शिमला: पंजीकृत व्यापारियों को आसानी से लोन हासिल हो और ग्रामीण इलाकों में भी अधिक से अधिक राष्ट्रीयकृत बैंक खोले जाएं. आम लोगों व व्यापारियों का खयाल रखा जाए. महंगाई की मार से राहत मिले. यह उम्मीद व्यापारियों ने एक फरवरी को पेश होने वाले आम केंद्रीय बजट से है. आपको बताते है केंद्रीय बजट पर व्यापारियों और छोटे दुकानदारों की प्रतिक्रिया.
छोटे व्यापारियों का कहना है कि इनकम टैक्स कानून में बदलाव और जीएसटी लागू करने के बाद से व्यापारियों की समस्याएं बढ़ गई है. कारोबार में घाटा हो रहा है. व्यापारियों का तर्क है कि जब 40 लाख तक कारोबार करने वाले व्यापारी को जीएसटी से छूट प्रदान की गई है तो आयकर की भी सीमा आठ लाख की जानी चाहिए.
जीएसटी की अलग अलग वस्तुओं के लिए अलग अलग दरें हैं जिससे छोटे व्यापारियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है. छोटे व्यापारियों ने केंद्र सरकार से उम्मीद जताई है कि जीएसटी की दो या तीन दरें ही तय हो ताकि झंझट से छुटकारा मिल सके.
इसके अलावा व्यापारियों ने केंद्र सरकार पर आरोप भी लगाया कि सरकार बड़े उद्योग घरानों पर केंद्रित नीतियां ही बनाती है. छोटे उद्योगों का ध्यान कम रखा जाता है, ऐसे में छोटे और पारम्परिक उद्योगों के सामने कई चुनोतियां आ रही हैं. सरकार को छोटे पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति बनानी चाहिए.
दुकानदारों का कहना है कि सरकार ने व्यापारियों के लिए पांच लाख तक छूट सीमा को बढ़ाकर 7.50 लाख तक कर दिया जाए. व्यापारियों का कहना है कि मार्किट में मनी फ्लो बढ़ना चाहिए इसके लिए रोजगार या फिर मनरेगा जैसी कोई योजना शुरू हो जिससे आम जनता की खरीददारी की क्षमता में बढ़ोतरी होगी.
अधिक खरीददारी होने से ही मार्किट में फ्लो आएगा. सामान बिकेगा तभी उद्योगों धंधे चलेंगे और रोजगार के साथ साथ देश की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी इसलिए सरकार को आम आदमी की पर्चेज़िग कैपेसिटी बढ़ाने की तरफ ध्यान देना चाहिए.
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