शिमला: हिमाचल का लाल और गोल-गोल रसीला सेब पूरी दुनिया में मशहूर है. हर कोई इसके स्वाद का दीवाना है. भारत सहित दुनिया भर में इसकी भारी डिमांड है.
हिमाचल में सेब की सैकड़ों विदेशी और देसी किस्मों को उगाया जा रहा है. इनमें दुनिया के 20 से ज्यादा देशों से अब तक 200 से ज्यादा किस्में हिमाचल पहुंच चुकी हैं. अकेले अमेरिका से ही 75 से अधिक किस्में हिमाचल आ चुकी हैं.
मौजूदा समय में यूएसए, यूके, रूस, चीन, अर्जेंटीना, कनाडा, स्विट्जरलैंड, इटली, जैसे देशों से लाई गई सेब की सैकड़ों किस्में हिमाचल में उग रही हैं. हिमाचल में सेब की पहली किस्म सौ साल पहले सत्यानंद स्टोक्स ने लाई थी और आज भी सेब की किस्मों के निर्यात का सिलसिला जारी है.
हिमाचल में सेब की रॉयल रेड डिलिशियस किस्म ही सर्वाधिक उगाई जाती हैं. अब सेब की लो चिंलिंग किस्में जैसे सुपर चीफ, स्कारलेट स्पर टू, रेड विलोक्स, जेरोमाइन गाला, ग्रैनी स्मिथ, शैल्ट सुपर चीफ, ऑर्गेन स्पर 1 ओर 2, रेड ब्लॉक, ऐस, वॉशिंगटन, एडम जैसी कई किस्में हिमाचल के बागवान उगा रहे हैं.
ठियोग के रवींद्र शर्मा 30 सालो से बागवानी कर रहे हैं. 500 पौधों से शुरू की बागवानी आज 4 हजार पौधों तक पहुंच गई है. जिसमें 90 किस्म के सेब की वैरायटी पर वो काम कर रहे हैं. दुनिया के 20 से ज्यादा देशों से 200 से अधिक विदेशी किस्में हिमाचल पहुंच चुकी हैं. ये या तो सरकारी स्तर पर मंगवाई गई हैं या फिर बागवान खुद भी इनका आयात कर रहे हैं.
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