ नही थी ! वही सागर कुमारी का परिवार बहुत परेशान था। सागर के परिवार में उसके पति तीन बच्चे और सास ससूर हैं। पति फरिदाबाद में फैक्ट्री में काम करता है और वहां अपने तीन बच्चों अनीता, मनीष और सात महीने की बच्ची राधिका और राधिका के साथ रहते थे । सागर के गुम होने पर पति मनोज ने फरिदाबाद पुलिस स्टेश में 22 जून को पत्नी और बच्ची के गुम होने की एफआईआर दर्ज कर दी थी । लेकिन कोई सूराग न मिलने के चलते पुलिस ने केस बंद की दिया था। वही एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकुला के एएसआई राजेश कुमार को दो फरवरी को मशोबरा सदन की इंचारज सुषमा ने सागर की जानकारी दी और पुलिस ने 6 घंटे के अंदर ही सागर देवी के परिवार को ढूंढ निकाला और यूनिट 10 फरवरी को सागर के पति को लेकर शिमला पहुंची और उसे उसके परिवार से मिलाया। सागर के पति मनोज अपनी पत्नी को ढूंढ निकालने की सारी उम्मीद छोड़ चुके थे। ऐसे में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकुला उनके लिए फरिशता बन कर आई है। ऐसे में उन्हें उन्हें से उम्मीद भी है कि उनकी बेटी राधिका को भी पुलिस ढूंढ निकालेगी।

Body:एएसआई, स्टेट क्राइम ब्रांच,पंचकुला राकेश कुमार ने कहा सागर देवी की जानकारी जब हरियाणा पुलिस को मिली तो उसके बारे में जानकारी इक्टठी करना शुरू किया । पता चला कि सागर बिहार के शताब्दीयारा गांव की रहने वाली है और सागर अपने पति मनोज के साथ फरीदाबाद में रह रही थी । वहीं फरीदाबाद पुलिस सागर का केस बंद कर चुकी थी । पुलिस स्टेशन से सागर के पति का नम्बर लिया और शिमला नारी सेवा सदन में रह रही सागर को फोटो भेजा। पति ने उसे पहचान लिया और उनको लेकर शिमला पहुचे है जहा उनकी पत्नी को उन्हें सौंप दिया गया है !

हरियाणा में 2015 में शुरू किया था आपरेशन मुस्कान , 400 बच्चो महिलाओ को मिलाया परिवार से

हरियाणा में 2015 में आपरेशन मुस्कान शुरू किया गया था जिसके तहत सभी जिलों के शेल्टर होम्स प्लैटफॉर्म, बस स्टेशनों, सड़कों और अन्य विभिन्न स्थानों पर मिलने वाले बच्चों के संबंध में प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों द्वारा गहन छानबीन व आवश्यक सूचना इकट्ठी की जाती है और जो बच्चे लापता या गुमशुदा की श्रेणी में पाए जाते हैं उन्हें उनके घर तक पहुंचाया जाता है। इसी अभियान को हरियाणा स्टेट क्राइम ब्रांच ने जारी रखा है । अभियान के तहत 2020 तक 400 से ज्यादा बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया जा चुका है। बात हिमाचल की करें तो शुरूआत में हिमाचल से दो बच्चों को रेस्क्यू कर उनके परिवार से हरियाणा पुलिस ने मिलाया। उसके बाद नारी सेवा सदन से एक महिला को उसके परिवार के हवाले किया । ऐसा करते हुए पंचकुला स्टेट क्राइम ब्रांच अब तक हिमाचल से 15 महिलाओं और करीब 12 बच्चों को रेस्क्यू कर चुका है। और लोगों से यही अपील करते हैं कि कहीं भी कोई बच्चा गुमशुदा हो तो उसे परिवार से मिलाने का जिम्मा चकुला स्टेट क्राइम ब्रांच का है। पुलिस प्रशासन की अगर बात की जाए तो पुलिस की छवी लोगों की नज़रों में अच्छी नहीं है। ऐसे में पुलिस की छवी को सुधरने के लिए और लोगों की इस दिशा में काम करने के लिए भी हरियाणा पुलिस काम कर रही है।

Conclusion:हिमाचल पुलिस पर भी उठ रहे सवाल

एक तरफ हरियाणा पुलिस सैंकड़ों परिवारों के बिछडें हुए लोगों को मिलवा रही है । हिमाचल से भी कई लोगो को रेस्क्यू किया गया है लेकिन अब सवाल ये उठ्त्ता है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रशासन और वो विभाग क्या कर रहे हैं जिनके अंडर प्रदेश भर के शैल्टर होम्स आते हैं। और हिमाचल एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट क्या कर रहा है। क्या उनका काम बस इतना है कि वो गुमशुदा लोगों को सड़क से उठा कर शैल्टर होम पहुंचाए? क्या इतने में ही उनकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। क्यों प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ देती है। पिछले दो सालों से हरियाणा पुलिस हिमाचल से करीब 27 लोगों को रेस्क्यू कर अपने परिवार से मिला चुका है । तो हिमाचल पुलिस क्या कर रही है। पुलिस को जब इन लोगो को शेल्टर हौम में पंहुचा देती है तो क्या उनके परिवार को ढूढने की जिम्मेवारी से पुलिस बच रही है !
Last Updated : Feb 10, 2020, 11:08 PM IST
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