शिमला: हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां के मंदिरों में 12 महीने खूब रौनक रहती है, लेकिन पिछले डेढ़ महीने से कोरोना की दूसरी लहर के चलते यहां के देवालयों के कपाट पूरी तरह से बंद थे. मंदिर बंद से होने पुजारी, श्रद्दालु और व्यापारी वर्ग निराश था, लेकिन एक बार फिर से हिमाचल में श्रद्धालु देवी-देवताओं के दर्शन कर पाएंगे.
वीरवार से प्रदेश भर में एक बार फिर से मंदिर के दरवाजे पूरी तरह से भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं. कपाट खुलते ही देवालयों की रौनक लौट आई है और मंदिर भजन गीतों और भक्तों के जयकारों से गूंज रहे हैं. प्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों, ज्वालामुखी, श्री नैना देवी,चिंतपूर्णी, चामुंडा मंदिर को खोल दिया गया है. इसकी के साथ छोटी काशी मंडी में भी सभी मंदिरों को खोल दिया गया है, लेकिन इस दौरान लोगों को एसओपी का पूरा पालन करना होगा. प्रसाद चढ़ाने और ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसकी के साथ ही मंदिरों की घंटियां भी ढक दी गई हैं.
मंदिर खुलने के शुभ काम के साथ एक और बड़ी राहत लोगों को मिली है वो है इंटरस्टेट बस सेवा की बहाली. प्रदेश भर में वीरवार से करीब 317 इंटरस्टेट रूट पर बस संचालन शुरू किया गया है. इंटरस्टेट बस सेवा शुरू होने से लोगों को राहत मिलेगी, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन सेवा पहाड़ों में हिमाचलियों की लाइफलाइन है. चंबा-किन्नौर तक के लोग एचआरटीसी से ही दिल्ली-यूपी तक की दूरी नापते हैं. इसके अलावा देश के सबसे ऊंचे व लंबे रूट दिल्ली-लेह सड़क मार्ग पर भी अब निगम की बस सेवा शुरू हो गई है. इस रूट पर यात्रा की अवधि 32 घंटे रहेगी. इस बस सेवा के शुरू होने से देश-विदेश के सैलानियों को लाभ मिलेगा.
प्रदेश सरकार ने भले ही मंदिरों के कपाट खोलने के साथ इंटरस्टेट बस सेवा को बहाल कर दिया हो, लेकिन बसों में अभी भी 50 फीसदी सवारियों को ही बिठाने की अनुमति है. इसके साथ ही मंदिरों में भी एसओपी का पूरा ध्यान रखा जा रहा है.