ETV Bharat / state

लोन लिमिट बिल पर हंगामा: सुरेश भारद्वाज बोले: वीरभद्र सिंह के समय लिया लोन वापिस कर रही जयराम सरकार

हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध संशोधन विधेयक पर गुरूवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. इस बिल के अनुसार राज्य की सालाना लोन लिमिट जीएसडीपी के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत की जानी है. इसी बिल को सीएम जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में रखा. विपक्ष की तरफ से उठाए गए सवालों पर सुरेश भारद्वाज ने जोरदार तर्कों सहित जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय की गल्तियों को भी जयराम सरकार ही ठीक कर रही है.

वीरभद्र सिंह और सुरेश भारद्वाज
वीरभद्र सिंह और सुरेश भारद्वाज
author img

By

Published : Mar 18, 2021, 7:29 PM IST

Updated : Mar 19, 2021, 8:07 AM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध संशोधन विधेयक पर गुरूवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. इस बिल के अनुसार राज्य की सालाना लोन लिमिट जीएसडीपी के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत की जानी है.

इसी बिल को सीएम जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में रखा. बिल पर विपक्ष की तरफ से खूब हंगामा किया गया. विपक्ष की तरफ से उठाए गए सवालों पर सुरेश भारद्वाज ने जोरदार तर्कों सहित जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय की गल्तियों को भी जयराम सरकार ही ठीक कर रही है. यही नहीं, वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय लिया गए 19,199 करोड़ रुपए के लोन में से मौजूदा सरकार ने 19,486 करोड़ रुपए वापिस किया है। सुरेश भारद्वाज ने तथ्य पेश करते हुए कहा कि एफआरबीएम (फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट) एक्ट में प्रावधान है कि यदि फिस्कल डेफेसिट स्टेट जीडीपी से अधिक हो जाए तो अधिक खर्च को लेकर विधानसभा में बिल के जरिए कानूनी रूप दिया जाना चाहिए.

सुरेश भारद्वाज ने पूर्व सरकार पर लगाए आरोप

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार ने 2012-13 में तयशुदा सीमा से तीन फीसदी अधिक खर्च किया. तब 2012-13 में फिस्कल डेफिसिट से 3.60 फीसदी, 2013-14 में 4.23 फीसदी और 2014-15 में तीन फीसदी की बजाय 4.05 फीसदी खर्च किया और तो और वीरभद्र सिंह सरकार ने इसे कानूनी रूप भी नहीं दिया. इसके लिए न तो सदन में संशोधन बिल लाया और न ही चर्चा की. अब जयराम सरकार कांग्रेस सरकार की उस गलती को भी सुधार रही है.

वहीं, बिल पर बहस के दौरान सदन में कई दिलचस्प मोड़ भी आए. विपक्ष ने इसे हिमाचल के लिए काला दिन बताया और कहा कि वो सत्ता पक्ष के इस पाप में भागीदार नहीं बनेगी, लेकिन सुरेश भारद्वाज ने विपक्ष के तर्कों की धार को कुंद कर दिया. सुरेश भारद्वाज ने कर्ज की ठीकरा भी कांग्रेस सरकार पर फोड़ा और कहा कि पूर्व में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने 2012 में जब सत्ता छोड़ी थी तो प्रदेश पर 28760 करोड़ रुपए का कर्ज था. बाद में कांग्रेस सरकार के समय यह 47906 करोड़ रुपए हो गया.

जयराम सरकार ने तय लिमिट से भी कम लिया है लोन

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि नियमों के अनुसार प्रदेश सरकार 2018-19 में मार्केट लोन 5737 करोड़ ले सकती थी, लेकिन सरकार ने कुल 4120 करोड़ कर्ज लिया. इसी तरह अगले वित्तीय वर्ष में मार्केट लोन की सीमा 9187 करोड़ रुपए थी और सरकार ने केवल 6000 करोड़ रुपए ही लिए. यही नहीं, जयराम सरकार ने तीन साल में वीरभद्र सरकार के समय लिए गए 19199 करोड़ के कर्ज में से 19486 करोड़ रुपए वापिस भी लौटाए हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा बिल में भी 2019-20 के अधिक खर्च को रेगुलर करने का प्रावधान है। कांग्रेस ने तो ये भी नहीं किया था.

ये भी पढ़ें: देवभूमि का एक ऐसा गांव जहां धूम्रपान और सीटी बजाने पर है प्रतिबंध, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

शिमलाः हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध संशोधन विधेयक पर गुरूवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. इस बिल के अनुसार राज्य की सालाना लोन लिमिट जीएसडीपी के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत की जानी है.

इसी बिल को सीएम जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में रखा. बिल पर विपक्ष की तरफ से खूब हंगामा किया गया. विपक्ष की तरफ से उठाए गए सवालों पर सुरेश भारद्वाज ने जोरदार तर्कों सहित जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय की गल्तियों को भी जयराम सरकार ही ठीक कर रही है. यही नहीं, वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय लिया गए 19,199 करोड़ रुपए के लोन में से मौजूदा सरकार ने 19,486 करोड़ रुपए वापिस किया है। सुरेश भारद्वाज ने तथ्य पेश करते हुए कहा कि एफआरबीएम (फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट) एक्ट में प्रावधान है कि यदि फिस्कल डेफेसिट स्टेट जीडीपी से अधिक हो जाए तो अधिक खर्च को लेकर विधानसभा में बिल के जरिए कानूनी रूप दिया जाना चाहिए.

सुरेश भारद्वाज ने पूर्व सरकार पर लगाए आरोप

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार ने 2012-13 में तयशुदा सीमा से तीन फीसदी अधिक खर्च किया. तब 2012-13 में फिस्कल डेफिसिट से 3.60 फीसदी, 2013-14 में 4.23 फीसदी और 2014-15 में तीन फीसदी की बजाय 4.05 फीसदी खर्च किया और तो और वीरभद्र सिंह सरकार ने इसे कानूनी रूप भी नहीं दिया. इसके लिए न तो सदन में संशोधन बिल लाया और न ही चर्चा की. अब जयराम सरकार कांग्रेस सरकार की उस गलती को भी सुधार रही है.

वहीं, बिल पर बहस के दौरान सदन में कई दिलचस्प मोड़ भी आए. विपक्ष ने इसे हिमाचल के लिए काला दिन बताया और कहा कि वो सत्ता पक्ष के इस पाप में भागीदार नहीं बनेगी, लेकिन सुरेश भारद्वाज ने विपक्ष के तर्कों की धार को कुंद कर दिया. सुरेश भारद्वाज ने कर्ज की ठीकरा भी कांग्रेस सरकार पर फोड़ा और कहा कि पूर्व में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने 2012 में जब सत्ता छोड़ी थी तो प्रदेश पर 28760 करोड़ रुपए का कर्ज था. बाद में कांग्रेस सरकार के समय यह 47906 करोड़ रुपए हो गया.

जयराम सरकार ने तय लिमिट से भी कम लिया है लोन

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि नियमों के अनुसार प्रदेश सरकार 2018-19 में मार्केट लोन 5737 करोड़ ले सकती थी, लेकिन सरकार ने कुल 4120 करोड़ कर्ज लिया. इसी तरह अगले वित्तीय वर्ष में मार्केट लोन की सीमा 9187 करोड़ रुपए थी और सरकार ने केवल 6000 करोड़ रुपए ही लिए. यही नहीं, जयराम सरकार ने तीन साल में वीरभद्र सरकार के समय लिए गए 19199 करोड़ के कर्ज में से 19486 करोड़ रुपए वापिस भी लौटाए हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा बिल में भी 2019-20 के अधिक खर्च को रेगुलर करने का प्रावधान है। कांग्रेस ने तो ये भी नहीं किया था.

ये भी पढ़ें: देवभूमि का एक ऐसा गांव जहां धूम्रपान और सीटी बजाने पर है प्रतिबंध, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

Last Updated : Mar 19, 2021, 8:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.