शिमला: वीरभद्र सिंह बेशक देह से स्मृति हो गए, लेकिन वे अपनी धार्मिक मान्यताओं और परम्पराओं से मजबूती के साथ जुड़े रहे. वीरभद्र सिंह राम मंदिर निर्माण के प्रबल समर्थक थे. वे कहते थे, आक्रांता हमारे देश आये थे. अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनेगा तो भला और कहां बनेगा. वीरभद्र सिंह ने दो वर्ष पूर्व 10 अप्रैल को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा था कि वह अयोध्या में बाबरी मस्जिद वाली जगह पर ही राम मंदिर निर्माण का समर्थन करते हैं.
वीरभद्र सिंह ने शिमला में आने आवास में दिए साक्षात्कार में कहा था, 'भारत में इस्लाम बाद में आया. अयोध्या में मंदिर को तोड़ने के बाद मस्जिद बनाई गई थी. 'अयोध्या भगवान राम की राजधानी थी. अगर आपने (बाबरी मस्जिद ढहाने का) यह कदम उठाया है तो फिर मंदिर बना दो' ये हू ब हू वो शब्द थे जो वीरभद्र ने अपने इंटरव्यू में कहे थे. वीरभद्र सिंह हिमाचल की संस्कृति और धार्मिक परम्परा के जोरदार समर्थक थे.
वे देव संस्कृति के संवर्धन को लेकर हमेशा प्रयत्नशील रहे. सराहन में मां भीमाकाली राजपरिवार की कुलदेवी है. वीरभद्र सिंह मां भीमाकाली के अनन्य भक्त थे. यही कारण है कि उन्होंने पार्टी लाइन से अलग जाकर भी राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया था. वे कई दफा तिरुपति बालाजी और कलाहस्ती मन्दिर में भी श्रद्धा के साथ झुकते थे. वे कई बार एक श्रद्धालु के रूप में दक्षिण के मंदिरों की यात्रा पर गए थे.
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का आज सुबह निधन हो गया है. वीरभद्र सिंह के निधन से प्रदेश में शोक की लहर है. समर्थक मायूस हैं, हर किसी की आंखें नम हैं. वीरभद्र सिंह के निधन पर हिमाचल प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है. इस दौरान कोई भी सरकारी कार्यक्रम नहीं होगा. 8 जुलाई से 10 जुलाई तक हिमाचल में राजकीय शोक रहेगा. सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है.
वहीं, वीरभद्र सिंह का पार्थिव शरीर 9 जुलाई को सुबह 9 बजे से 11 बजे तक रिज मैदान पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. इसके बाद सुबह 11: 30 से दोपहर एक बजे तक कांग्रेस ऑफिस और वहां से रामपुर बुशहर ले जाया जाएगा पार्थिव शरीर. 10 जुलाई को दोपहर 3 बजे रामपुर में अंतिम संस्कार होगा.
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