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लवी मेले को बढ़ाने की व्यापारियों ने की मांग, कहा- कोरोना के कारण नहीं हो पा रहा व्यापार

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Published : Nov 14, 2020, 3:57 PM IST

लवी मेले में केवल स्थानीय उत्पादों को जिनमें सूखे मेवे, उनी वस्त्र व अन्य हस्त निर्मित सामान को ही स्थान दिया गया है. मेला मैदान में आए स्थानीय व्यापारियों की मांग है कि मेले के समय में बढ़ोतरी की जाए ताकि उनका सामान बिक सके.

lavi fair rampur
लवी मेला रामपुर

रामपुर: शिमला जिला के रामपुर बुशहर में तीन सौ वर्षों से भी अधिक समय से मनाया जा रहा व्यापारिक उत्सव, अंतरराष्ट्रीय लवी मेला इस बार कोरोना महामारी के कारण छोटे स्तर पर मनाया जा रहा है. रामपुर के पाट बंगला मैदान में 11 से 14 नवंबर तक मनाए जाने वाले इस उत्सव को भारत-तिब्बत व्यापारिक संबंधों के प्रति के रूप में भी मनाया जाता है.

इस बार विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते औपचारिकता पूर्ण करने के लिए इस मेले के आयोजन का निर्णय लिया गया है. लवी मेले में केवल स्थानीय उत्पादों को जिनमें सूखे मेवे, उनी वस्त्र व अन्य हस्त निर्मित सामान को ही स्थान दिया गया है. इस बार मेला मैदान में पहुंचे स्थानीय व्यापारियों को मंदी की मार से गुजरना पड़ रहा है क्योंकि कोरोना के कारण खरीदार कम ही पहुंच पा रहे हैं.

वीडियो.

मेला मैदान में आए स्थानीय व्यापारियों की मांग है कि मेले के समय में बढ़ोतरी की जाए ताकि उनका सामान बिक सके. मेला मैदान में प्रमुख आकर्षण सूखे मेवों में चिलगोजा, अखरोट, खुमानी, बादाम, गुच्छी, दालें, ऊनी वस्त्रों में टोपी पट्टी पट्टू, शाले, मफलर आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं. इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले चिलगोजा सस्ता हुआ है, जबकि किनौरी राजमा में काफी उछाल आया है.

वीडियो.

किन्नौर खदरा गांव के रविंद्र सिंह नेगी ने बताया चिलगोजा 13 सौ रुपये किलो, अखरोट 300 से 500 रुपये किलो, खुमानी 300 से 500 रुपये किलो, बदाम 9 से 11 सौ रुपये किलो, राजमा 190 से 240 रुपये किलो, गुच्छी 14 हजार रुपये किलो, चूली का तेल 12 सौ रुपये लीटर, उन्होंने बताया कि इस बार मेला लगाने के लिए टाइम कम दिया गया है. कोरोना की वजह से लोग भी नहीं आ रहे हैं. मेले के समय को थोड़ा बढ़ाया जाए ताकि वह अपना माल बेच सकें.

किन्नौर किलवा से आई भाग देवी ने बताया कि वे स्टाल, शॉल, टोपियां आदि बेच रहे हैं. स्टाल और शॉल 700 से लेकर 8000 रुपये तक कीमत के हैं और किन्नौरी टोपियां 300 से 400 रुपये के बीच में हैं. उनका कहना है कि सामान बिके इस लिए मेले का थोड़ा टाइम बढ़ाया जाए क्योंकि जो स्थानीय व्यापारी हैं, वह अब आने शुरू हो गए हैं और खरीदार कम ही आ रहे हैं.

वीडियो.

तहसीलदार रामपुर कुलताज सिंह ने बताया कि इस बार अंतरराष्ट्रीय लवी मेला आयोजन कोविड-19 को देखते हुए छोटे स्तर पर किया जा रहा है. सिर्फ स्थानीय उत्पादों को ही इस में स्थान दिया गया है ताकि स्थानीय लोग अपने उत्पादों को इस मेले में बेच सकें. उन्होंने बताया मेला मैदान में एतियात बरती जा रही है ताकि कोरोना संक्रमण से बचे.

पढ़ें: कंगना ने नई भाभी के आगमन पर मनाई 'अंदरेरा' रस्म, फैंन्स को दी दिवाली की शुभकामनाएं

रामपुर: शिमला जिला के रामपुर बुशहर में तीन सौ वर्षों से भी अधिक समय से मनाया जा रहा व्यापारिक उत्सव, अंतरराष्ट्रीय लवी मेला इस बार कोरोना महामारी के कारण छोटे स्तर पर मनाया जा रहा है. रामपुर के पाट बंगला मैदान में 11 से 14 नवंबर तक मनाए जाने वाले इस उत्सव को भारत-तिब्बत व्यापारिक संबंधों के प्रति के रूप में भी मनाया जाता है.

इस बार विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते औपचारिकता पूर्ण करने के लिए इस मेले के आयोजन का निर्णय लिया गया है. लवी मेले में केवल स्थानीय उत्पादों को जिनमें सूखे मेवे, उनी वस्त्र व अन्य हस्त निर्मित सामान को ही स्थान दिया गया है. इस बार मेला मैदान में पहुंचे स्थानीय व्यापारियों को मंदी की मार से गुजरना पड़ रहा है क्योंकि कोरोना के कारण खरीदार कम ही पहुंच पा रहे हैं.

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मेला मैदान में आए स्थानीय व्यापारियों की मांग है कि मेले के समय में बढ़ोतरी की जाए ताकि उनका सामान बिक सके. मेला मैदान में प्रमुख आकर्षण सूखे मेवों में चिलगोजा, अखरोट, खुमानी, बादाम, गुच्छी, दालें, ऊनी वस्त्रों में टोपी पट्टी पट्टू, शाले, मफलर आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं. इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले चिलगोजा सस्ता हुआ है, जबकि किनौरी राजमा में काफी उछाल आया है.

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किन्नौर खदरा गांव के रविंद्र सिंह नेगी ने बताया चिलगोजा 13 सौ रुपये किलो, अखरोट 300 से 500 रुपये किलो, खुमानी 300 से 500 रुपये किलो, बदाम 9 से 11 सौ रुपये किलो, राजमा 190 से 240 रुपये किलो, गुच्छी 14 हजार रुपये किलो, चूली का तेल 12 सौ रुपये लीटर, उन्होंने बताया कि इस बार मेला लगाने के लिए टाइम कम दिया गया है. कोरोना की वजह से लोग भी नहीं आ रहे हैं. मेले के समय को थोड़ा बढ़ाया जाए ताकि वह अपना माल बेच सकें.

किन्नौर किलवा से आई भाग देवी ने बताया कि वे स्टाल, शॉल, टोपियां आदि बेच रहे हैं. स्टाल और शॉल 700 से लेकर 8000 रुपये तक कीमत के हैं और किन्नौरी टोपियां 300 से 400 रुपये के बीच में हैं. उनका कहना है कि सामान बिके इस लिए मेले का थोड़ा टाइम बढ़ाया जाए क्योंकि जो स्थानीय व्यापारी हैं, वह अब आने शुरू हो गए हैं और खरीदार कम ही आ रहे हैं.

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तहसीलदार रामपुर कुलताज सिंह ने बताया कि इस बार अंतरराष्ट्रीय लवी मेला आयोजन कोविड-19 को देखते हुए छोटे स्तर पर किया जा रहा है. सिर्फ स्थानीय उत्पादों को ही इस में स्थान दिया गया है ताकि स्थानीय लोग अपने उत्पादों को इस मेले में बेच सकें. उन्होंने बताया मेला मैदान में एतियात बरती जा रही है ताकि कोरोना संक्रमण से बचे.

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