शिमला: राजनीति में किसी भी राजनेता के व्यवहार से कई तरह के सवाल पैदा हो जाते हैं. ऐसा ही एक सवाल इस समय सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के सबसे युवा चेहरे विक्रमादित्य सिंह से जुड़ा है. शुक्रवार को विक्रमादित्य सिंह कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं हुए. हालांकि शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर व उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान भी बैठक में शामिल नहीं थे, लेकिन इसका कारण दोनों मंत्रियों का निजी दौरा है.
सियासी गलियारों में सारी चर्चा का केंद्र विक्रमादित्य सिंह का मीटिंग में शामिल न होना है. चर्चा ये हो रही है कि विक्रमादित्य सिंह उनसे खेल विभाग वापस लिए जाने से खुश नहीं हैं. कारण ये है कि विक्रमादित्य सिंह ने राज्य में खेलों के विकास के लिए रोडमैप तैयार किया हुआ था. वे हिमाचल में युवाओं के लिए कई तरह की खेल गतिविधियां करना चाहते थे. अब उनसे विभाग लेकर नए मंत्री यादविंदर सिंह गोमा को दिया गया है. इससे विक्रमादित्य सिंह आहत हुए हैं.
उल्लेखनीय है कि होली लॉज कैंप की नाराजगी समय-समय पर दिखती रही है. प्रतिभा सिंह कई बार अपनी नाराजगी स्पष्टता से दर्शा चुकी हैं. चाहे सरकार के एक साल के कार्यक्रम को लेकर जानकारी से जुड़ा मसला हो या फिर संगठन के लोगों की एडजस्टमेंट का मामला, प्रतिभा सिंह मुखर रही हैं. अब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए हिमाचल से केवल वीरभद्र सिंह के परिवार को निमंत्रण मिला है. वीरभद्र सिंह राम मंदिर निर्माण के प्रबल समर्थक रहे हैं. हाल ही में संघ परिवार के जनसंपर्क विंग की तरफ से प्रतिभा सिंह व विक्रमादित्य सिंह को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का बा-कायदा न्योता दिया गया. विक्रमादित्य सिंह इसे आस्था का विषय बताते हुए अयोध्या जाने के लिए तत्पर हैं.
उधर, कांग्रेस हाईकमान ने समारोह का निमंत्रण ठुकरा दिया है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि विक्रमादित्य सिंह समारोह में जाते हैं या नहीं. वे हाईकमान के निमंत्रण ठुकरा देने के बाद ये कह चुके हैं कि पार्टी से अनुमति लेकर जाएंगे, लेकिन सूत्रों का कहना है कि विक्रमादित्य सिंह अयोध्या जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. इस बीच, कैबिनेट विस्तार के बाद विक्रमादित्य सिंह से खेल विभाग लेकर यादविंदर सिंह गोमा को दिया गया है. इससे विक्रमादित्य सिंह नाराज बताए जा रहे हैं. शायद ये इसी नाराजगी का परिणाम है कि वो कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं हुए. फिलहाल, खबर लिखे जाने तक उनकी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है और न ही वे प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध हुए हैं. अगर विक्रमादित्य सिंह अपनी ही सरकार से नाराज हैं तो ये कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.
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