शिमला: जिला प्रशासन के अधिकारियों ने ऐसे लोगों को फिर से परिवार से मिलाने की पहल शुरू की है, जो कई सालों से अपनों से बिछड़ कर आश्रय स्थलों में अपनी जिंदगी काट रहें है. हिमाचल प्रशासनिक सेवा अधिकारी रोहित राठौर के प्रयासों से कर्नाटक की साकम्मा को 25 सालों बाद अपने परिवार के पास पहुंचे अभी कुछ ही दिन बीतें हैं इसी बीच एक और एचएएस अधिकारी की मानवता और संजीदगी ने एक बुजुर्ग महिला को पांच सालों बाद उसके परिवार से मिला दिया.
इस बार ये सराहनीय कार्य महिला एचएएस अधिकारी स्मृतिका नेगी ने किया है. इन दिनों स्मृतिका बतौर एसडीएम बल्ह में अपनी सेवाएं दे रही हैं. स्मृतिका नेगी के सफल प्रयासों से 5 साल पहले पश्चिम बंगाल से हिमाचल पहुंची पदमा मुर्मू अपने परिवार से मिल पाई. एसडीएम स्मृतिका नेगी ने पदमा को उसके परिवार से मिलवाने का मजबूत इरादा कर रखा था. आखिकरकार उनके प्रयास सफल हुए और पदमा 5 साल बाद 11 फरवरी को परिवार के साथ अपने घर लौट गई.
2016 की एचएएस अधिकारी हैं स्मृतिका नेगी
पदमा और उसके परिवार का फिर से मिलाप कराने वाली स्मृतिका नेगी मंडी के बेटी और जिला किन्नौर की बहू हैं. 2016 बैच की एचएएस अधिकारी स्मृतिका नेगी का मायका मंडी जिला के धर्मपुर में है और 2016 में इनकी शादी एचएएस अधिकारी अमर नेगी से हुई है. स्मृतिका नेगी के पति अमर नेगी इन दिनों सुंदरनगर में बतौर एसडीएम अपनी सेवाएं दे रहें है. स्मृतिका नेगी ने दूसरी बार एसडीएम बल्ह का जिम्मा संभाला है. 2022 से नवम्बर 2023 तक पहले भी स्मृतिका एसडीएम बल्ह रह चुकी हैं. इस दौरान उनका बल्ह के कंसा चौक पर ड्राइविंग टेस्ट के ट्रायल दौरान बस को दौड़ाया था. इस दौरान उनका वीडियो भी वायरल हुआ था. इस टेस्ट के दौरान बहुत से लोग घबराकर के चलते ट्रायल सही से नहीं दे पा रहे थे. ऐसे में लोगों की घबराहट को दूर करने के लिए एसडीएम बल्ह स्मृतिका नेगी ने खुद ही स्टियरिंग संभाला, जिसके बाद बहुत से लोगों ने सही ढंग से ट्रायल पूरा किया.
![एसडीएम स्मृतिका नेगी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/23534046_395_23534046_1739437199217.png)
दिसंबर में पहली बार पदमा से मिली थी स्मृतिका नेगी
अक्तूबर 2024 में स्मृतिका नेगी ने दूसरी बार बतौर एसडीएम बल्ह का जिम्मा संभाला था. बीते साल 26 दिसंबर 2024 को उन्होने वृद्ध आश्रम भंगरोटू का दौरा किया. इस दौरान कर्नाटक राज्य की साकम्मा के परिजनों को मिलवाने के प्रशासन के प्रयास रंग लाए थे. इसी समय दूसरी कुर्सी पर बैठी वृद्ध महिला पदमा मुर्मू पर स्मृतिका नेगी की नजर पड़ी. स्मृतिका नेगी ने पदमा मुर्मू से बातचीत करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें हिंदी नहीं आती थी. इसी के चलते पदमा मुर्मू क्या बोल रही हैं ये कोई नहीं जान पाया, लेकिन उन्हें ये मालूम चल गया कि पदमा बांग्ला भाषा बोल रही हैं.
![पदमा मुर्मू से बातचीत करती एसडीएम स्मृतिका नेगी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/23534046_618_23534046_1739437080874.png)
स्मृतिका नेगी ने NHAI के अधिकारियों से मांगा सहयोग
स्मृतिका नेगी को जैसे ही पता चला कि पदमा मुर्मू बांग्ला भाषा जानती हैं, तो उन्होंने नेरचौक क्षेत्र में कार्य करे एनएचएआई के अधिकारियों से संपर्क साधा और एनएचएआई के अधिकारियों से उनके पास कार्ररत किसी बांग्ला भाषी व्यक्ति से सहयोग का आग्रह किया. एनएचएआई प्रबंधन ने उनके पास काम कर रहे पश्चिम बंगाल में स्थित बीरभूम जिले के रबीउल एसके को महिला से संवाद करने के लिए भेजा. उन्होंने बांग्ला भाषा में महिला से बातचीत की तो उसके घर-परिवार के बारे में जानकारी प्राप्त हुई. महिला ने अपना नाम पदमा मुर्मू, गांव का नाम आसनपुर, जिला हुगली बताया. पदमा मुर्मू ने ये भी बताया कि उसके पति का निधन हो चुका है. कुछ साल पूर्व उन्होंने पारिवारिक कलह के कारण घर छोड़ दिया था, लेकिन अब वो वापस अपने घर जाना चाहती हैं.
![परिवार से मिलती पदमा मुर्मू](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/23534046_794_23534046_1739437291330.png)
11 फरवरी पदमा मुर्मू घर वापस लौटीं
पदमा मुर्मू के गांव का पता चलते ही एसडीएम स्मृतिका नेगी ने जिला प्रशासन से संपर्क किया, जिसके बाद प्रशासनिक स्तर पर पश्चिम बंगाल राज्य में सम्पर्क करने पर उनके नाम-पते की पुष्टि की गई. बीती 10 फरवरी को पदमा का परिवार उसे लेने भंगरोटू वृद्ध आश्रम पहुंचा, परिजनों को देखते ही पदमा के आंखों से आंसू छलक पड़े. 11 फरवरी को एसडीएम बल्ह स्मृतिका की निगरानी में आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पदमा मुर्मू परिजनों के साथ घर लौट गई.