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हिमाचल में बंदरों का आतंक रोकने को हाई कोर्ट ने दी आंध्र मॉडल स्टडी करने की सलाह, तिरुपति मंदिर का दिया उदाहरण

हिमाचल प्रदेश में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. इसी कड़ी में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एनिमल वेलफेयर बोर्ड की सलाह लेने के साथ ही आंध्र मॉडल स्टडी करने को भी कहा है. पढ़ें पूरी खबर... (Money Attack Shimla) (Himachal High Court News).

monkeys in himachal
हिमाचल हाई कोर्ट.
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 9:34 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला सहित अन्य इलाकों में बंदरों व कुत्तों के हिंसक व्यवहार से दहशत का माहौल है. शिमला में बीते दिनों बंदरों के हमले से डरी एक युवती की लैंटर से गिरने पर मौत हो गई थी. हिमाचल हाई कोर्ट में विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से अदालत से आग्रह किया गया है कि बंदरों व कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए सरकार को उचित दिशा-निर्देश दिए जाएं. इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिकाओं की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एनिमल वेलफेयर बोर्ड की सलाह लेने के साथ ही आंध्र मॉडल स्टडी करने को भी कहा है. अदालत ने कहा कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर परिसर से बंदरों की दहशत को खत्म कर दिया है.

आंध्र प्रदेश की संबंधित अथॉरिटीज ने इस काम को कैसे किया, हिमाचल प्रदेश सरकार को उनके मॉडल को स्टडी करना चाहिए. इसके अलावा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को और भी सुझाव दिए हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने बंदरों व कुत्तों के आतंक को खत्म करने को लेकर अदालत में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई में आदेश जारी कर कहा कि इसके लिए एनिमल वेलफेयर बोर्ड राज्य सरकार को व्यवहारिक सुझाव दे.

हाई कोर्ट ने कहा कि बंदर व कुत्ते सदियों से इंसान के साथ रहते आए हैं, लेकिन समय के इस दौर में इनके उत्पात के कारण राज्य के निवासियों को डर का सामना करना पड़ रहा है. इनके हिंसक व्यवहार से लोगों की मौत तक हो रही है. हाई कोर्ट ने प्रदेश भर के शहरों और ग्रामीण इलाकों में बंदरों के उत्पात और आवारा कुत्तों के आतंक से बचाव से जुड़े मुद्दों को लेकर लंबित जनहित याचिकाओं में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले पशु कल्याण बोर्ड को पक्षकार बनाया था.

मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल ने अदालत को भरोसा दिलाया कि प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला मिलकर चौधरी सरवण कुमार यूनिवर्सिटी पालमपुर की पशु चिकित्सा शाखा से भी इस बारे में परामर्श करेंगे. पालमपुर यूनिवर्सिटी से इनपुट साझा कर राज्य में बंदरों के उत्पात के साथ ही कुत्तों के आतंक को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे. वहीं, हाई कोर्ट ने पशु कल्याण बोर्ड, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (पशुपालन और डेयरी विभाग)के सचिव के माध्यम से शिमला शहर में बंदरों के खतरे से निपटने के लिए सुझाव देने के निर्देश भी दिए हैं.

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को सलाह दी थी कि वे अन्य निकायों जैसे कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम, तिरुमला, चित्तूर आंध्र प्रदेश से भी परामर्श कर सकते हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि तिरुपति मंदिर परिसर में बंदरों के खतरे का सफलतापूर्वक उन्मूलन कर दिया गया है. राज्य सरकार को वहां से भी सलाह लेनी चाहिए. हाई कोर्ट ने अब मामले की आगामी सुनवाई 18 सितंबर को तय की है.

ये भी पढ़ें- Himachal Monsoon Loss: हिमाचल में मानसून सीजन में 8,675 करोड़ का नुकसान, मरने वालों की संख्या 408 पहुंची

शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला सहित अन्य इलाकों में बंदरों व कुत्तों के हिंसक व्यवहार से दहशत का माहौल है. शिमला में बीते दिनों बंदरों के हमले से डरी एक युवती की लैंटर से गिरने पर मौत हो गई थी. हिमाचल हाई कोर्ट में विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से अदालत से आग्रह किया गया है कि बंदरों व कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए सरकार को उचित दिशा-निर्देश दिए जाएं. इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिकाओं की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एनिमल वेलफेयर बोर्ड की सलाह लेने के साथ ही आंध्र मॉडल स्टडी करने को भी कहा है. अदालत ने कहा कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर परिसर से बंदरों की दहशत को खत्म कर दिया है.

आंध्र प्रदेश की संबंधित अथॉरिटीज ने इस काम को कैसे किया, हिमाचल प्रदेश सरकार को उनके मॉडल को स्टडी करना चाहिए. इसके अलावा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को और भी सुझाव दिए हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने बंदरों व कुत्तों के आतंक को खत्म करने को लेकर अदालत में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई में आदेश जारी कर कहा कि इसके लिए एनिमल वेलफेयर बोर्ड राज्य सरकार को व्यवहारिक सुझाव दे.

हाई कोर्ट ने कहा कि बंदर व कुत्ते सदियों से इंसान के साथ रहते आए हैं, लेकिन समय के इस दौर में इनके उत्पात के कारण राज्य के निवासियों को डर का सामना करना पड़ रहा है. इनके हिंसक व्यवहार से लोगों की मौत तक हो रही है. हाई कोर्ट ने प्रदेश भर के शहरों और ग्रामीण इलाकों में बंदरों के उत्पात और आवारा कुत्तों के आतंक से बचाव से जुड़े मुद्दों को लेकर लंबित जनहित याचिकाओं में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले पशु कल्याण बोर्ड को पक्षकार बनाया था.

मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल ने अदालत को भरोसा दिलाया कि प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला मिलकर चौधरी सरवण कुमार यूनिवर्सिटी पालमपुर की पशु चिकित्सा शाखा से भी इस बारे में परामर्श करेंगे. पालमपुर यूनिवर्सिटी से इनपुट साझा कर राज्य में बंदरों के उत्पात के साथ ही कुत्तों के आतंक को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे. वहीं, हाई कोर्ट ने पशु कल्याण बोर्ड, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (पशुपालन और डेयरी विभाग)के सचिव के माध्यम से शिमला शहर में बंदरों के खतरे से निपटने के लिए सुझाव देने के निर्देश भी दिए हैं.

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को सलाह दी थी कि वे अन्य निकायों जैसे कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम, तिरुमला, चित्तूर आंध्र प्रदेश से भी परामर्श कर सकते हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि तिरुपति मंदिर परिसर में बंदरों के खतरे का सफलतापूर्वक उन्मूलन कर दिया गया है. राज्य सरकार को वहां से भी सलाह लेनी चाहिए. हाई कोर्ट ने अब मामले की आगामी सुनवाई 18 सितंबर को तय की है.

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