शिमला: सोलन के एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति को प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की ओर से बड़ी राहत मिली है. आयोग की ओर से कुलपति के दस्तावेजों की दोबारा से की गई जांच के बाद पद पर रहने की योग्य बताया गया है. ऐसे में अब कुलपति पद पर बने रहेंगे ओर अपनी सेवाएं देंगे.
हालांकि इससे पहले आयोग की ओर से उन्हें उन 10 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की सूची में शामिल किया गया था जिन्हें जांच के बाद आयोग ने अयोग्य घोषित कर दिया था. मामले में उक्त कुलपति ने दोबारा से आयोग के समक्ष अपने दस्तावेज पेश किए और जांच मांगी थी जिसमें अब वह योग्य पाए गए हैं.
जांच कमेटी की ओर से आयोग के चेयरमैन को कुलपति के दस्तावेज सही पाए जाने की सूचना देने के साथ ही कहा गया कि यह कुलपति यूजीसी के नियमों के तहत पद पर रहने की योग्य हैं.
इससे पहले भी एक कुलपति को दोबारा की गई जांच में योग्य पाया गया था जो अब अपने पद पर सेवाएं दे रहे हैं और उसके बाद एक ओर कुलपति को जांच कमेटी ने योग्य करार दिया है. वहीं अन्य 8 कुलपति जिन्हें आयोग की ओर से जांच के बाद अयोग्य घोषित किया गया था. उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
योग्यता की जांच करवाने के लिए कमेटी का गठन किया गया था
आयोग की ओर से प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की योग्यता की जांच करवाने के लिए कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी की जांच में 10 विश्वविद्यालयों के कुलपति योग्य पाए गए थे जिन्हें पद से हटाने के आदेश आयोग की ओर से जारी किए गए थे.
6 कुलपति अयोग्य पाए गए
आयु की जांच के बाद तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने खुद ही अपने पदों से इस्तीफा दे दिया गया था. अन्य कुलपतियों में से 7 कुलपतियों ने दोबारा से मामले में जांच मांगी थी. दोबारा की गई जांच में भी 6 कुलपति अयोग्य पाए गए, जबकि एक कुलपति को योग्य पाया गया था.
6 कुलपतियों में से 5 कुलपतियों ने भी आयोग के आदेशों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जबकि सोलन के एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति ने दोबारा से आयोग के समक्ष अपने दस्तावेज रखते हुए मामले में जांच मांगी थी जिन्हें अब जांच के बाद आयोग ने पद पर रहने की योग्य करार दिया है.