शिमला: रमजान यानि खुदा की इबादत का वक्त और ईद का मतलब है हर्षोल्लास. इस्लाम धर्म का पवित्र महीना रमजान खत्म होने के साथ ही ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है. इसके साथ ही 30 दिनों तक रखे जाने वाले रोजे खत्म हो जाते हैं. ईद खुशियों का त्यौहार है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से ईद का रंग फीका पड़ता नजर आ रहा है. बाजारों में इस बार रौनक पूरी तरह से गायब है.
शिमला व्यापार मंडल के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि कोरोना के चलते ईद पर भी कारोबार बिल्कुल ठप पड़ा हुआ है. बाजार खुलने के बावजूद बहुत कम लोग खरीददारी के लिए बाजारों का रुख कर रहे हैं. ईद पर न तो इस बार मस्जिदों में नमाज पढ़ी जाएगी और न ही घरों में जा कर सेवईं का स्वाद चखने को मिलेगा. ईद के मौके पर इस बार न ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से एक दूसरे के साथ गले मिल कर बधाई दे पाएंगे.
ईद पर हर साल करोड़ों की खरीददारी होती थी, लोग ईद के लिए एक हफ्ते पहले ही कपड़े और अन्य सामान की खरीदारी करते थे, लेकिन इस बार ईद के पाक मौके पर बाजारो में सन्नाटा छाया हुआ है.
शिमला कुटुब मस्जिद के इमाम शफी मुहमद ने कहा कि अगर आज चांद नजर आता है तो कल ईद हो सकती है और अगर आज चांद नजर नहीं आता है, तो ईद सोमवार को मनाई जाएगी.
कई मान्यताओं के मुताबिक हर साल रोजे रखने की ये परंपरा इस्लाम के पांच मूल स्तंभों में से एक है. रमजान का मुबारक महीना करीब 29-30 दिन का होता है, जो अर्धचंद्र के दिखने पर निर्भर करता है.
रमजान शब्द अरबी भाषा के शब्द रमीदा और अर-रमद शब्द से मिलकर बना है. जिसका अर्थ होता है चिलचिलाती गर्मी या सूखापन. ऐसी मान्यता है कि इस्लाम का पवित्र ग्रंथ कुरान इसी महीने में लिखा गया था. इसीलिए, लोग अपनी आत्मा को पवित्र करने के लिए इस पूरे महीने रोजे रखते हैं और अल्लाह से क्षमा मांगते हैं. जिसके बाद ईद का दिन आता है, जिसे हर्षोल्लास और दावत का दिन माना जाता है.