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शिमला में ट्रैफिक समस्या का तोड़ नहीं ढूंढ पा रहा प्रशासन, स्मार्ट सिटी में स्मार्ट ट्रैफिक का सपना अब भी अधूरा - Traffic Problem in Shimla

शिमला में ट्रैफिक समस्या से लोगों को करना पड़ रहा दिक्कतों का सामना. टूरिस्ट सीजन में राजधानी में बढ़ जाती वाहनों की संख्या.

शिमला में ट्रैफिक समस्या
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Published : Mar 4, 2019, 8:37 PM IST

Updated : Mar 4, 2019, 10:50 PM IST

शिमला: स्मार्ट सिटी शिमला में स्मार्ट ट्रैफिक का सपना जल्द साकार होता नहीं दिख रहा. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने देश के 28 शहरों के साथ शिमला को 23 जून 2017 में स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया था.

शिमला के स्मार्ट सिटी लिस्ट में शामिल होने से लेकर अब तक न तो जिला प्रशासन और न ही सरकार ट्रैफिक समस्या का सामधान ढूंढ पाई है. 70 लाख से अधिक आबादी वाले हिमाचल में वर्तमान में 15 लाख से अधिक वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं.

आलम ये है कि हर साल गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है. हिमाचल में हर साल 75 हजार नए वाहनों का रेजिस्ट्रेशन हो रहा है. वहीं, पर्यटन राज्य होने के कारण भी हिमाचल में बाहर से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. इस कारण भी हिमाचल की सड़कों पर गाड़ियों का बोझ बढ़ रहा है. इसके अलावा एक अन्य बड़ा कारण हिमाचल का सेब राज्य होना भी है. सेब उत्पादन में देश में अग्रणी हिमाचल प्रदेश सालाना 3500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है.

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सेब बिक्री से बागवानों के हाथ अच्छा-खासा धन आता है, जिस वजह से भी लोग अधिक गाड़ियां खरीद रहे हैं. सैलानियों की बात की जाए तो हिमाचल सरकार ने प्रति वर्ष दो करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य रखा है. उम्मीद है कि ये आंकड़ा इस पर्यटन सीजन में पूरा हो जाएगा.

बता दें कि साल 2016 में हिमाचल में देश और विदेशों से 1.79 करोड़ सैलानी आए. साल 2017 में जनवरी में 1187693, फरवरी में 1146506 व मार्च में 1540801 पर्यटक पहुंचे. कुल मिलाकर तीन महीनों में ही 3875001 देशी व 92629 विदेशी सैलानी आए. वहीं, साल 2017 में एक करोड़ 96 लाख लाख टूरिस्ट हिमाचल आए और साल 2018 में 1 करोड़ 64 लाख टूरिस्ट हिमाचल आए.

हिमाचल के परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर की जाए तो इस समय मार्च 2017 तक हिमाचल की सड़कों पर 14 लाख, 94 हजार, 857 वाहन रजिस्टर हुए थे. इसके बाद के आठ महीने में करीब 60 हजार और नए वाहन जुड़े थे.प्रदेश में खेती-बाड़ी के काम में 6624 ट्रैक्टर लगे हैं. विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में 1157 एंबुलेंस सेवाएं दे रही हैं. निजी व सरकारी बसों का आंकड़ा 22,976 है. निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले वाहनों की संख्या 441 है. हिमाचल में 413 क्रेन रजिस्टर्ड हैं, सबसे अधिक वाहनों में सामान ढोने वाले वाहनों की संख्या है. ऐसे वाहनों की संख्या 1,77,913 है.

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मैक्सी कैब16013, दो पहिया 7,62,275 हैं. ऐसा नहीं है कि ये गाड़ियां सड़कों पर बोझ ही बढ़ा रही हैं. इनसे करोड़ों रुपये का टैक्स भी हासिल होता है. इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस के साथ अन्य विभाग इन गाड़ियों से जुर्माना भी वसूल करते हैं. साल 2016-17 में सरकार को वाहनों से 279 करोड़ का राजस्व मिला.अगर केवल शिमला शहर की बात करें तो साल 2003-04 में आरटीओ शिमला के पास 1014 वाहन पंजीकृत हुए. 2004-05 में 1228, 2005-06 में 1352, 2006-07 में 1465, 2007-08 में 1734, 2008-09 में 1882, 2009-10 में 1785, लेकिन 2010-11 से शिमला में पंजीकृत किए जाने वाले वाहनों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गई और एक ही साल में 2920 वाहन पंजीकृत किए गए, इसके बाद 2011-12 में 2495, 2012-13 में 1850, 2013-14 में 2063, 2014-15 में 1858 वाहन पंजीकृत किए गए.

बता दें कि शिमला में ट्रैफिक कि समस्या के समाधान के लिए सरकार ने एक तरकीब जरूर निकाली, जिसके तहत शिमला में वाहनों का पंजीकरण करवाते समय निजी पार्किंग का प्रमाण भी देना पड़ेगा, लेकिन उसका भी खास असर दिखता नजर नहीं आ रहा है.

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शिमला: स्मार्ट सिटी शिमला में स्मार्ट ट्रैफिक का सपना जल्द साकार होता नहीं दिख रहा. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने देश के 28 शहरों के साथ शिमला को 23 जून 2017 में स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया था.

शिमला के स्मार्ट सिटी लिस्ट में शामिल होने से लेकर अब तक न तो जिला प्रशासन और न ही सरकार ट्रैफिक समस्या का सामधान ढूंढ पाई है. 70 लाख से अधिक आबादी वाले हिमाचल में वर्तमान में 15 लाख से अधिक वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं.

आलम ये है कि हर साल गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है. हिमाचल में हर साल 75 हजार नए वाहनों का रेजिस्ट्रेशन हो रहा है. वहीं, पर्यटन राज्य होने के कारण भी हिमाचल में बाहर से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. इस कारण भी हिमाचल की सड़कों पर गाड़ियों का बोझ बढ़ रहा है. इसके अलावा एक अन्य बड़ा कारण हिमाचल का सेब राज्य होना भी है. सेब उत्पादन में देश में अग्रणी हिमाचल प्रदेश सालाना 3500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है.

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सेब बिक्री से बागवानों के हाथ अच्छा-खासा धन आता है, जिस वजह से भी लोग अधिक गाड़ियां खरीद रहे हैं. सैलानियों की बात की जाए तो हिमाचल सरकार ने प्रति वर्ष दो करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य रखा है. उम्मीद है कि ये आंकड़ा इस पर्यटन सीजन में पूरा हो जाएगा.

बता दें कि साल 2016 में हिमाचल में देश और विदेशों से 1.79 करोड़ सैलानी आए. साल 2017 में जनवरी में 1187693, फरवरी में 1146506 व मार्च में 1540801 पर्यटक पहुंचे. कुल मिलाकर तीन महीनों में ही 3875001 देशी व 92629 विदेशी सैलानी आए. वहीं, साल 2017 में एक करोड़ 96 लाख लाख टूरिस्ट हिमाचल आए और साल 2018 में 1 करोड़ 64 लाख टूरिस्ट हिमाचल आए.

हिमाचल के परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर की जाए तो इस समय मार्च 2017 तक हिमाचल की सड़कों पर 14 लाख, 94 हजार, 857 वाहन रजिस्टर हुए थे. इसके बाद के आठ महीने में करीब 60 हजार और नए वाहन जुड़े थे.प्रदेश में खेती-बाड़ी के काम में 6624 ट्रैक्टर लगे हैं. विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में 1157 एंबुलेंस सेवाएं दे रही हैं. निजी व सरकारी बसों का आंकड़ा 22,976 है. निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले वाहनों की संख्या 441 है. हिमाचल में 413 क्रेन रजिस्टर्ड हैं, सबसे अधिक वाहनों में सामान ढोने वाले वाहनों की संख्या है. ऐसे वाहनों की संख्या 1,77,913 है.

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मैक्सी कैब16013, दो पहिया 7,62,275 हैं. ऐसा नहीं है कि ये गाड़ियां सड़कों पर बोझ ही बढ़ा रही हैं. इनसे करोड़ों रुपये का टैक्स भी हासिल होता है. इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस के साथ अन्य विभाग इन गाड़ियों से जुर्माना भी वसूल करते हैं. साल 2016-17 में सरकार को वाहनों से 279 करोड़ का राजस्व मिला.अगर केवल शिमला शहर की बात करें तो साल 2003-04 में आरटीओ शिमला के पास 1014 वाहन पंजीकृत हुए. 2004-05 में 1228, 2005-06 में 1352, 2006-07 में 1465, 2007-08 में 1734, 2008-09 में 1882, 2009-10 में 1785, लेकिन 2010-11 से शिमला में पंजीकृत किए जाने वाले वाहनों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गई और एक ही साल में 2920 वाहन पंजीकृत किए गए, इसके बाद 2011-12 में 2495, 2012-13 में 1850, 2013-14 में 2063, 2014-15 में 1858 वाहन पंजीकृत किए गए.

बता दें कि शिमला में ट्रैफिक कि समस्या के समाधान के लिए सरकार ने एक तरकीब जरूर निकाली, जिसके तहत शिमला में वाहनों का पंजीकरण करवाते समय निजी पार्किंग का प्रमाण भी देना पड़ेगा, लेकिन उसका भी खास असर दिखता नजर नहीं आ रहा है.

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कहीं अधूरा न रह जाए स्मार्ट सिटी में स्मार्ट ट्रैफिक का सपना  

शिमला. स्मार्ट सिटी शिमला में स्मार्ट ट्रैफिक का सपना साकार होता जल्द नजर नहीं आ रहा है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने देश के 28 अन्य शहरों के साथ शिमला को स्मार्ट सिटी की सूची में 23 जून 2017 को शामिल किया. लेकिन तब से लेकर अब तक शिमला में ट्रैफिक की समस्या के समाधान के लिए सरकारें कोई हल नहीं ढूंढ पाई है.  

स्मार्ट सिटी शिमला में ट्रैफिक प्रदेश सरकार और नगर निगम के सामने एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. सत्तर लाख से अधिक की आबादी वाले हिमाचल की सडक़ों पर इस समय 15 लाख से अधिक वाहन हैं। आलम ये है कि हर साल गाडियों की संख्या बढ़ रही है। साल-दर-साल गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा देखा जाए तो एक साल में कम से कम सवा लाख वाहन जुड़ रहे हैं.

पर्यटन राज्य होने के कारण भी हिमाचल में बाहर से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। सैलानी पर्यटन बसों अथवा अपनी गाडिय़ों में आते हैं। इस कारण भी हिमाचल की सडक़ों पर गाडिय़ों का बोझ बढ़ता है। इसके अलावा एक अन्य बड़ा कारण हिमाचल का सेब राज्य होना भी है। सेब उत्पादन में देश में सिरमौर हिमाचल प्रदेश में सालाना 3500 करोड़ रुपए का कारोबार होता है। सेब बिक्री से बागवानों के हाथ अच्छा-खासा धन आता है। इस धन से वे गाडिय़ां भी खरीदते हैं। इस तरह हिमाचल में सडक़ें लगातार गाडिय़ों के बोझ तले दब रही हैं।

यदि सैलानियों की बात की जाए तो हिमाचल सरकार ने प्रति वर्ष दो करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य रखा है। उम्मीद है कि ये आंकड़ा इस पर्यटन सीजन में पूरा हो जाएगा। वर्ष 2016 में हिमाचल में देश और विदेश से 1.79 करोड़ सैलानी आए। वर्ष 2017 में जनवरी में 1187693, फरवरी में 1146506 व मार्च में 1540801 पर्यटक पहुंचे। कुल मिलाकर तीन महीनों में ही 3875001 देशी व 92629 विदेशी सैलानी आए। इस तरह गाडिय़ों के बोझ तले हिमाचल की सडक़ें दब रही हैं।

हिमाचल के परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इस समय मार्च 2017 तक हिमाचल की सडक़ों 14 लाख, 94 हजार, 857 वाहन रजिस्टर्ड हैं। इसके बाद के आठ महीने में करीब 60 हजार और नए वाहन जुड़े हैं। प्रदेश में खेती-बाड़ी के काम में 6624 ट्रैक्टर लगे हैं। विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में 1157 एंबुलेंस सेवाएं दे रही हैं। निजी व सरकारी बसों का आंकड़ा 22,976 बसों का है। निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले वाहनों की संखअया 441 है। हिमाचल में 413 क्रेन रजिस्टर्ड हैं, सबसे अधिक वाहनों में सामान ढोने वाले वाहनों की संख्या है। ऐसे वाहनों की संख्या 1,77,913 है। मैक्सी कैब- 16013, दो पहिया 7,62,275 हैं। ऐसा नहीं है कि ये गाडिय़ां सडक़ों पर बोझ ही बढ़ा रही हैं। इनसे करोड़ों रुपए का टैक्स भी हासिल होता है। इसके अलावा जुर्माना भी वसूल किया जाता है। वर्ष 2016-17 में सरकार को वाहनों से 279 करोड़ का राजस्व मिला।

अगर केवल शिमला शहर की बात करें तो वर्ष 2003-04 में आरटीओ शिमला के पास 1014 वाहन पंजीकृत हुए. 2004-05 में 1228, 2005-06 में 1352, 2006-07 में 1465, 2007-08 में 1734, 2008-09 में 1882, 2009-10 में 1785, लेकिन 2010-11 से शिमला में पंजीकृत किए जाने वाले वाहनों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गई और एक ही साल में 2920 वाहन पंजीकृत किए गए, इसके बाद 2011-12 में 2495, 2012-13 में 1850, 2013-14 में 2063, 2014-15 में 1858 वाहन पंजीकृत किए गए.

शिमला में ट्रैफिक कि समस्या के समाधान के लिए सरकार ने एक तरकीब जरूर निकाली. जिसके तहत शिमला में वाहन का पंजीकरण करवाते समय निजी पार्किंग का प्रमाण भी देना पड़ेगा. लेकिन उसका भी खास असर दिखता नजर नहीं आ रहा है.

 

Last Updated : Mar 4, 2019, 10:50 PM IST
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