शिमलाः 4 साल पहले ऊपरी शिमला के जंगल में प्रदेश की बेटी के साथ दरिंदगी करने वाले को देश की एक बेटी ने ही सलाखों के पीछे पहुंचाया था. देश की ये बेटी सीबीआई की ऑफिसर सीमा पाहूजा थीं. वे गुड़िया केस में जांच अधिकारी थीं. सीमा पाहूजा सीबीआई में डीएसपी थीं और उन्होंने नौ महीने दिन-रात एक कर अपनी टीम के साथ गुड़िया के दोषी को पकड़ा था. टीम को हालांकि एसपी रैंक के अफसर एसएस गुरम लीड कर रहे थे, लेकिन आईओ सीमा पाहूजा को बनाया गया था.
सीमा पाहूजा की गिनती सीबीआई के तेजतर्रार अफसरों में होती है. इस जटिल केस को सुलझाने में सीबीआई के एसपी एसएस गुरम ने भी सीमा पाहूजा को भरपूर सहयोग दिया. सीबीआई की टीम में अन्य कई अफसर भी समय-समय पर जांच में सहयोग करते रहे. पहले टीम को डीआईजी रैंक के अफसर ने भी गाइड किया. खुद सीबीआई के तत्कालीन निदेशक ने भी इस केस की लगातार मॉनिटरिंग की थी. गौर करने वाली बात है कि पूरी जांच हिमाचल हाईकोर्ट की निगरानी में हुई थी. हाईकोर्ट में समय-समय पर सीबीआई से स्टेट्स रिपोर्ट तलब की जाती थी. सीबीआई ने दावा किया था कि उसके पास गुनाह के सारे सूबूत व दोषी अनिल चरानी का कबूलनामा मौजूद है.
केस बिगड़ने पर सीबीआई के हाथ आई थी कमान
हिमाचल सहित देश भर को दहला देने वाले गुड़िया दुष्कर्म व हत्या के आरोपी तक पहुंचना सीबीआई के लिए बेहद मुश्किल हो रहा था. ये कारण था कि एक तो पुलिस की जांच में मौके के कई सुबूत नष्ट हो गए थे और वारदात की जगह कई लोगों की आवाजाही हो चुकी थी. सीबीआई के पास अंधेरे में तीर मारने जैसी नौबत आ गई थी. पुलिस की लापरवाही से मौके के सारे सबूत नष्ट होने के साथ ही हिमाचल की जनता के मन में ये बात गहरे तक जम गई थी कि मामले में प्रभावशाली लोग शामिल हैं. ये सब हिमाचल पुलिस की लापरवाह जांच के कारण हुआ था.
हैरानी की बात है कि आईजी रैंक के अफसर, एसपी व डीएसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारी इस कदर जल्दबाजी में थे कि उन्होंने अपनी ही थ्योरी गढ़ी और बेकसूर लोगों को पकड़कर जेल में डाल दिया. इस दौरान पुलिस की यातना से एक कैदी की जेल में ही मौत हो गई. इसके बाद एसआईटी के कई अधिकारियों पर गाज गिरी. एसआईटी में शामिल आईजी रैंक तक के अधिकारी और पुलिस कर्मचारी जेल गए. यदि हिमाचल पुलिस की एसआईटी धैर्य के साथ जांच करती और जुन्गा फॉरेंसिक लैब में आए सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार करती तो आईजी जहूर जैदी, पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी और अन्य पुलिस अधिकारी हिरासत में न होते. फिलहाल, सीबीआई की अंतिम स्टेट्स रिपोर्ट के बाद ये तय हो चुका था कि असली गुनहगार चरानी अनिल उर्फ नीलू ही है. नीलू की आपराधिक आदतों व नशेड़ी स्वभाव की पुष्टि उसके परिवार वालों ने भी की थी.
नीलू चरानी ने नशे में किया था दुष्कर्म
नीलू चरानी ने नशे की हालत में दुष्कर्म किया था. सीबीआई के दावे के अनुसार साइंटिफिक एवीडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि मासूम का गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से छात्रा के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी. जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त 2017 में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई 2017 में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास छात्रा के खिलाफ हुए अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं. यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता व धैर्य दिखाया होता तो एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. बाद में सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे. उस जांच के बाद ये तय हो गया कि छात्रा का गुनहगार एक ही है और गैंगरेप नहीं हुआ है.
अपराधी ने दांत से भी काटा मासूम को, सीने पर थे निशान
सीबीआई की जांच में सामने आया था कि गुड़िया के बदन पर दांत से काटा गया था. जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि लड़की के छाती से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था. बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली में लैब में इस जांच को पुष्ट किया. मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी. उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान मासूम के सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि गुड़िया के साथ केवल एक ही आदमी ने दुष्कर्म किया है. ये साफ हुआ कि गैंगरेप नहीं है, लेकिन वो कौन था, जिसने दुष्कर्म किया, सीबीआई के सामने इसका पता लगाने की चुनौती थी.
कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी सीबीआई, लिए गए 250 सैंपल
सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुड़िया के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ. यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का सैंपल नहीं था. कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी. इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा.
नीलू के एक भाई के सैंपल से हुई लीनिएज मैचिंग
सीबीआई ने वर्ष 2018 में ही कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया. इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुड़िया के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया. इससे ये एस्टेब्लिश हो गया कि नीलू ही गुनहगार है. लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई. चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है. उस समय सीबीआई के विश्वस्त सूत्रों ने गुपचुप ये बता दिया था कि नीलू के परिजनों ने भी उसकी हरकतों के बारे में सब खुलासा कर दिया था. परिजनों ने बताया था कि नीलू अपराधी प्रवृत्ति का हो चुका है और नशे के जाल में बुरी तरह से फंसा है.
सीबीआई के राडार पर थे नीलू के नजदीकी
जांच के दौरान सीबीआई ने ऐसे लोगों की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. नीलू के बारे में सब जानते थे कि वो लकड़ी के चरान का काम अच्छा करता है. ऐसे कई लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क में रहता था. नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया. चरानी ने इसी बीच हाटकोटी से एक आदमी को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम को लेकर पूछताछ की. सीबीआई उस दौरान इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी. जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया. सीबीआई की गिरफ्त में आने के बाद नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया.
इस तरह सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा आ गया था. इसके आधार पर सीबीआई ने चार्जशीट तैयार की. सीबीआई की जांच में सच सामने आया. वर्ष 2017 में जुलाई महीने में चार तारीख को गुड़िया स्कूल से घर के लिए रवाना हुई थी. रास्ते में नीलू ने उसे दबोच लिया और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. उस समय नीलू नशे में था. गुड़िया का शव छह जुलाई को मिला था. उसके बाद प्रदेश भर में जनता भड़क गई थी.
आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेडख़ानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था. उस मामले में बाद में उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो आदतन अपराधी मानसिकता वाला हो गया था. सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की और शिमला की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू हुई. फिलहाल शिमला में 4 साल तक चले गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में स्पेशल कोर्ट ने आरोपी नीलू को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)1, 376ए, 302 और पॉक्सो अधिनियिम की धारा 4 के तहत दोषी करार दिया है और दोषी नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई है.
आइए एक नजर डालते हैं गुड़िया केस की टाइमलाइन पर
- 4 जुलाई 2017- कोटखाई के हलाईला क्षेत्र से दसवीं की छात्रा गुड़िया लापता.
- 5 जुलाई- रिश्तेदारों ने बिटिया की तलाश शुरू की.
- 6 जुलाई- ऊपरी शिमला के जंगल में मिला शव, पुलिस ने की जांच आरंभ.
- 7 जुलाई- पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि हुई.
- 10 जुलाई- जन आक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की, आईजी जहूर जैदी को सौंपा जांच का जिम्मा.
- 11 जुलाई- चार युवकों को पूछताछ के लिए पकड़ा.
- 18 जुलाई- आधी रात को पुलिस हिरासत में एक कथित आरोपित की हत्या.
- 19 जुलाई- हाईकोर्ट ने सीबीआई को दी जांच.
- 22 जुलाई- सीबीआई ने दिल्ली में किए दो अलग-अलग मामले दर्ज.
- 29 अगस्त- आईजी सहित आठ पुलिसकर्मी गिरफ्तार.
- 16 नवंबर- पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआई ने किया गिरफ्तार.
- 25 नवंबर- सीबीआई ने की एसआईटी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल.
- 25 अप्रैल 2018- सीबीआई ने कोर्ट में फाइनल स्टेट्स रिपोर्ट पेश की.
- 5 अप्रैल 2019- आईजी जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत.
- 18 अप्रैल 2019- पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को हाईकोर्ट से मिली जमानत.
- 28 अप्रैल 2021 को नीलू चरानी दोषी करार.
- 18 जून 2021 को कोर्ट ने नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई.
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